मध्यप्रदेश में स्कूलों को खोलने लेकर नया आदेश, बारिश और मानसून की एंट्री के बीच भीषण गर्मी के तर्क पर किरकिरी
भोपाल। मध्यप्रदेश में स्कूल को खोलने को लेकर स्कूल शिक्षा विभाग ने नए सिरे से आदेश जारी कर दिए है। स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से जारी में बताया गया है कि भीषण गर्मी के कारण विद्यार्थियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव को दृष्टिगत रखते हुए सभी शासकीय/ आशसकीय विद्यालयों में कक्षा-1 से 5वीं तक की कक्षाएं एक जुलाई से प्रारंभ होगी। वहीं कक्षा 6वीं से 12वीं तक कक्षाएं 30 जून तक सुबह की पाली में होगी। इसके साथ कक्षा 5वीं की परीक्षाएं पूर्व निर्धारित समय-सारणी के अनुसार नियमित रूप से होगी।
फैसले पर सरकार की किरकिरी?- स्कूल शिक्षा विभाग ने भले ही भीषण गर्मी का हवाला देते हुए स्कूलों को खोलने को लेकर नए सिरे से दिशा निर्देश जारी कर दिए हो लेकिन इस फैसले पर सरकार की जमकर किरकिरी हो रही है। दरअसल जब सरकार भीषण गर्मी के चलते स्कूलों को बंद करने का कारण बता रही है जब प्रदेश के अधिकांश जिलों में तूफान बिपरजॉय और प्री मानसून एक्टिविटी के चलते मौसम सुहाना हो गया है। मौसम विभाग ने तूफाफ बिपरजॉय के चलते अगले दो दिनों तक ग्वालियर-चंबल संभाग सहित भोपाल और उज्जैन संभाग में बारिश की संभावना जताई है। मौसम विभाग प्रदेश के अधिकांश जिलों में मौसम विभाग ने 22 जून तक बारिश होने का अनुमान जाताया है। मौमस विभाग ने ग्वालियर-चंबल के ग्वालियर, मुरैना, दतिया, गुना, अशोकनगर, शिवपुरी, भिंड और श्योपुर में भारी बारिश की संभावना जताई है। वहीं मौसम विभाग ने प्रदेश में 23-25 जून के बीच मानसून की एंट्री की संभावना जताई है।
पेरेंट्स ने भी फैसले पर उठाए सवाल?- सरकार के स्कूल बंद करने के फैसले पर पेरेंट्स भी सवाल उठा रहे है। राजधानी के कटारा हिल्स के रहने वाली अंकिता कहती हैं कि बच्चे पहले से ही लंबे समय से घरों में है और स्कूल खुलने का ब्रेसबी से इंतजार कर रहे थे, ऐसे में सरकार के देरी से स्कूल खोलने का निर्णय कहीं से तर्कंसंगत नहीं ठहराता।
वहीं बागमुगालिया इलाके में रहने वाली शिखा कहती है कि सरकार ने भले ही स्कूलों को बंद करने का फैसला कर लिया हो लेकिन जुलाई में उनके बेटे के एग्जाम पहले से ही शेड्यूल है, ऐसे में स्कूल खुलते ही बच्चों को स्कूल एग्जाम का सामना करना पड़ेगा जिससे बच्चों पर प्रेशऱ बढ़ेगी।
वहीं भोपाल में बीडीए कॉलोनी में रहने वाले योगेश जिनका बेटा पांचवी क्लास में पढ़ता है, वह कहते हैं क सरकार ने पहले ही पांचवी एक एग्जाम बोर्ड पैटर्न पर लेना शुरु कर दिए है और इस साल जिस तरह से 5वीं बोर्ड के नतीजे आए है उससे बच्चों पर दबाव बढ़ गया है। ऐसे में स्कूल देरी से खोलने का बच्चों पर दबाव बनेगा।
वहीं पालक महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल विश्वकर्मा कहते हैं कि अगर स्कूल खोलने का समय आगे बढ़ाया गया तो सरकार को स्कूलों की फीस को लेकर एक आदेश जारी करना चाहिए कि जब से स्कूल खुले तभी से फीस लें। वह कहते हैं कि अगर देरी से स्कूल खोलने का निर्णय लिया जा रहा है तब बच्चों के सिलेबस में भी कटौती होनी चाहिए और सरकार को इसे सख्ती से लागू करना चाहिए।
राजधानी भोपाल में पांचवी तक के प्राइवेट स्कूल के संचालक नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि उन्होंने स्कूल खोलने की पहले से ही पूरी तैयार कर ली थी। ऐसे में अचानक से स्कूल नहीं खोलने का निर्णय करने से उन पर काफी असर पड़ेगा। वह कहते हैं कि उन्होंने कोरोना से ठीक पहले एक नामी ब्रॉड की फ्रेंचाइजी लेकर स्कूल खोला था, लेकिन कोरोना आने से उन पर काफी असर पड़ेगा। ऐसें जब स्कूल चलाने में पहले से आर्थिक चुनौतियो का सामना करना पड़ा रहा है तब अब लेट में स्कूल खोलने का सीधा असर पड़ेगा।