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Written By Author विकास सिंह
Last Modified: बुधवार, 21 सितम्बर 2022 (17:37 IST)

लंपी वायरस पशुओं से मनुष्यों में नहीं फैलता, बोले अखिलेश्वरानंद गिरि, दूध के उपयोग से नुकसान नहीं

प्रदेश की गौशालाओं में टीकाकारण का काम युद्धस्तर पर जारी

लंपी वायरस पशुओं से मनुष्यों में नहीं फैलता, बोले अखिलेश्वरानंद गिरि, दूध के उपयोग से नुकसान नहीं - Lumpy virus does not spread from animals to humans
भोपाल। मध्यप्रदेश में लंपी वायरस के बढ़ते मामलों के बाद जहां एक ओर सरकार एक्शन मोड में है वहीं वायरस को लेकर लोगों में कई प्रकार के भ्रम भी फैल रहे है, विशेषकर ग्रामीण इलाकों में लंपी वायरस को लेकर एक डर का माहौल भी देखा जा रहा है। पशुओं में तेजी से फैलने संक्रामक बीमारी क्या पशुओं से मनुष्य़ों में भी फैल सकती है, इस सवाल को लेकर भी कई तरह के भ्रम और अफवाह फैल रही है। 
 
मध्यप्रदेश में लंपी वायरस के रोकथाम के लिए लगातार काम कर रहा गौ-पालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष महामण्डलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि साफ कहते हैं कि लंपी वायरस एक चर्मरोग है जो पशुओं से मनुष्यों में नहीं फैलता है। लंपी वायरस की बीमारी पशुओं से मनुष्यों में नहीं फैलती है। अब तक लंबी वायरस से संक्रमित बीमार गाय के दूध में वायरस नहीं पाया गया है। गाय के दूध का उपयोग उबाल कर किया जा सकता है। 

वहीं महामण्डलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि प्रदेश की गौ-शालाओं में काम रहे गौ-सेवकों से अपील करते हैं कि लंपी वायरस से संक्रमित गाय की सेवा करने के बाद अच्छी तरह साबुन से हाथ धोएँ,  उसके बाद ही कोई अन्य काम करें। अगर गौ-सेवक बीमार गाय की सेवा वाले हाथों से ही दूसरी गाय को स्पर्श करते हैं तो उस गाय को यह संक्रमण फैल सकता है।

स्वामी अखिलेश्वरानन्द गिरि बताते है कि लंपी वायरस की संक्रमकता को देखते हुए गौ-शालाओं में युद्ध स्तर पर गायों का टीकाकरण जारी है। गौ-शालाओं में 80 प्रतिशत से अधिक टीकाकरण हो चुका है। प्रदेश की अधिकांश गौ-शालाओं ने शत-प्रतिशत टीकाकरण कार्य कर लिया गया है। 
महामण्डलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि कहते हैं कि एलोपैथी सहित आयुर्वेद और होम्योपैथी में भी लंपी वायरस में इलाज है। संक्रमित पशु 10 से 12 दिन में ठीक हो जाता है। संक्रमित गाय को गौमूत्र, गोबर और मट्ठा इन तीनों पदार्थों को पानी में मिला कर गाय को स्नान कराने से भी लाभ मिलता है। पानी पीने की नाँद में चूने की पुताई करें और पानी में सेंधा नमक मिलायें। पानी में नीम की पत्तियाँ और थोड़ी पिसी हल्दी मिला कर उबालें और गुनगुना होने पर गाय को स्नान कराने से भी राहत मिलती है।

वहीं पंचगव्य डॉक्टर एसोसिएशन चेन्नई के अनुसार 100 मिलीलीटर नीम तेल, 100 ग्राम पिसी हल्दी, 10 मि.ली. तुलसी पत्ता रस और 20 मि.ली. एलोवीरा का रस मिला कर बनाये गये पेस्ट को घाव पर लगाने से एक हफ्ते में संक्रमित गाय ठीक हो जाती है। पेस्ट के साथ एक मुठ्ठी तुलसी के पत्ते भी गाय को खिलाने चाहिये।