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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2023 (17:42 IST)

चुनाव से पहले गर्माया डिलिस्टिंग का मुद्दा, आदिवासी कोटे से नौकरी पाने वालों के खिलाफ खोला मोर्चा

चुनाव से पहले गर्माया डिलिस्टिंग का मुद्दा, आदिवासी कोटे से नौकरी पाने वालों के खिलाफ खोला मोर्चा - Issue of delisting of tribals heated up before Madhya Pradesh assembly elections
भोपाल। मध्यप्रदेश में इस बार विधानसभा चुनाव में आदिवासी वोटर बड़ा मुद्दा है। चुनाव से पहले आदिवासी वोट बैंक को सधाने के लिए सभी सियासी दल अपना  जोर लगा रहे है। वहीं आदिवासी संगठन भी अब ताकत दिखाने में जुटे हुए है। आदिवासियों की हक की लड़ाई के लिए शुक्रवार को भोपाल में जनजातीय सुरक्षा मंच ने डिलिस्टिंग महारैली कर अपनी ताकत दिखाई। 

शुक्रवार को भोपाल में आदिवासी समुदाय की डीलिस्टिंग गर्जना रैली हुई। भेल दशहरा मैदान में हुई रैली में 40 जिलों से अधिक आदिवासी बड़ी संख्या में शामिल हुए। कार्यक्रम को शामिल होने आए आदिवासी समुदाय के लोग ने कहा कि वह धर्मांतरण कर चुके ऐसे लोग जो अब भी आदिवासी कोटे से सरकारी नौकरी में उनको बाहर करने की मांग कर रहे है। इसको लेकर जल्द ही सरकार के सामने भी अपनी मांगे रखेंगे। 

कार्यक्रम मेंं शामिल होने के लिए पहुंचे शिवराज सरकार के मंत्री विजय शाह ने कहा भी आंदोलन का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि आदिवासी अपने हक की लड़ाई लड़ रहे है। उन्होंने कहा कि आज जनजातीय समाज को महसूस हो रहा कि अगर आज हम नहीं  चेते को आदिवासी समाज का असितत्व ही समाप्त हो जाएगा। उन्होंने धर्मांतरण को भी आदिवासी समाज के लिए बड़ा खतरा बताया।

चुनाव से पहले डिलिस्टिंग महारैली को लेकर जनजातीय सुरक्षा मंच के क्षेत्रीय संयोजक कालू सिंह मुजाल्दा कहते हैं कि पुरखों की संस्कृति ही संवैधानिक हक का आधार है। बावजूद इसके जनजातीय समुदाय में 5 प्रतिशत कर्न्वटेड लोग मूल जनजाति की 70 प्रतिशत नौकरियां व छात्रवृत्तियां हड़प रहे हैं। इससे बड़ा अन्याय क्या होगा कि 95 प्रतिशत को मात्र 30 प्रतिशत लाभ ही मिल पा रहा है। इसके विरोध में ही जनजातीय समुदाय अपने हक के लिए आज डिलिस्टिंग के माध्यम से सड़क पर उतरना पड़ा।

उन्होंने कहा कि मंच की मुख्य मांग है कि 1970 से संसद में लंबित डिलिस्टिंग बिल पारित किया जाए। वहीं ऐसे लोग जनजातीय संस्कृति, पहचान और पूजा पद्ति को छोड़ चुके है वह आदिवासी को मिलने वाला आरक्षण भी छोडें। वहीं उन्होंने मांग की अनुसूचित जाति की तरह अनुसूचित जाति में भी ईसाई व इस्लाम धर्मांतरितों लोगों की डिलिस्टिंग की जाए और उन्हें आदिवासी कोटे से मिलने वाला लाभ खत्म किया जाए।