हेमा मालिनी के इंदौर आगमन का विरोध
इंदौर। दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालयों के युवा उत्सव के यहां आगामी 28 फरवरी को आयोजित उद्धाटन समारोह में भाजपा सांसद और मशहूर अभिनेत्री हेमा मालिनी की प्रस्तावित नृत्य प्रस्तुति के खिलाफ कांग्रेस समर्थित भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) ने मोर्चा खोल दिया है। यह 5 दिवसीय कार्यक्रम इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (डीएवीवी) की मेजबानी में आयोजित होगा।
एनएसयूआई की मध्यप्रदेश इकाई के उपाध्यक्ष जावेद खान ने गुरुवार को कहा कि डीएवीवी प्रशासन हेमा मालिनी को उनकी नृत्य प्रस्तुति के लिए 25 लाख रुपए की मोटी फीस देने वाला है, जबकि इस कार्यक्रम के लिए मंच तैयार करने और अन्य व्यवस्थाओं में करीब 5 लाख रुपए के अतिरिक्त खर्च का अनुमान है।
विश्वविद्यालय प्रशासन को भाजपा सांसद के कार्यक्रम पर बड़ी रकम फूंकने के बजाय यह धन विद्यार्थियों के हित में खर्च करना चाहिए। खान ने यह आरोप भी लगाया कि दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालयों के 28 फरवरी से 4 मार्च तक आयोजित युवा उत्सव में मथुरा की भाजपा सांसद की नृत्य प्रस्तुति की आड़ में डीएवीवी में भगवाकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि भारतीय विश्वविद्यालय संघ ने इस युवा उत्सव के आयोजन के लिए डीएवीवी को महज 15 लाख रुपए की आर्थिक मदद देने का फैसला किया है। ऐसे में हेमा मालिनी की नृत्य प्रस्तुति के लिए बड़ी रकम का इंतजाम डीएवीवी को अपने बूते करना होगा।
एनएसयूआई ने हेमा मालिनी की प्रस्तावित नृत्य प्रस्तुति के विरोध में डीएवीवी के कुलपति नरेंद्र धाकड़ को गुरुवार को ज्ञापन सौंपकर मांग की कि भाजपा सांसद का कार्यक्रम रद्द किया जाए।
एनएसयूआई के आरोपों पर धाकड़ ने कहा कि दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालयों के युवा उत्सव में हेमा मालिनी की नृत्य प्रस्तुति के प्रस्ताव को डीएवीवी की कार्य परिषद ने बाकायदा मंजूरी दी है। चूंकि यह एक अंतरराष्ट्रीय आयोजन है। लिहाजा हमने इसके स्तर के मुताबिक हेमा मालिनी जैसी मशहूर कलाकार को नृत्य प्रस्तुति के लिए बुलाने का फैसला किया।
उन्होंने कहा कि नृत्य प्रस्तुति के लिए हेमा मालिनी अकेली नहीं, बल्कि करीब 40 कलाकारों की अपनी टीम के साथ आएंगी। जरूरत पड़ने पर हम उनकी नृत्य प्रस्तुति के लिए प्रायोजकों के जरिए रकम जुटाएंगे।
दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालयों के 10 वें युवा उत्सव में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, म्यामांर, मालदीव, भूटान, श्रीलंका, मॉरीशस और अफगानिस्तान के करीब 300 विद्यार्थियों के भाग लेने की उम्मीद है। यह कार्यक्रम दक्षिण एशियाई देशों में शैक्षिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक क्षेत्रों में सक्रिय सहयोग विकसित करने के मकसद से आयोजित किया जाता है।