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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शुक्रवार, 10 अप्रैल 2020 (15:52 IST)

Ground Report : कोरोना से अधिक किसानों को अब कर्ज वापसी की चिंता, लॉकडाउन के चलते खराब हो रही खेतों में तैयार फसल

Ground Report : कोरोना से अधिक किसानों को अब कर्ज वापसी की चिंता, लॉकडाउन के चलते खराब हो रही खेतों में तैयार फसल - Ground report : Farmers unable to Harvest crops due to lack of laboures in Madhya Pradesh
कोरोना से निपटने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन की सबसे बुरी मार किसानों पर पड़ी है। एक ओर पूरा देश जहां कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव से चिंतित है वहीं दूसरी ओर किसान  खेतों में खड़ी अपनी फसल नहीं काट पाने के चलते चिंतित नजर आ रहे है। इस बीच  लॉकडाउन को बढ़ाए जाने की आहट ने उसकी परेशानियों में और इजाफा कर दिया है। 

मध्यप्रदेश के किसानों को अब कोरोना से ज्यादा अपनी उस फसल की चिंता हो रही है जो मजदूरों और हार्वेस्टर नहीं मिलने के चलते अब धीमे धीमे खराब होने के कगार पर पहुंच रही है। ऐसे में वह किसानों जिन्होंने बैंकों और साहूकारों से कर्ज लेकर खेती किसानी की थी अब उनको कर्ज कैसे लौटाएंगे इसकी चिंता सताने लगी है। 
 
भोपाल और उसके आसपास जिलों में खेतों में गेंहू की फसल तैयार खड़ी है। हर साल अब तक आधी से ज्यादा फसल खेतों से कटकर बिकने के लिए मंडियों में पहुंच जाती थी लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते अब तक पूरी फसल खेतों में ही खड़ी है। किसानों को न तो फसल काटने के लिए मजदूर मिल पा रहे है और न ही पंजाब से हर साल आने वाले हार्वेस्टर इस बार आए है जिससे अब किसानों को अपनी फसल के बर्बाद होने का डर सताने लगा है। 
 
किसानों को हो रही दिक्कतों का जायजा लेने के लिए वेबदुनिया ने भोपाल से सटे विदिशा जिले की अलग-अलग तहसीलों के कुछ किसानों से बात की। विदिशा की त्योंदा तहसील के मुरैना गांव के किसान देसराज सिंह बताते हैं कि खेत में गेहूं की फसल पिछले 15 दिनों से तैयार खड़ी है लेकिन कटाई के लिए हार्वेस्टर नहीं आ पा रहा है। हर साल बाहर से हार्वेस्टर आने के कारण समय पर फसल कट जाती थी लेकिन लॉकडाउन के कारण इस बार बाहर से हार्वेस्टर नहीं आने से अब गेंहूं की वाल झड़कर खेत में ही गिर रही है जिससे बहुत नुकसान हो रहा है। 
 
वहीं पठारी तहसील के छपारा गांव के किसान राजकुमार दांगी ने कई एकड़ में बोई गई मूंग की फसल पानी के अभाव में सूख रही है।  वह बताते हैं कि मूंग की फसल को इस समय पानी की सबसे ज्यादा जरुरत है लेकिन मंडी बंद होने के चलते वह तैयार अनाज को बेचने नहीं जा पा रहे है और पैसों का इंतज़ाम नहीं होने से अब उनकी मूंग की फसल पानी के अभाव में खेत में ही सूखने लगी है। राजकुमार कहते हैं कि उनके पास 15 एकड़ खेत है और खेती के लिए उन्होंने किसान क्रेडिट कार्ड से 2 लाख का कर्ज लिया था और कर्ज वापसी पूरी तरह मूंग की फसल पर निर्भर रहती है इसलिए अब अनको बैंक के कर्ज की चिंता सताने लगी है।
 
वहीं कुरवाई तहसील के दुर्गानगर किसान मनीष बताते है कि 5 एकड़ में गेंहू की फसल कटाई के लिए तैयार खड़ी है लेकिन कटाई के लिए न तो मजदूर आ रहे हैं न ही हार्वेस्टर। सड़क के किनारे खेत होने के कारण जानवर रोज नुकसान कर रहे हैं, इसके अलावा आग लगने का भी डर है। मनीष बताते हैं कि उन्होंने बैंक से 68000 रू कर्ज लिया था, समय पर कटाई न हो पाने से उन्हें कर्ज वापसी की चिंता सता रही है।
 
कर्ज के जाल में पहले से ही फंसे किसान पर जहां हर बार मौसम की मार पड़ती थी वहीं इस कोरोना का काला साया है। फसल खेत में तैयार खड़ी हैं लेकिन कटाई का इंतज़ाम नही हो पा रहा है। कहीं पर मजदूरों और मशीनों की समस्या है तो कहीं पैसों की। इन सब के बीच किसान बैंक एवं बाजार से लिये कर्ज की वापसी को लेकर चिंतित है। 
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