शुक्रवार, 29 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. मध्यप्रदेश
  4. Govt refutes reports of some cheetah deaths to radio collar use, terms it speculative
Written By
Last Modified: रविवार, 16 जुलाई 2023 (20:19 IST)

कूनो में चीतों की मौत की वजह गले में बंधे रेडियो कॉलर? एक्सपर्ट के दावे के बाद सरकार का बड़ा बयान

Cheetah in mp
नई दिल्ली। Kuno National Park : चीतों की लगातार मौतों से अब कई सवाल उठ रहे हैं। इस बीच ऐसी खबरें भी आई कि रेडियो कॉलर चीतों की मौत की वजह बन रहे हैं। सरकार ने कहा कि ऐसी खबरें बिना वैज्ञानिक प्रमाण के अटकलों एवं अफवाहों पर आधारित हैं।  
 
पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 20 वयस्क चीतों में से 5 की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई और रेडियो कॉलर जैसे कारकों को मौत के लिए जिम्मेदार ठहराने वाली खबरें बिना वैज्ञानिक प्रमाण के अटकलों एवं अफवाहों पर आधारित हैं।
 
मंत्रालय ने एक बयान में यह भी कहा कि चीता परियोजना का सहयोग करने के लिए कई कदमों की योजना बनाई गई है, जिसमें बचाव, पुनर्वास, क्षमता निर्माण सुविधाओं के साथ चीता अनुसंधान केंद्र की स्थापना भी शामिल है।
 
बयान में कहा गया कि नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से भारत लाए गए 20 वयस्क चीतों में से 5 वयस्क चीतों की मौत की सूचना मिली है। प्रारंभिक विश्लेषण के अनुसार सभी मौत प्राकृतिक कारणों से हुई हैं। 
मीडिया में ऐसी खबरें आई हैं जिनमें चीतों की मौत के लिए रेडियो कॉलर आदि को जिम्मेदार ठहराया गया है। ऐसी खबरें किसी वैज्ञानिक प्रमाण पर आधारित नहीं, बल्कि अटकलों और अफवाहों पर आधारित हैं।
 
विशेषज्ञों से परामर्श : मंत्रालय ने कहा कि चीतों की मौत के कारणों की जांच के लिए अंतरराष्ट्रीय चीता विशेषज्ञों और दक्षिण अफ्रीका तथा नामीबिया के पशु चिकित्सकों के साथ परामर्श किया जा रहा है। 
 
बयान में कहा गया कि परियोजना के निगरानी प्रोटोकॉल, सुरक्षा उपाय, प्रबंधकीय सूचना, पशु चिकित्सा सुविधाएं, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पहलुओं की भी स्वतंत्र राष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा समीक्षा की जा रही है।
 
मंत्रालय ने कहा कि केंद्र की चीता परियोजना संचालन समिति परियोजना की प्रगति की बारीकी से निगरानी कर रही है और इसके क्रियान्वयन पर संतुष्टि व्यक्त की है। इसने कहा कि सरकार ने क्षेत्रीय अधिकारियों के साथ मिलकर काम करने के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की एक समर्पित टीम तैनात की है।
 
सूरज की शुक्रवार को मौत : दक्षिण अफ्रीका से लाए गए नर चीता सूरज की शुक्रवार को श्योपुर के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में मृत्यु हो गई, जबकि एक अन्य नर चीता तेजस की मंगलवार को मौत हो गई।
 
क्या कहा था विशेषज्ञों ने : चीता परियोजना के कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि हाल की कुछ मौतें संभवतः रेडियो कॉलर के कारण होने वाले संक्रमण के कारण हो सकती हैं, हालांकि यह बेहद असामान्य है और भारत में दो दशकों से अधिक समय से वन्यजीव संरक्षण में कॉलर का उपयोग किया जा रहा है। हालांकि, अन्य विशेषज्ञों ने कहा कि केवल पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ही सटीक कारण निर्धारित करेगी।
 
चीता परियोजना संचालन समिति के प्रमुख राजेश गोपाल ने कहा कि चीतों की मौत का कारण रेडियो कॉलर के इस्तेमाल से सेप्टीसीमिया हो सकता है। उन्होंने कहा कि ‘यह बेहद असामान्य है। मैंने भी इसे पहली बार देखा है। यह चिंता का कारण है और हमने (मध्य प्रदेश वन कर्मियों को) सभी चीतों की जांच करने का निर्देश दिया है।
उन्होंने कहा कि यह संभव है कि रेडियो कॉलर के इस्तेमाल से असमान्य व्यवहार, उमस भरा मौसम संक्रमण का कारण बन सकता है। 
 
गोपाल ने कहा कि ‘हम भारत में लगभग 25 वर्षों से वन्यजीव संरक्षण में कॉलर का इस्तेमाल कर रहे हैं। मैंने कभी ऐसी घटना नहीं देखी है। हमारे पास इन दिनों अच्छे, स्मार्ट कॉलर उपलब्ध हैं। फिर भी अगर ऐसी कोई घटना हो रही है, तो हमें इसके निर्माताओं के ध्यान में लाना होगा।
 
दक्षिण अफ़्रीकी चीता विशेषज्ञ विंसेंट वैन डेर मेरवे ने कहा कि अत्यधिक गीली स्थिति के कारण रेडियो कॉलर संक्रमण पैदा कर रहे हैं और संभवतः यही चीतों की मौत का कारण है।
 
मंत्रालय ने कहा कि चीता परियोजना अभी भी प्रगति पर है और 'एक साल के भीतर इसकी सफलता या विफलता का आकलन करना जल्दबाजी होगा।'
 
इसने कहा कि पिछले 10 महीनों में चीता प्रबंधन, निगरानी और सुरक्षा के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। बयान में कहा गया कि मंत्रालय परियोजना की दीर्घकालिक सफलता के बारे में आशावादी है और इस स्तर पर अटकलें नहीं लगाने का आग्रह करता है।
 
बयान में कहा गया कि परियोजना के लिए विचार किए जा रहे नए कदमों के तहत अतिरिक्त वन क्षेत्रों को कूनो राष्ट्रीय उद्यान के प्रशासनिक नियंत्रण में लाया जाएगा।
 
फ्रंटलाइन स्टाफ की तैयारी : मंत्रालय ने कहा कि अतिरिक्त ‘फ्रंटलाइन स्टाफ’ की तैनाती की जाएगी और एक चीता सुरक्षा बल की स्थापना की जाएगी तथा मध्य प्रदेश के गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में चीतों के लिए एक दूसरे रहवास की परिकल्पना की गई है। इनपुट भाषा Edited By : Sudhir Sharma 
ये भी पढ़ें
Manipur Violence : मणिपुर में बिजली के खंभों और पाइप से बनाए हथियार, हिंसा में अ‍ब तक जा चुकी है 160 लोगों की जान