केन-बेतवा प्रोजेक्ट को लेकर जयराम रमेश पर CM मोहन यादव का पलटवार, कांग्रेस की लाइन ही विकास विरोधी
कांग्रेस नेता जयराम रमेश की केन-बेतवा लिंक परियोजना के विरोध में की गई सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने उन्हें आड़े हाथों लेते हुए आज कहा कि कांग्रेस बुंदेलखण्ड में हो रहे विकास कार्यों के साथ हैं या विरोध में, पार्टी को इसका जवाब देना चाहिए।
डॉ यादव ने कहा कि ये शब्द भले ही जयराम रमेश के हैं, लेकिन उसके पीछे के भाव राहुल गांधी और कांग्रेस परिवार के हैं। उन्होंने कहा कि जहां विकास का काम हुआ, गरीबों के लिए काम हुआ और हमारे संकल्पों की पूर्ति हुई, जिसमें समाज साथ आया, वहीं कांग्रेस के पेट में दर्द शुरू हो जाता है। जयराम रमेश की पोस्ट के पीछे के पूरे भाव राहुल गांधी के हैं और ये शब्द भी कांग्रेस परिवार के हैं। इनकी लाइन ही विकास विरोधी है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि कांग्रेस बुंदेलखण्ड में हो रहे विकास कार्यों के साथ हैं या विरोध में?
वहीं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और खजुराहो से लोकसभा सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने भी श्री रमेश का विरोध करते हुए कहा कि विकास विरोधी कांग्रेस गरीबों के जीवन में बदलाव आए, ये चाहती ही नहीं है।
श्री शर्मा ने कहा कि श्री रमेश के बयान से साबित होता है कि कांग्रेस न सिर्फ विकास विरोधी है, बल्कि गरीबों के जीवन में बदलाव न आए, ये चाहती है। जिस प्रकार से जयराम रमेश ने पोस्ट किया है, उन्होंने और कांग्रेस ने बुंदेलखंड की जनता का अपमान किया है। बुंदेलखंड की दशा और दिशा इस परियोजना से बदलने वाली है, यह केवल विकास की परियोजना नहीं, बल्कि सामाजिक और धार्मिक अनुष्ठान है।
उन्होंने बुंदेलखंड के कांग्रेस नेताओं से सवाल किया कि क्या वे जयराम रमेश की पोस्ट का समर्थन करते हैं।
कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मध्यप्रदेश के खजुराहो में बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए अति महत्वाकांक्षी मानी जा रही केन-बेतवा लिंक परियोजना की आधारशिला रखने के बाद श्री रमेश ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि इस कदम ने भाजपा की पर्यावरण और वन क्षेत्र के संदर्भ में कथनी-करनी में अंतर को बता दिया है। उन्होंने इस क्षेत्र में आने वाले पन्ना टाइगर रिजर्व का संदर्भ देते हुए कहा कि इस योजना से बाघों से बड़ी मुश्किलों से गुलजार हुए पन्ना टाइगर रिजर्व का 10 फीसदी से ज्यादा कोर क्षेत्र डूब जाएगा, जिससे न केवल बाघों का बल्कि दूसरे पशु-पक्षियों का जीवन भी संकट में आ जाएगा।
उन्होंने इसे पारिस्थितकी तंत्र और जैव विविधता के लिए भी बड़ा खतरा बताया। साथ ही इसके औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस परियोजना को क्रियान्वित करने के अन्य विकल्प भी हो सकते थे।