छिंदवाड़ा मॉडल वाले मुख्यमंत्री कमलनाथ क्या 'दिग्विजय मॉडल' पर चला रहे हैं सरकार?
भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस ने जोरशोर से प्रदेश की जनता के सामने छिंदवाड़ा के विकास मॉडल को प्रस्तुत किया था। खुद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और वर्तमान में सूबे के मुखिया कमलनाथ ने लोगों को भरोसा दिया था कि कांग्रेस की सरकार आने पर प्रदेश में छिंदवाड़ा का विकास मॉडल अपनाया जाएगा। लेकिन सरकार के कुछ फैसलों के बाद अब ये सवाल उठाए जा रहे हैं कि कमलनाथ सरकार क्या 15 साल पहले की दिग्विजय सरकार के मॉडल पर आगे बढ़ रही है।
खुद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और वर्तमान में सूबे के मुखिया कमलनाथ ने लोगों को भरोसा दिया था कि कांग्रेस की सरकार आने पर प्रदेश में छिंदवाड़ा का विकास मॉडल अपनाया जाएगा। कमलनाथ खुद उस वक्त की भाजपा सरकार को चुनौती देते थे कि अगर सही अर्थों में विकास देखना है तो छिंदवाड़ा का विकास देखें।
ऐसे में अब जबकि मुख्यमंत्री कमलनाथ को सत्ता में आए लगभग 6 महीने से अधिक का समय हो रहा है तब भी अब तक सरकार में कहीं भी छिंदवाड़ा का विकास मॉडल नजर नहीं आ रहा है। इसके ठीक उलट इस वक्त कमलनाथ सरकार लोगों की बेसिक जरुरत पानी और बिजली को लेकर बुरी तरह घिरती दिखाई दे रही है। बिजली और पानी की समस्या ने तो पूरे प्रदेश में कांग्रेस सरकार की भद्द पिटा दी है।
खुद कांग्रेस के ही विधायक और नेता-कार्यकर्ता अब अपनी ही सरकार को घेर रहे हैं। शुक्रवार रात होशंगाबाद में बिजली जाने पर युवक कांग्रेस के जिलाध्यक्ष समेत कई कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बिजली विभाग के जूनियर इंजीनियर की पिटाई कर दी। बिजली और पानी को लेकर लोगों में अक्रोश बढ़ता ही जा रहा है और सरकार के लिए यह चुनौतियां सुरसा के मुंह की तरह दिन-प्रतिदिन बड़ी होती जा रही हैं।
सूबे में इस समय बिजली और पानी को लेकर जो हाहाकार मचा हुआ है उससे लोगों में इस बात की चर्चा जोर पकड़ ली है कि क्या प्रदेश में 15 साल पुरानी दिग्विजय सरकार का समय लौट आया है? दूसरी ओर सरकार के कुछ फैसलों के बाद अब ये भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि कमलनाथ सरकार क्या 15 साल पहले की दिग्विजय सरकार के मॉडल पर आगे बढ़ रही है।
सियासी मैनेजमेंट में माहिर समझे जाने वाले मुख्यमंत्री कमलनाथ के अब तक के कार्यकाल को देखने के बाद अब सियासत के जानकार भी उनके सरकार चलाने के मैनेजमेंट पर सवाल उठाने लगे हैं। वेबदुनिया से बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार गिरिजाशंकर कहते हैं कि छिंदवाड़ा के विकास मॉडल पर कांग्रेस ने चुनाव में बहुत जोर दिया था और खुद कमलनाथ इस बात का श्रेय लेते थे कि उन्होंने छिंदवाड़ा का विकास मॉडल डेवलप किया है।
चुनाव के बाद कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि छिंदवाड़ा मॉडल पूरे प्रदेश में दिखाई देगा और सूबे में कमलनाथ के विकास का मॉडल सामने आएगा, लेकिन सरकार के अब तक के कार्यकाल में वो मॉडल कहीं नजर नहीं आया है इसके उलट जिस तरह सरकार फैसले ले रही है उससे लगता यही है कि वह दिग्विजय सरकार के मॉडल को सामने ला रहे हैं।
ऐसे में विरोधी दल भाजपा को बैठे बैठाए सरकार को घेरने का मुद्दा हाथ लग गया है। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव कहते हैं कि मुख्यमंत्री कमलाथ खुद को बड़ा मैनेजमेंट गुरु बताते हैं लेकिन प्रदेश में बिजली और पानी की व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है और अब मुख्यमंत्री कमलनाथ के सारे मैनेजमेंट फेल हो चुके हैं।
2003 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार की विदाई में बिजली और पानी की समस्या ने एक बड़ा रोल अदा किया था ऐसे में अब जबकि आने वाले समय में प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव और झाबुआ विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है तो सरकार की चिंता इस बात की है कि कहीं बिजली और पानी का मुद्दा उस पर भारी न पड़ जाए।