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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : बुधवार, 11 नवंबर 2020 (14:38 IST)

Special Report :बिहार के टॉप-5 बाहुबली नेताओं के चुनावी प्रदर्शन का पूरा रिपोर्ट कार्ड

बिहार चुनाव में कई बाहुबली नेताओं की दांव पर थी साख

Special Report :बिहार के टॉप-5 बाहुबली नेताओं के चुनावी प्रदर्शन का पूरा रिपोर्ट कार्ड - Bihar Election Result  2020 :Top-5 bahubali leaders report card  in bihar election
बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार कई बाहुबली नेताओं के प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई थी। किसी ने जेल में रहते हुए खुद चुनाव लड़ा और कई सलाखों के पीछे होने के चलते अपने बेटे और पत्नी के सहारे अपनी सियासी विरासत बचाने की जद्दोजहद में जुटा हुआ था।

हर चुनाव की तरह इस बार भी कई बाहुबली नेता चुनाव जीतकर कर अपना वर्चस्व और वजूद बनाए रखने में सफल हो गए तो कई ऐसे भी रहे जिनको उनके अपराधिक इतिहास और पृष्ठिभूमि के चलते लोगों ने बुरी तरह नाकार दिया। ‘वेबदुनिया’ पर बिहार के टॉप-5  बाहुबली नेताओं और उनके असर का पूरा रिपोर्ट कार्ड।   
 
बाहुबली पप्पू यादव- सबसे पहले बात उस बाहुबली नेता की जो बिहार विधानसभा के चुनावी मैदान में सीधे मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर अपनी दावेदारी जता रहा था। विधायक बनने के साथ-साथ मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर मधेपुरा विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में कूदे पप्पू यादव को जनता ने बुरी तरह नाकार दिया है। जनअधिकारी पार्टी के अध्यक्ष पप्पू यादव को मात्र 26,642 वोट मिले और मधेपुरा विधानसभा में तीसरे नंबर पर रहे। इस सीट पर आरजेडी के चंद्रशेखर ने जीत दर्ज की।
मधेपुरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले बाहुबली नेता राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव खुद तो हत्या-अपहरण जैसे संगीन 31 केसों में आरोपी थे पर विधानसभा चुनाव में लोगों से अपराध मुक्त बिहार बनाने का वादा कर रहे थे।
 
मुन्ना शुक्ला- बिहार के वैशाली जिले के लालगंज विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले बाहुबली मुन्ना शुक्ला को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। एक कलेक्टर और मंत्री की हत्या के आरोप में सलाखों के पीछे रह चुके मुन्ना शुक्ला टिकट नहीं मिलने पर जेडीयू का साथ छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़े थे लेकिन जनता ने उन्हें बुरी तरह नकार कर उनके सपने को तोड़ दिया। माफिया से माननीय बनने तक का सफर पहली बार 2002 के विधानसभा चुनाव में पूरा करने वाले मुन्ना शुक्ला तीन बार के विधायक रह चुके थे।
अनंत सिंह- चुनावी रण में बाहुबल के सहारे सियासत का ‘अनंत’ सफर जारी रखने वाले अनंत सिंह एक बार मोकामा विधानसभा सीट से चुनाव जीत गए है। पांचवी बार विधायक चुने गए अनंत सिंह पर कुल 38 केस दर्ज है। बेऊर जेल में बंद आरजेडी के उम्मीदवार अनंत सिंह ने बड़ी जीत हासिल करते हुए जेडीयू उम्मीदवार राजीव लोचन नारायण सिंह को 20,194 मतों से हराया। जेल में रहकर चुनाव लड़ने वाले अनंत सिंह को 38123 वोट हासिल हुए वहीं जेडीयू उम्मीदवार राजीव लोचन नारायण सिंह को 17929 वोट हासिल की है। बाहुबली अनंत सिंह का पूरा चुनाव प्रबंधन उनकी पत्नी संभाल रही थी। 
आनंद मोहन सिंह- बिहार की राजनीति में बाहुबल को एक ब्रांड वैल्यू के रूप में स्थापित करने वाले आनंद मोहन सिंह अपने परिवार के सहारे अपना सियासी रसूख बचाने की कोशिश में आधे कामयाब हो गए। गोपालगंज कलेक्टर की हत्या के आरोप में करीब दो दशक से जेल की सलाखों पीछे रहने वाले आनंद मोहन सिंह की पत्नी और बेटा विधानसभा चुनाव में लालू की पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में थे।

शिवहर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले बेटे चेतन आनंद ने जीत हासिल की है वहीं बाहुबली आनंद मोहन सिंह की पत्नी लवली आनंद सहरसा विधानसभा सीट से चुनाव हार गई है। लवली आनंद को भाजपा के आलोक रंजन ने 19,679 वोटों से हराया। 
बाहुबली शहाबुद्दीन– तीन दशक से अधिक समय से सीवान में अपनी सामानंतर सरकार चलाने वाले शहाबुद्दीन खुद तो चुनावी मैदान में नहीं थे लेकिन उनके समर्थन के चलते ही आरजेडी उम्मीदवार अवध बिहारी चौधरी ने जीत हासिल कर ली थी। चुनाव से ठीक पहले शहाबुद्दीन की पत्नी के चुनाव नहीं लड़ने के कारण आरजेजी ने अवध बिहारी चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया था। 
 
तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे शहाबुद्दीन नीतीश कुमार के कट्टर विरोधी है और इस बार चुनाव नतीजों में शहाबुद्दीन के गढ़ सीवान में महागठबंधन को बड़ी सफला मिली है। सीवान की आठ विधानसभा सीटों में 6 सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है। जेल जाने से पहले शहाबुद्दीन ने कहा था 2020 के चुनाव में मेरे समर्थक नीतीश कुमार को सबक सिखा देंगे और चुनाव परिणाम भी उसकी तस्दीक करते है।