पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के घातक कचरे से भरे 12 कंटेनर अनलोड, 18 फरवरी को होगी कोर्ट में सुनवाई
यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री कचरे को धार जिले के पीथमपुर स्थित संयत्र में लाकर निस्तारित करने की प्रक्रिया विरोध के बावजूद सवा महीने बाद फिर शुरू कर दी गई है।
Union Carbide waste: भोपाल गैस त्रासदी को 40 वर्ष हो गए हैं। यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री कचरे को धार जिले के पीथमपुर स्थित संयत्र में लाकर निस्तारित करने की प्रक्रिया विरोध के बावजूद सवा महीने बाद फिर शुरू कर दी गई है। इसी श्रृंखला में भोपाल से लाए गए कचरे के 12 कंटेनरों को अनलोड किया गया। इस मामले में
प्राप्त जानकारी के अनुसार यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के कचरे को धार जिले के पीथमपुर स्थित संयत्र में लाकर निस्तारित करने की प्रक्रिया विरोध के लगभग सवा महीने बाद फिर शुरू कर दी गई है। इसके लिए संयत्र में खड़े 12 वाहनों से कचरे से कंटेनरों को 42 वें दिन गुरुवार को उतारा गया। इन कंटेनरों में 337 टन रासायनिक कचरा भरा हुआ है। इन्हें कलेक्टर, एसपी व जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में उतारा गया। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर स्थित मुख्य पीठ में 18 फरवरी को कचरे के निस्तारण पर सुनवाई होनी है। इसमें राज्य सरकार की ओर से अब तक की कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी है।
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रासायनिक कचरे से भरे हुए कंटेनरों को ट्रकों के माध्यम से 2 जनवरी को तड़के पीथमपुर की मकी एनवायरो कंपनी में निष्पादन के लिए लाया गया था। कचरे के निष्पादन के विरोध में अगले दिन नागरिकों ने उग्र आंदोलन किया था। 6 जनवरी को हुई सुनवाई में हाई कोर्ट ने विरोधकर्ताओं को समझाने और विश्वास में लेने के बाद कचरा निष्पादन प्रक्रिया करने के निर्देश दिए थे।
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लेकिन दूसरी ओर पीथमपुर बचाओ समिति, पीथमपुर रक्षा मंच, विभिन्न राजनीतिक दलों के पदाधिकारी, नगर पालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि, श्रमिक संगठन, मानवाधिकार परिषद व आम नागरिक लगातार विरोध कर रहे हैं। पीथमपुर बचाओ समिति के हेमंत हीरोले ने बताया कि हाई कोर्ट की सुनवाई पूरी होने के पहले कचरे से भरे कंटेनरों को नहीं उतारने की मांग की गई थी, लेकिन इसे नहीं माना गया। ऐसे में अब में वे 15 फरवरी को भूख हड़ताल पर बैठेंगे। बुधवार को भी प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन किया था।(फ़ाइल चित्र)
Edited by: Ravindra Gupta