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Written By भाषा
Last Modified: शहडोल (मप्र) , बुधवार, 6 नवंबर 2013 (19:54 IST)

शहडोल में 112 मतदान केन्द्र नक्सल प्रभावित

शहडोल में 112 मतदान केन्द्र नक्सल प्रभावित -
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शहडोल (मप्र)। मध्यप्रदेश में 25 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए प्रदेश के अंतिम छोर पर स्थित शहडोल पुलिस जोन में 112 मतदान केन्द्र नक्सल प्रभावित होने की वजह से अति संवेदनशील माने गए हैं और सुरक्षा के लिहाज से यहां पुलिस की 27 कंपनियां तैनात की जाएंगी।

शहडोल पुलिस जोन के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) वेदप्रकाश शर्मा ने बताया कि इन कंपनियों में बीएसएफ, सीआरपीएफ, असम पुलिस, बिहार पुलिस और राजस्थान पुलिस के जवान शामिल होंगे तथा शहडोल जिले में 7, अनूपपुर जिले में 10, उमरिया जिले में 4 और डिंडोरी जिले में 6 कंपनियों को तैनात किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन की पहली प्राथमिकता इस जोन में स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं भयमुक्त चुनाव संपन्‍न कराना है। शहडोल पुलिस जोन में कुल 2487 मतदान केन्द्र हैं, जिनमें से 112 मतदान केन्द्र नक्सल प्रभावित श्रेणी में हैं। इनमें शहडोल जिले में 16, अनूपपुर जिले में 69 और डिंडोरी जिले में 25 केन्द्र शामिल हैं।


पुलिस महानिरीक्षक ने कहा कि जोन के उमरिया जिले में एक भी नक्सल प्रभावित मतदान केन्द्र नहीं है। इसी प्रकार इस जोन में 619 'क्रिटिकल' मतदान केन्द्र हैं, जिनमें से शहडोल जिले में 260, अनूपपुर जिले में 112, उमरिया जिले में 122 और डिंडोरी जिले में 125 केन्द्र शामिल हैं। उन्होंने बताया कि शहडोल पुलिस जोन की सीमा को चुनाव के दौरान दो दिन पहले सील किया जाएगा।

अंतरराज्यीय सीमा में पूरे जोन में 17 नाके हैं, जिसमें विशेष चौकसी की जाएगी। पड़ोसी छत्तीसगढ़ में इससे पहले होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए 18 एवं 19 और मध्यप्रदेश के चुनाव के दौरान 24 एवं 25 नवंबर को सीमा सील की जाएगी।

शर्मा ने कहा कि चुनाव के मद्देनजर मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ दोनों प्रदेशों के सीमावर्ती थानों को सीधे वायरलेस से जोड़ दिया गया है, जिसकी वजह से छत्तीसगढ़ एवं शहडोल पुलिस जोन के सीमावर्ती थानों के थाना प्रभारी सीधे वायरलेस से आपस में सूचना दे सकेंगे।

उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान जोन के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में उड़नदस्ता तैनात रहेंगे, जो कार्यपालक दण्डाधिकारी के नेतृत्व में काम करेंगे। इसी तरह प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में स्थाई निगरानी समिति भी कार्यपालक दण्डाधिकारी के नेतृत्व में काम करेगी। उन्होंने बताया कि इसमें शामिल कर्मचारियों के नंबर सार्वजनिक किए जाएंगे, ताकि आम जनता को किसी भी तरह की सूचना मिलने पर वे सीधे उन्हें सूचित कर सकें। (भाषा)