Last Modified: भोपाल ,
सोमवार, 9 दिसंबर 2013 (23:53 IST)
राहुल के प्रचार का मप्र में नहीं मिला लाभ
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भोपाल। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का मध्यप्रदेश में गत 25 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव में जादू नहीं चल पाया और यहां सत्तारुढ़ भाजपा ने कांग्रेस को पराजित कर लगातार तीसरी बार सरकार बनाने का कीर्तिमान कायम किया।
दिलचस्प पहलू यह है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की इस विधानसभा चुनाव में जहां-जहां आमसभाएं हुईं, वहां-वहां कांग्रेस की सीटें पहले से कम हो गई हैं।
राहुल गांधी ने इस प्रदेश में आधा दर्जन से अधिक चुनावी सभाएं कीं और इसके बावजूद कांग्रेस की 71 सीटें घटकर 58 हो गईं हैं।
कांग्रेस उपाध्यक्ष की पहली चुनावी सभा 17 अक्टूबर को शहडोल और ग्वालियर में हुई और उसका असर यह हुआ कि ग्वालियर की कुल छह सीटों में से पार्टी की 2008 में तीन सीटें थीं, जो इस बार घटकर दो रह गईं। शहडोल जिले की तीन सीटों में से केवल एक सीट पर ही कांग्रेस को सफलता मिली।
राहुल गांधी ने 24 अक्टूबर को राहतगढ़ और इंदौर में चुनावी सभाएं कीं। चुनाव परिणाम कांग्रेस के विपरीत निकले और इंदौर की नौ में से कांग्रेस के पास 2008 में तीन सीटें थीं, लेकिन अब केवल एक रह गई है और सागर जिले के सुरखी विधानसभा क्षेत्र के जिस राहतगढ़ में उनकी सभा हुई, वहां अब तक जीत दर्ज कराते रहे गोविंद सिंह राजपूत को मात्र 141 मतों के अंतर से पराजय का सामना करना पड़ा।
राहुल 20 नवंबर को आदिवासी बहुल कुक्षी और सीधी में चुनावी सभा को संबोधित करने आए थे, तो धार जिले की सात सीटों में से केवल दो सीटें कांग्रेस जीत पाई और धार जिले में 2008 में कांग्रेस के पास पांच सीटें थीं, जो अब घटकर दो रह गई हैं। हालांकि कुक्षी सीट पर उसके प्रत्याशी ने जीत हासिल की है।
सीधी जिले में कांग्रेस को जरूर लाभ पहुंचा है और वहां पार्टी तीन में से दो सीटों पर विजयी रही। मंदसौर और बालाघाट में भी राहुल गांधी की सभा हुई, लेकिन उसका पार्टी को कोई विशेष लाभ नहीं मिला।