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Last Updated : गुरुवार, 9 नवंबर 2023 (11:51 IST)

मध्यप्रदेश के सबसे दुर्गम मतदान केंद्र की कहानी, कैसे पहुंचेगा मतदान दल?

मध्यप्रदेश के सबसे दुर्गम मतदान केंद्र की कहानी, कैसे पहुंचेगा मतदान दल? - story of alirajpur voting center, How electoral officer will reach there
Madhya Pradesh election news : मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले में एक दुर्गम मतदान केंद्र ऐसा है जहां पहुंचकर विधानसभा चुनाव कराने के लिए निर्वाचन अधिकारियों को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के साथ पहले नाव से सफर करना पड़ेगा और उसके बाद पहाड़ी इलाके में मुश्किल पैदल यात्रा भी करनी होगी।
 
आदिवासियों के लिए आरक्षित अलीराजपुर विधानसभा क्षेत्र में यह मतदान केंद्र झंडाना के ग्राम पंचायत भवन में बनाया गया है। यह दुर्गम गांव मध्यप्रदेश के पड़ोसी गुजरात में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध की दीवार से टकराकर लौटने वाले पानी (बैक वॉटर) के डूब क्षेत्र में स्थित है।
 
बांध के पास के क्षेत्र में बरसों पहले आई बाढ़ के बावजूद आदिवासी समुदाय के करीब एक हजार लोग झंडाना गांव की अपनी मातृभूमि को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं, जबकि इस दुर्गम इलाके में बेहद मुश्किल हालात से जूझना पड़ रहा है। राज्य में 17 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए इस गांव के 763 लोगों को मताधिकार हासिल है।
 
झंडाना गांव अलीराजपुर के जिला मुख्यालय से महज 60 किलोमीटर दूर है, लेकिन विकास और बुनियादी सुविधाओं की दौड़ में कई दशक सा पिछड़ा लगता है।
 
चुनावी दौर में गांव के इक्का-दुक्का घरों पर ही राजनीतिक दलों के झंडे लगे दिखाई दे रहे हैं, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि अब तक कोई भी उम्मीदवार उनके गांव में वोट मांगने नहीं आया है।
 
क्यों नहीं बनी सड़क : अलीराजपुर के जिलाधिकारी अभय अरविंद बेडेकर ने बताया कि जल मार्ग के अलावा झंडाना तक पहुंचने के लिए एक ही मार्ग है, लेकिन इस रास्ते के इस्तेमाल करने पर करीब पांच किलोमीटर पैदल चलना होता है। उन्होंने बताया कि ग्रामीणों ने प्रशासन से 3.5 किलोमीटर लंबी पक्की सड़क बनाने की मांग की है।
 
बेडेकर ने कहा कि ग्रामीण जिस पक्की सड़क की मांग कर रहे हैं, वह वन भूमि से होकर गुजरती है। हमने सड़क बनाने की मंजूरी के लिए वन विभाग को पत्र लिखा है। यह मंजूरी मिलते ही हम दूरस्थ ग्राम सड़क योजना के तहत झंडाना में पक्की सड़क बनाना शुरू कर देंगे।
 
उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को आपात स्थिति में नजदीकी अस्पताल ले जाने के लिए प्रशासन मोटर बोट तैयार रखता है।

क्या कहते हैं ग्रामीण : झंडाना के अधिकांश लोग भीली बोली में बात करते हैं। गांव की निवासी वंदना (23) ने बताया, 'हमारे गांव में सड़क की समस्या है और बाहरी दुनिया से संपर्क के लिए हमें नाव का सहारा लेना पड़ता है। गांव में जब भी कोई व्यक्ति बीमार पड़ता है, तो हम उसे नाव से ही पास के अस्पताल ले जाते हैं।'
 
दसवीं तक पढ़ी महिला ने बताया कि बारिश के बाद बांध के बैकवॉटर का स्तर बढ़ने से हर साल जीवन-यापन में मुश्किलें आती हैं और यही वजह है कि गांव के कई लोग रोजगार के लिए पलायन करके गुजरात चले गए हैं।
 
बांध के अथाह बैक वॉटर से घिरे होने के बावजूद सबसे बड़ी विडंबना यह है कि गांव में पीने के पानी का संकट है। ग्रामीणों के मुताबिक गर्मियों में हालात और विकट हो जाते हैं।
 
झंडाना में मछली पकड़ने का काम करने वाले प्रेम सिंह सोलंकी (35) ने कहा, 'नेताओं ने पिछले चुनावों में हमारे गांव के घरों तक पीने का पानी पहुंचाने का वादा किया था जो अब तक पूरा नहीं किया गया है। गांव में इंसानों और मवेशियों, दोनों के लिए पीने के पानी का संकट है।'
 
सोलंकी के मुताबिक, गांव वालों ने नलकूप लगवाने की कोशिश भी की, लेकिन पहाड़ी इलाके की पथरीली जमीन में पानी नहीं निकला। (भाषा)
Edited by : Nrapendra Gupta 
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