ग्वालियर विधानसभा सीट पर पुराने चेहरों के बीच नया मुकाबला, दांव पर सिंधिया की भी प्रतिष्ठा!
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में ग्वालियर विधानसभा सीट सबसे चर्चित विधानसभा सीटों में से एक है। ग्वालियर विधानसभा सीट पर वर्तमान में भाजपा का कब्जा है और वर्तमान विधायक प्रद्युम्न सिंह तोमर शिवराज सरकार में मंत्री है। भाजपा ने इस बार फिर प्रद्युम्न सिंह तोमर को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं कांग्रेस ने इस बार फिर सुनील शर्मा पर दांव लगाया है। कांग्रेस उम्मीदवार सुनील शर्मा को 2020 में हुए उपचुनाव में प्रद्युम्न सिंह तोमर के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा था।
दांव पर प्रदुमन सिंह तोमर की प्रतिष्ठा-2018 के विधानसभा चुनाव में प्रदुमन सिंह तोमर कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने थे लेकिन मार्च 2020 में वह ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे, बाद में उपचुनाव में भी प्रदुमन सिंह तोमर ने अपनी सीट पर कब्जा बरकरार रखा था। उपचुनाव में प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कांग्रेस उम्मीदवार सुनील शर्मा को 33,123 वोटों हराया था। प्रद्युम्न सिंह तोमर की गिनती सिंधिया के कट्टर समर्थकों में होती है और इस बार विधानसभा चुनाव में ग्वालियर विधानसभा सीट पर प्रदुमन सिंह तोमर के साथ केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है।
अपनों से घिरे कांग्रेस उम्मीदवार सुनील शर्मा-कांग्रेस ने ग्वालियर विधानसभा सीट पर अपने पुराने चेहरे सुनील शर्मा में विरोध का सामना करना पड़ रहा है। सुनील शर्मा के टिकट का एलान होते ही टिकट के अन्य दावेदार राजेंद्र तोमर, योगेश तोमर, सौरभ तोमर अशोक तोमर और वीर सिंह ने सामूहिक प्रेस कॉफ्रेंस कर टिकट का विरोध करते हुए कहा कि पार्टी नेतृत्व के फैसले को गलत ठहराया। दरअसल राजेंद्र सिंह तोमर अपनी पत्नी मंजूलता तोमर के लिये टिकट के दावेदारी कर रहे थे लेकिन पार्टी ने एक बार पुराने चेहरे पर ही दांव लगाया है।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं की विरोध की एक वजह सुनील शर्मा का एक समय में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीब होना है। दरअसल मार्च 2020 में सिंधिया के भाजपा में शामिल होने से पहले सुनील शर्मा की गिनती सिंधिया के करीब नेताओं में होती थी। मार्च 2020 में सिंधिया जब कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए तो प्रदुय्मन सिंह तोमर सिंधिया के साथ भाजपा में चल गए लेकिन सुनील शर्मा कांग्रेस में रहे और दिसबंर 2020 का उपचुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़े थे।
सीट का जातीय समीकरण- ग्वालियर विधानसभा सीट पर 6 बार भाजपा और 5 बार कांग्रेस जीत चुकी है और इस बार भी मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में ही है। ग्वालियर विधानसभा सीट के जातिगत समीकरण की बात करें तो इस सीट पर क्षत्रिय और ब्राह्मण वोटर्स के साथ SC/ST वोटर्स की बड़ी संख्या है। ब्राह्मण वोटर्स की संख्या 35 हजार, क्षत्रिय वोटर्स की संख्या 24 हजार और SC/ST वोटर्स की संख्या 30 हजार के करीब है। इसके अलावा मुस्लिम समाज के वोटर्स की संख्या 16 हजार, वैश्य वोटर्स की संख्या 14 हजार और कुशवाह वोटर्स की संख्या 12 हजार है।
इस बार विधानसभा चुनाव में मुद्दा-ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा चुनाव में इस बार दो पुराने चेहरों के बीच मुकाबला होने के चलते मुद्दें स्थानीय है। चुनावी मैदान में उतरे मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर लगातार क्षेत्र की जनता के बीच सक्रिय होने का दावा करते है वहीं कांग्रेस प्रत्याशी सुनील शर्मा इसे महज दिखावा बताते है। ग्वालियर विधानसभा में आने वाली जेसी मिल के विस्थापतियों का पुर्नवास का मुद्दा भी इस चुनाव में काफी प्रभावी नजर आ रहा है। कांग्रेस चुनाव में एंटी इनकम्बेंसी के मुद्दे को भुनाकर इस सीट पर उलटफेर की संभावन तलाश रही है। वहीं भाजपा इस गढ़ को अभेद्य बनाकर ग्वालियर जिले में 2018 की तुलना में अपना प्रदर्शन बेहतर करने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है।