विधानसभा चुनाव में ग्वालियर जिले का सियासी समीकरण
ग्वालियर की 6 विधानसभा सीटों का सियासी समीकरण
2023 की बिसात में किसका किससे होगा सीधा मुकाबला?
ग्वालियर में क्यों दांव पर लगी है सिंधिया की प्रतिष्ठा?
ग्वालियर में चेहरे पर क्यों फंस रही भाजपा?
MadhyaPradesh Political News-मध्यप्रदेश में मौजूदा साल के आखिरी महीनों (नवंबर-दिसंबर) में विधानसभा चुनाव संभावित है और चुनाव में जीत की संभावनाओं को लेकर सियासी दलों के साथ टिकट के दावेदारों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। प्रदेश का पूरा माहौल चुनावी हो गया है। दिल्ली के नेताओं के प्रदेश के दौरे बढ़ गए है तो जिलों में दावेदारों आयोजनों के माध्यम से टिकट के लिए अपनी दावेदारी ठोंक रहे है। चुनावी साल में वेबदुनिया भी अपने पाठकों को हर जिले की चुनावी नब्ज से रूबरू कराने के लिए हर जिले की चुनावी ग्राउंड रिपोर्ट लेकर आया है।
प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले सबसे अधिक सियासी उठापटक और सियासी पारा ग्वालियर-चंबल में गर्माया हुआ है। इसकी वजह अंचल के 8 जिलों में आने वाली 34 विधानसभा सीटें है। 2018 में कांग्रेस ने जिस ज्योतिरादित्य सिंधिया के चेहरे पर ग्वालियर चंबल की 34 सीटों मे से 26 सीटों पर जीत हासिल की थी वह ज्योतिरादित्य सिंधिया अब भाजपा के साथ है। ऐसे में इस बार विधानसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ पूरी भाजपा की प्रतिष्ठा ग्वालियर-चंबल के साथ ग्वालियर में दांव पर लगी है। ग्वालियर-चंबल की राजनीति का मुख्य केंद्र ग्वालियर है। इसकी वजह ज्योतिरादित्य सिंधिया की गृह नगर ग्वालियर होने के साथ भाजपा के दूसरे दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का भी ग्वालियर से आना है। ऐसे में ग्वालियर जिले की 6 विधानसभा सीटों पर क्या समीकऱण है इसको लेकर 'वेबदुनिया' की विधानसभा सीटवार खास रिपोर्ट।
ग्वालियर जिले के वर्तमान सियासी समीकरण-ग्वालियर जिले में कुल 6 विधानसभा सीटें आती है। जिसमें 3 विधानसभा सीटें शहर में आती है और तीन विधानसभा सीटें ग्रामीण इलाकों में आती है। वर्मतान में जिले की 6 विधानसभा सीटों में 4 पर कांग्रेस और 2 पर भाजपा का कब्जा है। ग्वालियर और ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा सीट पर भाजपा के विधायक है दोनों ही विधायक वर्तमान की शिवराज सरकार में मंत्री है।
1-ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा सीट-ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा सीट से वर्तमान में भाजपा के विधायक भारत सिंह कुशवाह शिवराज सरकार में मंत्री उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण मंत्री है और लगातार दो बार 2013 और 2018 से ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा सीट से विधायक है। इस बार भी विधानसभा चुनाव में ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा सीट से भारत सिंह कुशवाह भाजपा के टिकट एक मात्र मजबूत दावेदार है और वह पूरी ताकत के साथ विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय है। भारत सिंह कुशवाह लगातार क्षेत्र को विकास कार्यों की सौगात देने के साथ विधानसभा क्षेत्र में कई बड़ी परियोजनाओं की सौगात दे रहे है।
वहीं दूसरी और ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा में विपक्ष बंटा हुआ नजर आ रहा है। 2018 के विधानसभा चुनाव बसपा के टिकट पर लड़े साहिब सिंह गुर्जर अब कांग्रेस में है और टिकट की दावेदारी कर रहे है लेकिन उनका स्थानीय स्तर पर कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ता उनका विरोध कर रहे है। वहीं कांग्रेस के दूसरे टिकट दावेदार प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष अशोक सिंह है। अशोक सिंह की छवि कांग्रेस का निष्ठावान कार्यकर्ता होने के साथ दिग्विजय सिंह के करीबियों में होती है। ऐसे में अब कांग्रेस से टिकट किसको मिलेगा यह कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पर निर्भर होगा।
2-ग्वालियर विधानसभा सीट-ग्वालियर विधानसभा सीट पर वर्तमान में भाजपा का कब्जा है और वर्तमान विधायक प्रदुमन सिंह तोमर शिवराज सरकार में मंत्री है। 2018 के विधानसभा चुनाव में प्रदुमन सिंह तोमर कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने थे लेकिन मार्च 2020 में वह ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे, बाद में उपचुनाव में भी प्रदुमन सिंह तोमर ने अपनी सीट पर कब्जा बरकरार रखा था। प्रदुमन सिंह तोमर की गिनती सिंधिया के कट्टर समर्थकों में होती है और उनका इस चुनाव में भी टिकट तय माना जा रहा है। प्रदुमन पूरी ताकत के साथ विधानसभा क्षेत्र में जुटे है और अक्सर विधानसभा क्षेत्र में किए गए कार्यो के चलते मीडिया की सुर्खियों में रहते है।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रदुमन सिंह तोमर को टक्कर देने के लिए किसी क्षत्रिय चेहरे पर अपना दांव लगा सकती है। कांग्रेस की ओर से टिकट के दावेदारों में योगेंद्र सिंह तोमर और राजेंद्र नाती का नाम प्रमुख है। इसके अलावा कांग्रेस चुनाव किसी युवा चेहरे को भी यहां से उतार सकती है।
3-ग्वालियर दक्षिण विधानसभा सीट-ग्वालियर दक्षिण विधानसभा सीट पर वर्तमान में कांग्रेस में कांग्रेस का कब्जा है और मौजूदा विधायक प्रवीण पाठक के टिकट को लेकर कोई संशय नहीं है। ग्वालियर में कांग्रेस के युवा चेहरे माने जाने वाले प्रवीण पाठक लगातार क्षेत्र में सक्रिय है और पदयात्रा के माध्यम से घर-घर तक पहुंच रहे है। वहीं ग्वालियर दक्षिण से भाजपा की तरफ से टिकट के कई दावेदार है। 2018 के विधानसभा चुनाव में मामूली अंतर से हराने वाले नारायण सिंह कुशवाह इस बार भी टिकट की दावेदारी कर रहे है लेकिन पार्टी संगठन की ओर से उन्हें ओबीसी मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने से उनकी दावेदारी कमजोर हो गई है। वहीं भाजपा की तरफ से टिकट की दूसरी मजबूत दावेदार पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता है। 2018 के विधानसभा चुनाव में समीक्षा गुप्ता ने अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई थी। टिकट के लिए समीक्षा गुप्ता खासा सक्रिय है।
4-भितरवार विधानसभा सीट-भितरवार विधानसभा सीट पर कांग्रेस के लाखन सिंह लगातार अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए है। तीन बार से (2008,2013 और 2018) लगातार बड़े अंतर से चुनाव जीत रहे लाखन सिंह इस बार भी भितरवार से कांग्रेस के एकमात्र टिकट के दावेदार है और पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में डटे है। वहीं भाजपा के तरफ से भितरवार विधानसभा से टिकट के कई दावेदार है। पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा एक बार फिर भितरवार से टिकट की दावेदारी कर रहे है लेकिन 2013 और 2018 का चुनाव लाखन सिंह से हारने के बाद उनकी दावेदारी कमजोर पड़ रही है। भाजपा भितरवार से इस किसी नए चेहरे को चुनाव मैदान में उतार सकती है। इसमें प्रदेश भाजपा मीडिया सेल के प्रमुख लोकेंद्र पराशर और पूर्व जिला पंचायत सदस्य रानी कुशवाह का नाम प्रमुख है। भितरवार में कुशवाह वोटरों की अच्छी खासी संख्या होने से रानी कुशवाह की दावेदारी मजबूत दिखाई दे रही है।
5-डबरा विधानसभा सीट-डबरा विधानसभा सीट से 2018 के विधानसभा चुनाव में इमरती देवी चुनाव जीती थी जो ज्योतिरादित्य सिंधिया की कट्टर समर्थक है। ज्योतिरादित्य सिधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद इमरती भाजपा में शामिल हुई और उपचुनाव में उनको हार का सामना करना पड़ा। उपचुनाव में कांग्रेस के सुरेश राजे से हार का सामना करने के बाद इमरती देवी ने सार्वजनिक तौर पर अपनी हार का ठीकरा अपनों पर ही फोड़ा था। ऐसे में इस बार भी विधानसभा चुनाव में इमरती देवी और सुरेश राजे के बीच ही चुनावी मुकाबला होने के आसार है। सिंधिया की करीबी होने के चलते इमरती देवी का टिकट लगभग तय माना जा रहा है।
6-ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट-ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट पर वर्तमान में कांग्रेस के सतीश सिकरवार का कब्जा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर सिंधिया समर्थक मुन्नालाल गोयल विधानसभा चुनाव जीते था। सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल होने के बाद उपचुनाव में मुन्नालाल गोयल भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े जहां उनका मुकाबला भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए सतीश सिकरवार से हुआ और चुनाव में मुन्नालाल गोयल को हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में अब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से वर्तमान विधायक सतीश सिकवार को फिर से मौका मिलना तय है वहीं भाजपा से कौन चुनाव लड़ेगा इस पर संशय है। सिंधिया समर्थक मुन्नालाल गोयल चुनाव की तैयारी कर रहे है लेकिन उनकी दावेदारी मजबूत नहीं मानी जा रही है। ऐसे में भाजपा ग्वालियर पूर्व से किसी नए चेहरे को चुनावी मैदान में उतार सकती है।
गढ़ में सिंधिया को घेरने में जुटी कांग्रेस- कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनके गढ़ में ही घेरने के लिए कांग्रेस ने पूरी व्यूह रचना तैयार कर ली है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को सिंधिया को उनके ही घर में घेरने के लिए कांग्रेस ने पूरी जिम्मेदारी सौंपी है। इसकी कड़ी में पिछले दिनों दिग्विजय सिंह ने सिंधिया पर तीखा हमला बोलते हुए कहा था कि "हे प्रभु हे महाकाल! ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसा दूसरा नेता कांग्रेस में पैदा न हो"। वहीं दिग्विजय सिंह के इस बयान के बाद भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उन पर पलटवार किया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट करते हुए लिखा कि "हे प्रभु महाकाल! कृपया दिग्विजय सिंह जैसे देश विरोधी और मध्यप्रदेश के बंटाधार भारत में पैदा ना हो"।
(विधानसभा चुनाव को लेकर 'वेबदुनिया' की चुनावी ग्राउंड रिपोर्ट की सीरिज की अगली खबर में पढ़िए क्या है ग्वालियर को लेकर वरिष्ठ पत्रकारों और सियासी दलों के नेताओं का नजरिया?)