नेपोलियन का पत्र डिजायरी के नाम
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नेपोलियन : जिसने प्यार और युद्ध दोनों में मैदान जीते... असंभव शब्द जिसके कोश में नहीं था... वही प्यार के सम्मुख किस तरह घुटने टेककर गिड़गिड़ाता है...)प्रिये,मैं एविग्नान बहुत ही उदास मन लेकर पहुँचा हूँ, क्योंकि इतनी लंबी देर तक मुझे तुमसे अलग रहना पड़ा है। यह यात्रा मुझे बहुत ही कठिन लगी है। मेरी प्यारी यूजैनी अक्सर अपने प्रिय की याद करती होगी और जैसा कि उसने वादा किया है, वह उसे प्यार करती रहेगी। बस, यही आस मेरे दुःख को कम कर सकती है और मेरी स्थिति को सहज बना सकती है। मुझे तुम्हारा कोई भी पत्र पेरिस पहुँचने से पहले नहीं मिल पाएगा। यह बात मुझे प्रेरित करेगी कि मैं और तेज भागूँ और वहाँ पहुँचकर देखूँ कि तुम्हारे समाचार मेरी प्रतीक्षा कर रहे हैं। ड्यूरेंस में बाढ़ आ जाने के कारण मैं इस स्थान पर जल्दी नहीं पहुँच सका। मैं तुम्हारी माँ का काम भी नहीं कर सका। मामूली-सा कारण यह हुआ कि मैं उस प्रार्थना पत्र और उन सिफारिशी चिट्ठियाँ को भूल आने की बेवकूफी कर बैठा। कल संध्या को मैं लियंस पहुँच जाऊँगा। मेरी प्यारी! मेरी मधुर रानी, विदा! मुझे भूलना मत और उसे प्यार करतीरहना, जो जीवन-भर के लिए तुम्हारा है।' -
नेपोलियन बोनापार्ट (
डिजायरी नेपोलियन की सर्वप्रथम प्रेमिका थी, जिसे नेपोलियन जीवनभर नहीं भूल सका । जब वह वाटरलू में युद्ध पर गया तो अपने कागजात यहाँ तक कि अपनी पत्नी लूसी के पत्र तक डिजायरी के पास रख गया। डिजायरी जो कि एक मामूली घराने की लड़की थी, फ्रांस की नहीं तोस्वीडन की रानी बन गई...)