ये माना कि हम तुम्हारे प्यार के क़ाबिल नहीं, हम हैं क्या, ये उनसे पूछो, जिन्हें हम हासिल नहीं....
एक थी मधुबाला...भारतीय सिनेमा की वीनस, क्लासिक ब्यूटी.. जो देखे, कायल हो जाए। न जाने कितनों ने उस हुस्न की मलिका को दिल देना चाहा होगा। उसे अपनी शरीके-हयात बनाना चाहा होगा। लेकिन चांद हरेक को नसीब नहीं होता, पर चांदनी में हर कोई नहाने का एहसास तो महसूस कर ही सकता है।
मधुबाला की जिंदगी में भी तीन पड़ाव आए- उनका पहला प्रेम प्रेमनाथ से हुआ, जब वे दोनों फिल्म बादल में साथ-साथ काम कर रहे थे। लेकिन वो प्रेम का क्षणभंगुर एहसास ही निकला। प्रेमनाथ का कहना है कि दिलीप कुमार उस वक्त उनके जिगरी दोस्त थे और वे भी मधुबाला को चाहते थे। उन्हीं के लिए प्रेमनाथ ने अपने प्यार की कुर्बानी दी। कई निर्माता
प्रेमनाथ को अपनी फिल्मों में लाने के लिए मधुबाला को बीच में डालते, प्रेमनाथ ने बीना राय से विवाह कर लिया, तो मधुबाला को गहरा सदमा पहुँचा। ये था प्रेम का तड़प भरा एहसास और कुर्बानी के साये में पहले प्यार की प्यास। उस दौर के बहुत से लोगों का कहना है कि मधुबाला ने प्रेमनाथ के बाद दिलीप कुमार से सच्चा प्यार किया था। लेकिन मधुबाला का परिवार अकारण ही प्यार के बीच दीवार बन गया। लेकिन जब किशोर कुमार ने मधुबाला की जिंदगी में कदम रखा, तो उनकी दुनिया ही बदल गई।
आखिरकार दो टूटे हुए दिल एक हुए और शादी के बंधन में बंध गए। उस वक्त तक मधुबाला का शरीर जर्जर हो चुका था। वह विवाह निःस्वार्थ प्रेम की एक मिसाल है। किशोर कुमार के उस प्रेम के बलबूते पर ही बधुबाला नौ-दस वर्ष और जी सकीं। अक्सर अफसाने हकीकत में बदलते हैं, लेकिन उस प्यार की हकीकत अफसाना बन गई।
सदाएं खामोशियों में बंद रहती हैं मगर वो खामोशी ही क्या, जो टूट कर सदा हो जाए।