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सोहनी-महिवाल : मोहब्बत की एक अनोखी कथा
गुरुवार,जुलाई 25, 2019
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टाइपिंग कोचिंग सेंटर में विजय का पहला दिन था। वह अपनी सीट पर बैठा टाइप सीखने के लिए नियमावली पुस्तिका पढ़ रहा था। तभी उसकी निगाह अपने केबिन के गेट की तरफ गई। कजरारे नयनों वाली एक साँवली लड़की उसकी केबिन में आ रही थी।
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मंगलवार,फ़रवरी 13, 2018
वे प्रेमकहानियां ही हैं, जो न केवल इस शब्द और एहसास के आकर्षण को बढ़ाती हैं, बल्कि प्रेम के अस्तित्व को सदियों तक जिंदा रखकर, हर जुबान पर इसका मीठा स्वाद बनाए रखती हैं। ऐसी कई प्रेमकहानियां हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों की मिट्टी में सिर्फ सुगंध सी ...
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राजा भीम की पुत्री दमयंती और निषध के राजा वीरसेन के पुत्र नल दोनों ही अति सुंदर थे। दोनों ही एक-दूसरे की प्रशंसा सुनकर बिना देखे ही एक-दूसरे से प्रेम करने लगे थे। दमयंती के स्वयंवर का आयोजन हुआ तो इन्द्र, वरुण, अग्नि तथा यम भी उसे प्राप्त करने के ...
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खुसरो ने फरहाद को बुलवाया और शीरीं से मिलवाया ताकि उसकी सलाह पर फरहाद नहर की खुदाई कर सके। शीरीं को देखते ही फरहाद उसका दीवाना हो गया। नहर खोदते-खोदते फरहाद शीरीं के नाम की रट लगाने लगा। पढ़ें प्रेम कथा...
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दमिश्क के मदरसे में जब उसने नाज्द के शाह की बेटी लैला को देखा तो पहली नजर में उसका आशिक हो गया। मौलवी ने उसे समझाया कि वह प्रेम की बातें भूल जाए और पढ़ाई में अपना ध्यान लगाए, लेकिन प्रेम दीवाने ऐसी बातें कहां सुनते हैं।
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राजकवि विल्हण राजा के विश्वासपात्र थे। इसलिए राजा ने राजकुमारी रतिलेखा की शिक्षा-दीक्षा की सारी जिम्मेदारी उन्हें सौंप दी। किंतु विल्हण अति सुंदरी रतिलेखा को काव्य पढ़ाते-पढ़ाते प्रेम शास्त्र पढ़ाने लगे और एक दिन जब रतिलेखा और विल्हण गंधर्व विवाह करके ...
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आदिवासी अंचलों में प्यार के लिए प्राण न्योछावर करने की उदात्त परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसका उदाहरण 'झिटकू-मिटकी' की पूजा से मिलता है।
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हम लोग होलिका को एक खलनायिका के रूप में जानते हैं लेकिन हिमाचल प्रदेश में होलिका के प्रेम की व्यथा जन-जन में प्रचलित है। इस कथा को आधार मानें तो होलिका एक बेबस प्रेयसी नजर आती है जिसने प्रिय से मिलन की खातिर मौत को गले लगा लिया।
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मंगलवार,फ़रवरी 14, 2017
नई शादी हुई थी वीरजी भील की। धीरा उसकी पत्नी का नाम था। अत्यंत सुंदर और बहादुर औरत। तीर-कामठी (धनुष-बाण) लेकर वीर जी शिकार के लिए जंगल गया था, दिनभर घूमता रहा। शिकार न मिला। थककर चूर वह एक पत्थर पर सो गया।
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रिया ने अभी नौवीं की परीक्षा पास की थी ।वो गर्मी कि छुट्टियां ही थी, जब छत पर हर शाम एक दूसरे की झलक दिखाई देती थी। घर बहुत पास भी नहीं था इसीलिए चेहरा भी धुंधला सा ही दिखाई देता था। लेकिन छत पर उसका होना ही दिल के रूमानियत के हजारों जज्बातों से भर ...
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बुधवार,मार्च 31, 2010
हँसो मत समीरा। पूरा खत पढ़ लो फिर चाहे जो करना। इस शेर का बुरा मत मानना डियर। तुम सोच रही हो कि क्या आज भी मेरे पास इस सस्ते सड़क छाप शेर के अलावा कुछ लिखने को नहीं है। मुँह का स्वाद अगर खराब हो गया है तो माफी चाहता हूँ... पर क्या करूँगा, मैं हूँ ही ...
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शनिवार,मार्च 13, 2010
मैं यकीन नहीं कर सकती
क्या? यही कि तुमने जिंदगी में पच्चीस-छब्बीस बसंत देखे लेकिन उसमें बहार कभी नहीं आई। इसमें यकीन न करने जैसी तो कोई बात नहीं है।
नहीं, क्योंकि शक्ल-ओ-सूरत उतनी बुरी भी नहीं है। मतलब बुरी तो है।
नहीं, मेरा मतलब ऐसी नहीं है कि ...
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कपिल ने कागज ले लिया और चश्मा पहनकर पढ़ने लगा। भावुकता और शेर-ओ-शायरी से भरा एक बचकाना मजमून था। उस कागज को पढ़ते हुए सहसा कपिल के चेहरे पर खिसियाहट भरी मुस्कान फैल गई। बोला, 'यह आपको कहाँ से मिल गया? बहुत पुराना खत है। तीस बरस पहले लिखा गया था।'
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मंगलवार,मार्च 2, 2010
खिड़की के बाहर गर्मी की रात बिखरी हुई है, गर्मी की गुनगुनी-सी रात। खिड़की से सटकर लगी हुई रातरानी की झाड़ी के फूलों की मादक गंध खिड़की के परदे से अठखेलियाँ कर रही हवा के साथ कमरे में आ रही है। खिड़की के छज्जे पर लदी हुई रंगून क्रीपर की तलर भी लाल, ...
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बुधवार,फ़रवरी 17, 2010
एक सूफी संत अपने शिष्यों के साथ दुग्ध-धवल चांदनी रात में अपने घर की छत पर ईश्वर आराधना में मग्न थे। कौतुकवश एक नवयुवक भी वहां आया और चुपचाप सत्संग में शामिल हो गया, उसे बड़ा आनंद आया। इतना सुकून, इतनी शांति तो उसे कभी नहीं मिली थी। संत ने भी उसे ...
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मेरे बाकी बचे जीवन में कभी भी और कहीं भी अगर तुम्हारा मुझसे सामना हो जाए तो भगवान के लिए अपना रास्ता बदल देना या फिर अपना मुँह फेर लेना। क्योंकि मैं जानता हूँ कि जब कभी भी मैं तुम्हारा चेहरा देखूँगा तब मुझे सिर्फ एक ही बात का अफसोस रहेगा कि मैंने इस ...
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रीटा ने राजीव की इस बात का जवाब देना मुनासिब नहीं समझा और अपने बेटे के पास जाकर कहा' सोहम, बेटा यह राजीव अंकल हैं उन्हें हैलो कहो। सोहम ने मीठी मुस्कान के साथ राजीव को हैलो कहा। उसकी मुस्कान को देखकर राजीव अपनी कड़वाहट और गुस्सा भूल गया, उसने ...
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गुरुवार,सितम्बर 24, 2009
संगीत के रसिकों में कोई व्यक्ति शायद अपवाद ही होगा जिसने बीथोवन की सिम्फनी सुनी न हो या जिसके दिल के तार ऐसी अलौकिक, अप्रतिम धुन से झनझनाए न हों। बॉन, जर्मनी में 16 सितंबर 1770 को जन्मे लुडविग वेन बीथोवन का बचपन गरीबी, घुमक्कड़ी और संगीत की संगत में ...
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मंगलवार,अगस्त 25, 2009
इतना मजबूर तो लिली मैंने कभी तुम्हें नहीं पाया। फिर आज क्यों? क्या मेरे प्यार से तुम्हें इतनी भी ताकत नहीं मिली कि केवल 10 मिनट का समय निकालकर यह सब बातें मुझे मिलकर या फोन पर ही बता सको। लिली इस दास्तान का अंत मैं केवल तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता ...
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