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Written By ND

थोड़ी दूर, थोड़े पास से मिलती खुशी

लव-मंत्र

लवमंत्र
मानसी

NDND
हेलो दोस्तो! कछुए और खरगोश की कहानी हम सभी जानते हैं। धीमे ही सही किंतु लगातार चलकर ही हम अपनी मंजिल पर पहुँच पाते हैं। तेज दौड़ने के चक्कर में हम औंधे मुँह गिर भी सकते हैं। रिश्तों के साथ भी ऐसा ही होता है। जल्दबाजी में आकर किसी निष्कर्ष पर पहुँचने के बजाय प्यार में धीरे-धीरे आगे बढ़ना बहुत ही प्यारा लव-मंत्र है।

अक्सर वही रिश्ते सफल माने जाते हैं जिसे प्यार के साथ लंबे समय तक निभाया गया हो। लंबे समय तक साथ देने के लिए एक-दूसरे को समझना जरूरी होता है। कई रिश्ते उन्मादी ढंग से शुरू होते हैं और देखते ही देखते बिल्कुल खत्म हो जाते हैं। किसी कारणवश जब दो व्यक्तियों को आपस में आकर्षण महसूस होता है तो वे एक-दूसरे के करीब आने लगते हैं। एक-दूसरे का साथ पाना ही मात्र उनका उद्देश्य रह जाता है। एक साथ समय बिताकर उन्हें संतुष्टि का अहसास होता है।

दरअसल, जीवन में हर रिश्ते किसी न किसी रिक्तता के कारण ही जन्म लेते हैं। उस खालीपन के भरने का अहसास हमें बहुत खुशी देता है पर चारों ओर के हालात के कारण यह स्थिति बदलने लगती हैं। उस व्यक्ति या संबंध से संबंधित अनेक कठिनाइयाँ धीरे-धीरे सामने आने लगती हैं। समस्याओं के बावजूद रिश्ता तो बना रह जाता है पर उसका मनोरंजन पक्ष गायब होने लगता है।

जब तक हमें कोई चीज नहीं मिलती है, तब तक हम यही सोचते हैं कि उसका मिल जाना ही सारी आकांक्षाओं का अंत है। उससे जुड़ी समस्याओं की जानकारी होते हुए भी हमें वह नामालूम-सी लगती है। कई बार नौकरी की जरूरत होने पर हमारी एक ही तमन्ना होती है कि हमारी मनपसंद नौकरी मिल जाए। खूब भटकने पर जब वह नौकरी मिल जाती है तो यही गुमान होता है कि समस्या का अंत हो गया और खुशियों के दिन आ गए हैं।

थोड़े ही दिनों में दफ्तर में पेश आने वाली अनेक समस्याओं से हम प्रभावित होने लगते हैं। उन परेशानियों को झेलते हुए, नौकरी को बचाना और निभाना इतना थकाने वाला हो जाता है कि उसके मिलने से हासिल हुई खुशी कब काफूर हो गई पता ही नहीं चलता है। जब मशक्कत के बाद तनख्वाह मिलती है या कभी सहकर्मियों से कोई मदद मिलती है तो थोड़ी देर के लिए उस पुरानी खुशी की झलक आप महसूस कर पाते हैं। रिश्तों के साथ भी ऐसा ही होता है। जिस अहसास के साथ कोई रिश्ता शुरू होता है उसका अंश भर भी बाद में खोजने से नहीं मिलता है।

  प्यार में अक्सर लोग इतना घुलमिल जाते हैं कि एक-दूसरे के बीच कोई सीमा रेखा ही नहीं खींच पाते हैं। जितनी अपेक्षा खुद से होती है, उतनी ही आप अपने साथी से करते हैं पर यह न तो उचित है और न ही संभव।      
कई बार आप हताश होकर सोचते हैं कि क्या यह वही शख्स है जिसे आपने बेपनाह चाहा था। इसमें न तो आपकी गलती है और न ही उस शख्स की। भूल सिर्फ यह हुई कि आपने अपने साथी के केवल उसी पक्ष को पहचाना, समझा, जाना, सराहा जिसे आप पसंद करते थे। आपके आकर्षण का केंद्र बिंदु उसका एकमात्र वही गुण था। जैसे कोई व्यक्ति केवल किसी की सुंदरता से आकर्षित होकर प्यार करे और उसका वह रूप किसी कारणवश नष्ट हो जाए तो फिर रिश्ते का आधार क्या बचता है! ठीक उसी प्रकार किसी भी व्यक्ति को पूर्ण रूप से जाने बिना तेजी से आगे बढ़ने पर बहुत ही अनजान पहलू सामने आ सकते हैं। जहाँ आपके रिश्ते को पूर्णविराम-सा लगता हुआ महसूस हो सकता है।

यदि हम समय के साथ धीरे-धीरे आगे बढ़ें तो निराशा से बच सकते हैं। यह तभी संभव है जब हम उस व्यक्ति से प्यार करते हुए भी थोड़ी दूरी रखें। प्यार में अक्सर लोग इतना घुलमिल जाते हैं कि एक-दूसरे के बीच कोई सीमा रेखा ही नहीं खींच पाते हैं। जितनी अपेक्षा खुद से होती है, उतनी ही आप अपने साथी से करते हैं पर यह न तो उचित है और न ही संभव। आप सामने वाले के हर पक्ष से वाकिफ ही नहीं हैं इसलिए ज्यादा समय लगाकर रिश्ते में धीरे-धीरे एक-दूसरे को समझें फिर एक-दूसरे का सम्मान करते हुए लंबा सफर तय करें।