सत्ता के शिखर पर फिर संप्रग
कांग्रेस सबसे बड़े दल के रूप में उभरी
खंडित जनादेश जैसे जुमलों को दरकिनार करते हुए देश ने 15वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में कांग्रेसनीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) में दोबारा भरोसा जताया है। शनिवार को आए नतीजों से यह तस्वीर साफ हो गई है कि कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी और संप्रग (यूपीए) सबसे बड़े गठबंधन के रूप में उभरा है। देशभर में वोटों की गिनती जब शनिवार को शुरू हुई तो किसी ने नहीं सोचा था कि भावी सरकार का खाका इतनी जल्दी खिंच जाएगा। राजनीतिक विश्लेषक, चुनावी पंडित, सियासी दल, मीडिया और खुद मतदाता भी नतीजों को लेकर असमंजस में थे, लेकिन शुरुआती रुझानों ने यह झलक दिखा दी थी कि मत किस तरफ जा रहे हैं। यूपीए और एनडीए के बीच सीटों का अंतर तमाम एक्जिट पोल और अनुमानों से काफी आगे बढ़ता नजर आ रहा था। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद मनमोहनसिंह ऐसे दूसरे प्रधानमंत्री होंगे, जो पाँच साल सत्ता संभालने के बाद दोबारा कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बने।केरल में कांग्रेस का प्रदर्शन जबरदस्त रहा जबकि पश्चिम बंगाल में उसने तृणमूल कांग्रेस की मदद से कामरेडों के किले में सेंध लगा दी है।दिल्ली में कांग्रेस के हिस्से सभी सात सीटें गईं, जबकि राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड में उसका प्रदर्शन जोरदार रहा। सबसे चौंकाने वाले नतीजे उत्तरप्रदेश के रहे, जहाँ कांग्रेस 80 में से 20 से ज्यादा सीटें अपने खाते में लाने में कामयाब रही।