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Written By ND

अपनों से जूझती माँ-बेटी

भिवानी
राजकुमार भारद्वा
भिवानी हरियाणा का एकमात्र ऐसा लोकसभा क्षेत्र है जहाँ कांग्रेस प्रत्याशी श्रुति चौधरी की जंग में उनके साथ अब तक सिर्फ उनकी माँ किरण चौधरी ही दिख रही हैं। यहाँ तक कि चुनावी पर्चों, पोस्टरों और बैनरों तक से राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्रसिंह हुड्डा, प्रदेश अध्यक्ष फूलचंद मुलाना तक के चित्र गायब हैं।

ऐसे में जबकि भिवानी लोकसभा क्षेत्र के आधे से अधिक विधायक उनके विरोधी हैं, मुख्यमंत्री ने अभी तक यहाँ चुनाव प्रचार की कोई तारीख नहीं दी। सूत्रों की मानें तो वे यहाँ केवल तभी आएँगे जब सोनिया गाँधी प्रचार के लिए आएँगी।

यहाँ चुनावी मैदान में इंडियन नेशनल लोकदल के दिग्गज अजय चौटाला, हरियाणा जनहित कांग्रेस के राव नरेंद्र और बहुजन समाज पार्टी के ठाकुर विक्रम सिंह हैं। इनसे जूझने के साथ-साथ श्रुति को अपने ताऊ रणवीर महेंद्रा, अपने फूफा सोमवीर और संसदीय सचिव धर्मवीर से भी जूझना पड़ रहा है।

वोटों का जातीय गणित : यहाँ नया खेल अब पिछले चुनाव की भांति जाट-बनाम गैर जाट बनता जा रहा है। हजकां के राव नरेंद्र के पक्ष में गैर जाट तेजी से गोलबंद हो रहे हैं। खासतौर से 2 लाख 40 हजार से अधिक अहीर मतदाता उनके साथ पूरी तरह खड़े नजर आ रहे हैं।

यहाँ नारा दिया जा रहा है, 'गुजर की गाय और अहीर की राय कभी अपनों से अलग नहीं होती।' इस नारे का असर गुड़गाँव से अधिक भिवानी-महेंद्रगढ़ में दिख रहा है। राव नरेंद्र को एक लाख 14 हजार ब्राह्मण मतदाताओं के साथ परंपरागत रूप से इस समुदाय के साथ रहने वाले 3 लाख सैणी, दलितों, कुम्हारों, विश्वकर्मा, नाई, गुज्जर, वैश्य और पंजाबियों के अलावा 75 हजार से अधिक राजपूतों के भी एक बड़े हिस्से के समर्थन का भरोसा है।

इनेलो की कोशिश है कि जितना गैर जाट वोट राव नरेंद्र ले जाएँगे, इसका इतना ही फायदा उन्हें मिलेगा। यहाँ सीधे-सीधे हार-जीत की चाबी गैर जाटों के हाथों में है।