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  4. Are the Lok Sabha election results a sign of the end of the Modi-Shah era in BJP?
Last Modified: बुधवार, 5 जून 2024 (07:00 IST)

लोकसभा चुनाव के नतीजे क्या भाजपा में मोदी-शाह के युग के खत्म होने का संकेत?

Modi shah
2024 लोकसभा चुनाव के चुनाव नतीजों में किसी भी दल को अपने बल पर बहुमत नहीं हासिल हुआ। 400 पार के नारे के साथ चुनावी मैदान में उतरा एनडीए गठबंधन 300 का आंकड़ा भी नहीं पार कर पाया। लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद से ही भाजपा यह दावा कर रही थी कि वह अपने बल पर 370 सीटें जीतेगी लेकिन वह 250 सीटों का आंकड़ा भी नहीं पार कर पाई। चुनाव नतीजे बताते है कि भाजपा में 2014 के बाद जिस मोदी-शाह युग की शुरुआत हुई थी वह अब अपने ढलान पर है। 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की अपनी सीटों की संख्या 2014 के लोकसभा चुनावों में अर्जित सीटों से भी कम है।

नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ी भाजपा के लिए 2014 के बाद यह पहला मौका है जब वह अपने बल पर बहुमत नहीं हासिल कर पाई और आज उसके सरकार बनाने के लिए अपने गठबंधन के सहयोगियों की हां का इंतजार है। चुनाव नतीजे बताते है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस वाराणसी सीट से चुनाव मैदान में थे वहां पर उनको 2019 की तुलना में बहुत कम अतंर से जीत नसीब हुई। 2019 के लोकसभा चुनाव मोदी वाराणसी से साढ़े चार लाख वोटों से जीते थे लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में वह मात्र डेढ़ लाख वोटों से अपनी सीट जीत पाए है।

इतना ही नहीं नरेंद्र मोदी ने जिस उत्तर प्रदेश पर राम मंदिर के बाद सबसे ज्यादा फोकस किया था वहां पर वह अब दूसरे नंबर की पार्टी बन गई है और 2019 की तुलना मे उसे करीब 30 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है। इतना ही उत्तर प्रदेश से मोदी सरकार में आने वाले आधा दर्जन से अधिक मंत्री भी चुनाव हार गए है, इसमे सबसे बड़ा नाम अमेठी से स्मृति ईरानी का है।

भाजपा के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन को भले ही बहुमत हासिल करने में सफलता न मिली हो परन्तु इन चुनावों में उसकी ताकत में आश्चर्यजनक रूप से इजाफा हुआ है। नतीजों से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इंडिया गठबंधन के 295 सीटें जीतने का दावा  किया था और चुनाव में इंडिया गठबंधन ने तमाम एग्जिट पोल को धऱाशाई करते हुए 235 सीटें जीत भी ली। चुनाव परिणाम इस बात का साफ इशारा करते है कि भाजपा इंडिया गठबंधन खासकर उत्तर प्रदेश मे राहुल-अखिलेश की जोड़ी की एकजुटता और उसकी जमीनी सच्चाई का अनुमान लगाने में से चूक हो गई।

2019 और  2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की शानदार जीत में सबसे बड़ा योगदान करने वाले उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने मिलकर भाजपा को जो शिकस्त दी है उसने भाजपा को हक्का बक्का कर दिया है। 2019 के लोकसभा चुनावों में अमेठी लोकसभा चुनाव क्षेत्र में कांग्रेस के दूसरे नंबर के नेता राहुल गांधी को पराजित करने वाली केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का इस बार कांग्रेस के  स्थानीय नेता किशोरी लाल शर्मा से से हार जाना भी भाजपा के लिए बड़ा झटका है। उधर पश्चिम बंगाल में भी भाजपा के ऊपर  इस बार सत्ता रूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने जिस तरह बढ़त बनाई है उससे यही साबित होता है कि वह वहां भी जमीनी हकीकत का अनुमान लगाने में भूल कर बैठी।

लोकसभा चुनाव को लेकर जब सभी एक्जिट पोल्स ने प्रचंड बहुमत के साथ केंद्र में लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा नीत एनडीए सरकार के गठन की भविष्यवाणी की तो विरोधी दलों के इंडिया गठबंधन ने उसे न केवल सिरे से खारिज कर दिया बल्कि केंद्र में आसान बहुमत के साथ इंडिया गठबंधन की सरकार बनने का दावा भी कर डाला था।

भले ही भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा दावा कर रहे हो कि नरेंद्र मोदी तीसरी बार पीएम बनने जा रहे हो  लेकिन यह भी तय है कि मोदी अब तीसरे टर्म में उतने ताकतवर नहीं होंगे जितना वह पिछले 10 सालों में नजर आए थे। नरेंद्र मोदी को अपने तीसरे टर्म में गठबंधन की बैसाखियों के सहारे चलना होगा और उसमें भी टीडीपी और जेडीयू जैसे दल शामिल है जो पहले भी NDA का साथ छोड़कर जा चुके है।

लोकसभा चुनाव में NDA गठबंधन का तीन सौ सीटें नही जीत पाने और भाजपा के अकेले दम पर बहुमत नहीं प्राप्त करने के बाद अब भाजपा के चुनावी चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह की रणनीतियों पर भी सवाल उठाएंगे। महाराष्ट्र में जिस तरह उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने जीत हासिल की है और शरद पवार वाली एनसीसी मजबूत हुई है और भाजपा के कई दिग्गज नेताओं को हार का सामना करना पड़ा हो वह यह बताते है कि राज्य की जनता महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के तौर तरीकों से खुश नहीं है। महाराष्ट्र में भाजपा की चुनौती इसलिए और बढ़ गई है कि वह जल्द ही विधानसभा चुनाव होने है ऐसे में भाजपा को समय रहते कदम उठाने पड़ेंगे।

वहीं अपने बल पर भाजपा के बहुमत नहीं प्राप्त कर पाने से अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दबाव भी बढ़ेगा। लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का संघ का लेकर दिया बयान अब उनके गले की हड्डी बन गया है और अब इतना तय है कि नड्डा की जगह अब जल्द ही भाजपा को अपना नया राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेगा। बताया जा रहा है भाजपा के लिए आरएसएस जो जमीन पर काम करता है, उसका फायदा भाजपा को चुनाव में होता है, लेकिन इस बार संघ वैसा एक्टिव नहीं रहा है जैसा वह 2014 और 2019 मे था।
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