EVM-VVPAT की विश्वसनीयता फिर सवालों के घेरे में, संयुक्त विपक्ष ने चुनाव आयोग पर लगाया बड़ा आरोप
नई दिल्ली। संयुक्त विपक्ष ने चुनाव आयोग पर पारदर्शी तरीके से काम नहीं करने का आरोप लगाते हुए रविवार को कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और वीवीपैट (VVPAT) मशीन की गणना में अंतर होने पर वीवीपैट पर्चियों को मान्य माना जाना चाहिए। EVM और VVPAT में टैम्परिंग के मुद्दे पर रविवार को विपक्षी दलों ने बैठक की। इसमें सभी दलों ने इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट ले जाने का फैसला लिया है।
तेलुगुदेशम पार्टी (तेदेपा) के प्रमुख और आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू तथा विपक्ष के अन्य नेताओं ने यहां एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में 'लोकतंत्र बचाओ' में कहा कि अगर ईवीएम और वीवीपैट की गणना में अंतर हो तो वीवीपैट पर्चियों को अंतिम माना जाना चाहिए।
नायडू ने चुनाव आयोग पर निष्पक्षता से काम नहीं करने का आरोप लगाते हुए कहा कि तेलंगाना में 15 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं और आयोग ने इसे स्वीकार किया है, लेकिन कुछ भी करने में असमर्थता व्यक्त की है।
उन्होंने कहा कि ईवीएम पर विपक्ष की मांग नई नहीं है। दुनिया के कुल 191 देशों में से केवल 18 देश इसका इस्तेमाल करते हैं। इनका इस्तेमाल संदेह से परे नहीं है। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि लोकसभा चुनाव के पहले चरण के बाद से ही EVM पर सवाल उठने लगे हैं। कांग्रेस का मानना है कि चुनाव आयोग सभी दलों के साथ समान व्यवहार नहीं कर रहा है।
सिंघवी ने कहा कि अब विपक्ष EVM में छेड़छाड़ और खराबी के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मामले में जरूरी कानूनी कदम उठाएगी और विपक्ष के बाकी दलों के नेता जमीनी स्तर पर इस मुद्दे को उठाएंगे।
उन्होंने कहा कि मतदाता को वीवीपैट पर्ची 7 सेकंड की बजाय केवल 3 सेकंड के लिए दिखाई देगी। उन्होंने आरोप लगाया कि बिना जांच के ही लाखों मतदाताओं के नाम काट दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि कम से कम 50 प्रतिशत ईवीएम में वीवीपैट का इस्तेमाल होना चाहिए।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी चुनाव आयोग के कामकाज पर असंतोष जताया और कहा कि केवल एक पार्टी वीवीपैट का विरोध करती है, क्योंकि गड़बड़ियों से उसे फायदा होता है। उन्होंने आरोप लगाया कि ईवीएम मशीनों को केवल एक पार्टी के अनुरूप बनाया गया है। प्रत्येक खराब मशीन का मत भाजपा के पक्ष में क्यों जाता है?
बाद में नायडू ने सवालों के जवाब में कहा कि चुनाव आयोग सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के दबाव में काम कर रहा है। इससे पहले नायडू ने शुक्रवार को एक प्रतिनिधिमंडल के साथ चुनाव आयोग को एक ज्ञापन दिया था। उन्होंने कहा कि उनकी आयोग के साथ लगभग डेढ़ घंटे तक बैठक हुई और इस दौरान आयोग ने विभिन्न मुद्दों पर जो जानकारी दी, उससे वे संतुष्ट नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि इन मुद्दों पर विपक्षी दलों के नेताओं के साथ विचार-विमर्श करेंगे और चुनाव से संबंधित मुद्दों को राष्ट्रीय मुद्दा बनाने का प्रयास करेंगे। चुनाव प्रक्रिया को जटिल बनाया जा रहा है जबकि इसे सरल बनाने की जरूरत है। (एजेंसियां)