शुक्रवार, 27 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. लोकसभा चुनाव 2019
  3. समाचार
  4. Lok Sabha Elections 2010 Shivraj Singh Uma Bharti
Written By विशेष प्रतिनिधि
Last Modified: गुरुवार, 18 अप्रैल 2019 (20:09 IST)

क्या बड़े नेताओं के चुनाव मैदान में नहीं उतरने से मायूस हैं भाजपा कार्यकर्ता?

क्या बड़े नेताओं के चुनाव मैदान में नहीं उतरने से मायूस हैं भाजपा कार्यकर्ता? - Lok Sabha Elections 2010 Shivraj Singh Uma Bharti
भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा में इस बार टिकट को लेकर जो रस्साकशी चली उसको लेकर पहले जहां संगठन की चुनाव तैयारियों पर सवाल उठे, वहीं अब कांग्रेस की तुलना में भाजपा की ओर से बड़े नेताओं के चुनावी मैदान में नहीं होने से पार्टी के कार्यकर्ताओं के मन में कई सवाल उठ रहे हैं। 
 
पंद्रह साल बाद सूबे की सत्ता में वापस लौटने वाली कांग्रेस ने जहां एक ओर अपने सभी दिग्गज नेताओं को चुनावी मैदान में उतार दिया है, वहीं दूसरी ओर भाजपा के बड़े नेता खुद ही चुनाव लड़ने से पीछे हटते हुए दिखाई दिए। शिवराजसिंह चौहान, कैलाश विजयवर्गीय, उमा भारती, सुषमा स्वराज ने सार्वजनिक तौर पर चुनाव लड़ने से मना कर दिया।
 
ऐसा नहीं है कि कांग्रेस के सभी बड़े नेता चुनाव लड़ना चाहते थे। भोपाल से कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजयसिंह साफ कहते हैं कि उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के सामने चुनाव लड़ने से मना किया था, लेकिन वो पार्टी के निर्देश पर ही अपनी पुरानी सीट राजगढ़ को छोड़कर टफ सीट भोपाल से चुनाव लड़ने को तैयार हुए हैं। 
 
वहीं, जबलपुर से राज्यसभा सांसद विवेक तनखा, सीधी से पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजयसिंह भी ऐसे नाम हैं जो पार्टी के कहने पर एक बार फिर लोकसभा के चुनाव मैदान में हैं। लेकिन भाजपा में हालात ठीक इसके उलटे दिखाई दिए। सूत्र बताते हैं कि भोपाल से दिग्विजय  के सामने संघ और भाजपा बड़े चेहरे शिवराज या उमा भारती में से किसी एक को उतारना चाह रहा था, लेकिन दोनों ही नेताओं ने पार्टी के सामने चुनाव लड़ने से ही इंकार कर दिया।
 
ठीक इसी तरह पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने बंगाल की जिम्मेदारी का हवाला देकर सोशल मीडिया के जरिए चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया। मध्यप्रदेश में भाजपा के ये ऐसे चेहरे हैं जो चुनाव मैदान में उतरते तो नजारा कुछ और ही होता। पार्टी के ये बड़े चेहरे अपनी सीट के साथ साथ आसपास की भी कई सीटों पर नतीजों को प्रभावित कर सकते थे। ऐसे में लोकसभा चुनाव में पार्टी के बड़े नेताओं के मैदान में नहीं होने से कार्यकर्ताओं में भी वो जोश और उत्साह भी दिखाई नहीं दे रहा है जो हर चुनाव में दिखाई देता था।
 
भोपाल से पार्टी के उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा को लेकर भी कार्यकर्ताओं में कोई खुशी और उत्साह का माहौल दिखाई नहीं दे रहा है। साध्वी के भोपाल से उम्मीदवार बनाए जाने के दूसरे दिन भी भाजपा के दफ्तर में सन्नाटा ही पसरा रहा। कांग्रेस की ओर से दिग्विजय की उम्मीदवारी के बाद जहां पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं में जोश है, वहीं भाजपा कार्यकर्ताओं में सन्नाटा छाया हुआ है। ऐसे में पार्टी दफ्तर पहुंचने वाले हर शख्स के मन में यही सवाल उठ रहा है कि इतना सन्नाटा क्यों है भाई...
ये भी पढ़ें
आंसुओं में बह निकला साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की यातनाओं का दर्द