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Last Modified: रविवार, 7 अप्रैल 2019 (16:38 IST)

राजनीति में एंट्री पर बोले भोजपुरी सुपर स्टार निरहुआ- हमेशा चुना कठिन रास्ता, आजमगढ़ में अखिलेश यादव से मुकाबला

राजनीति में एंट्री पर बोले भोजपुरी सुपर स्टार निरहुआ- हमेशा चुना कठिन रास्ता, आजमगढ़ में अखिलेश यादव से मुकाबला - azamgarh seat bhojpuri star nirhua gave this statement on electoral battle with akhilesh yadav
लखनऊ। रूपहले पर्दे से सियासी मैदान में उतरकर आजमगढ़ सीट से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ चुनाव लड़ने जा रहे भोजपुरी फिल्मों के मेगास्टार दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' का कहना है कि उन्होंने हमेशा मुश्किल डगर ही चुनी है और विचारों की इस जंग में जीत उनकी ही होगी।
 
फिल्म जगत में 'निरहुआ' के नाम से मशहूर यादव उत्तरप्रदेश की आजमगढ़ लोकसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं। उनका कहना है कि अखिलेश 'भैया' के खिलाफ उनकी लड़ाई दरअसल विचारों की जंग है। उन्हें विश्वास है कि वे इसमें जीत हासिल करेंगे।
 
निरहुआ ने आजमगढ़ से बाहरी प्रत्याशियों के चुनाव लड़ने पर चिंता जाहिर की। ऐसा करके उन्होंने एक तरह से 2014 में यहां से जीते मुलायम सिंह यादव और इस बार यहां से चुनाव लड़ रहे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर अप्रत्यक्ष रूप से तंज किया।
 
उन्होंने कहा कि आजमगढ़ में लोग चुनाव जीतने के लिए आते हैं और जीतकर निकल जाते हैं। ऐसे थोड़े ही चलेगा। हम पूर्वांचल के हैं। हम लोगों का सपना है कि हमारा आजमगढ़ भी बने-संवरे ताकि दुनिया देखे। अब जो लोग खाली जीतने आते हैं, उन्हें तो भगाना ही पड़ेगा।
 
इस सवाल पर कि क्या उनका इशारा अखिलेश और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की तरफ है, निरहुआ ने कहा कि हम मानते हैं कि अगर आपके पास समय नहीं है तो आप आजमगढ़ के ही रहने वाले किसी व्यक्ति को अपनी पार्टी से टिकट दें। क्या यहां काबिल लोगों की कमी है?' मालूम हो कि अखिलेश वर्ष 2012 में मुख्यमंत्री बनने से पहले कन्नौज से चुनाव लड़ते रहे हैं। वे पहली बार आजमगढ़ से चुनाव लड़ रहे हैं।
 
निरहुआ ने कहा कि यह सच है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश 'भैया' ने जनवरी 2017 में मुझे यश भारती पुरस्कार दिया, लेकिन राजनीति तो विचारों की लड़ाई है। इसमें यह देखना होगा कि जनता का भला किसमें है।
 
मूल रूप से गाजीपुर जिले के टड़वां गांव के रहने वाले दिनेश लाल यादव पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। आजमगढ़ से उनकी राह आसान नहीं कही जा सकती, क्योंकि उनके सामने समाजवादियों का गढ़ कही जाने वाली इस सीट पर सपा अध्यक्ष अखिलेश मैदान में हैं। 
 
इस बारे में निरहुआ का कहना है कि मैंने हमेशा ही मुश्किल डगर चुनी है, अगर आसान डगर लूंगा तो जीना बेकार है। मुझे असंभव को संभव बनाना है।
 
यह पूछे जाने पर कि फिल्मी हस्तियां अक्सर अपने करियर और राजनीति के बीच तालमेल नहीं बैठा पाती हैं, भोजपुरी स्टार ने कहा कि तालमेल नहीं बैठा पाते हैं, क्योंकि वे फिल्म जगत का मोह नहीं छोड़ पाते। मैं पूरी तरह यहीं रहूंगा। एक-दो अच्छी फिल्में बनानी होंगी तो यहीं बना लूंगा। अगर मैं सांसद बना तो आजमगढ़ को फिल्म निर्माण का गढ़ बनाऊंगा।
 
उन्होंने कहा कि पूर्वांचल उनका घर है और वे यहां की मूल समस्याओं से वाकिफ हैं। उनका दर्शक वर्ग गरीब तबका है। उसे कहीं न कहीं जाति, धर्म के नाम पर सिर्फ इस्तेमाल किया जाता है। जब उसको सम्मान देने की बात आती है तो हर पार्टी पीछे हट जाती है।
 
निरहुआ ने बसपा प्रमुख मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि 'बहनजी दलितों की राजनीति करती हैं, मगर 38 में से एक भी सीट पर दलित को टिकट नहीं दिया।
 
अखिलेश यादवों के नेता बनते हैं। वे बताएं कि उन्होंने पूर्वांचल में कितने यादवों को टिकट दिया है?' उन्होंने कहा कि भाजपा एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसमें लोकतंत्र बाकी है। इसके साधारण कार्यकर्ता में भी अगर क्षमता है तो वह देश का प्रधानमंत्री बन सकता है।
 
दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को वर्ष 2003 में आए अलबम 'निरहुआ सटल रहे' से लोकप्रियता मिली थी और इसने बिक्री के तमाम रिकॉर्ड तोड़ डाले थे। उनकी फिल्म 'निरहुआ रिक्शावाला' ऐसी पहली भोजपुरी फिल्म थी जो विदेश में भी रिलीज हुई। (भाषा)