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Written By विकास सिंह

अपनी साख बचाने में जुटे कांग्रेस के दिग्गज, चुनावी रण में अकेले पड़े उम्मीदवार

अपनी साख बचाने में जुटे कांग्रेस के दिग्गज, चुनावी रण में अकेले पड़े उम्मीदवार - Lok Sabha Elections 2019 Congress
भोपाल। लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने इस बार अपने सभी दिग्गज चेहरों को चुनावी मैदान में उतार दिया है। वर्तमान में प्रदेश में मात्र तीन सीटों पर काबिज कांग्रेस ने 20 से 22 सीटों पर जीत का लक्ष्य रखा है। इसके लिए दिग्विजयसिंह से लेकर अजयसिंह तक सभी बड़े नेता खुद चुनाव लड़ रहे हैं। 
 
दिग्विजय भोपाल से, विवेक तनखा जबलपुर से, अजयसिंह सीधी से, मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ छिंदवाड़ा से चुनावी मैदान में हैं तो मुख्यमंत्री कमलनाथ खुद भी छिंदवाड़ा विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस के सभी दिग्गज नेताओं के चुनाव लड़ने और टफ सीट से उम्मीदवार बनाए जाने के बाद लगभग सभी बड़े नेताओं का पूरा फोकस खुद की सीट जीतने पर है। ऐसे में पार्टी के अन्य उम्मीदवारों को अपनी लड़ाई अकेले लड़नी पड़ रही है। 
 
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने मोदी लहर के सहारे अधिकांश सीटों पर बड़े अंतर से कांग्रेस उम्मीदवारों को मात दी थी। ऐसे में अगर कांग्रेस को इस बार अपना प्रदर्शन अच्छा करना है तो पहली चुनौती जीत-हार के अंतर को खत्म करना होगा। इसके लिए कांग्रेस के मौजूदा उम्मीदवारों को काफी दमखम लगाना होगा। साथ ही उन्हें बड़े नेताओं और उनके साथ की सख्त जरूरत होगी, लेकिन बड़े नेताओं के चुनाव लड़ने से अब पार्टी और उम्मीदवारों के सामने नई समस्या खड़ी हो गई है।
 
अधिकांश सीटों पर अब पार्टी के प्रत्याशियों को अकेले जूझना पड़ रहा है, वहीं बड़े नेताओं के चुनाव लड़ने से उनके समर्थक मंत्री और विधायकों ने भी चुनाव प्रचार का ध्यान भी अपने आकाओं की सीट पर लगा रखा। ऐसे में सत्ता में रहने का फायदा भी कांग्रेस उम्मीदवारों को नहीं मिल पी रहा है।
 
सूबे में 29 अप्रैल को पहले चरण में महाकौशल की जिन छह सीटों पर मतदान होना है, उसमें छिंदवाड़ा और जबलपुर जैसी हाई प्रोफाइल सीटें शामिल हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपना पूरा ध्यान छिंदवाड़ा पर लगा रखा है। मुख्यमंत्री लगातार छिंदवाड़ा में चुनाव प्रचार कर रहे हैं, वहीं जबलपुर से राज्यसभा सांसद विवेक तनखा के उम्मीदवार होने से सरकार के कुछ मंत्रियों ने अपना ध्यान इस सीट पर लगा दिया है।
 
भोपाल सीट से उम्मीदवार बनने के बाद दिग्विजयसिंह के सामने सबसे बड़ी चुनौती बीजेपी के गढ़ में अपनी साख बचाने की है। इसके लिए दिग्विजय भोपाल में डेरा डालते हुए लगातार चुनाव प्रचार में जुटे हैं। इसके अलावा प्रदेश में कांग्रेस के सबसे लोकप्रिय चेहरे ज्योतिरादित्य सिंधिया की उम्मीदवारी का एलान नहीं होने से अभी सस्पेंस बना ही हुआ है कि वो किस सीट से चुनाव लड़ेंगे।
 
सिंधिया केवल गुना-शिवपुरी में ही चुनाव प्रचार कर रहे हैं। इसके साथ ही विधानसभा चुनाव में हार से सबक लेते हुए अजयसिंह ने इस बार पूरा ध्यान अपनी सीट सीधी पर ही लगा दिया है। ऐसे में इस पूरी सियासी तस्वीर को देखकर कहा जा सकता है कि जब दिग्गज की खुद की साख दांव पर है तो ये तय है कि पार्टी के अन्य उम्मीदवारों को अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ेगी।