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Last Modified: शनिवार, 11 जनवरी 2020 (14:41 IST)

बस एक ऐप से महिलाएं कर सकेंगी बलात्कार की रिपोर्ट

smashboard app for woman | बस एक ऐप से महिलाएं कर सकेंगी बलात्कार की रिपोर्ट
भारत में 15 जनवरी को ऐसा ऐप लॉन्च होने जा रहा है जिसमें यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाएं अपने मोबाइल फोन से शिकायत कर सकती हैं, वो भी अपनी पहचान बताए बिना।
 
भारत सरकार की ओर से हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक 2017 में सिर्फ 90 दिनों में करीब 32 हजार रेप के केस दर्ज हुए हैं। लेकिन न्याय प्रकिया सुस्त होने की वजह से कई पीड़ित अपने ऊपर हुए अत्याचार को पुलिस में रिपोर्ट नहीं करा पाते।
नुपुर तिवारी और उनकी सहयोगी स्मैशबोर्ड ऐप लेकर आई हैं जिसमें महिलाएं अपनी पहचान को गुप्त रखते हुए यौन उत्पीड़न की शिकायत मोबाइल फोन से ही दर्ज करा पाएंगी। उनके साथ क्या-क्या हुआ, इसका ब्योरा भी वे इस ऐप के जरिए खुद लिख पाएंगी।
क्या है स्मैशबोर्ड ऐप में?
 
15 जनवरी को शुरू हो रहे स्मैशबोर्ड ऐप को ब्लॉकचेन तकनीक की मदद से बनाया गया है जिससे डाटा चोरी का डर नहीं होता। उत्पीड़न की शिकार पीड़ित महिला ऐप के जरिए रिपोर्ट कर सकती है। ऐप के जरिए महिलाएं डायरी बना सकती हैं। अपने ऊपर हुए दुराचार की पूरी डिटेल डाल सकती हैं। ऐप के जरिए महिलाएं चिकित्सा और कानूनी सलाह भी ले सकेंगी। पीड़ित महिलाएं पत्रकारों की भी मदद ले सकेंगी।
 
स्मैशबोर्ड ऐप की सहसंस्थापक नुपुर तिवारी के मुताबिक ब्लॉकचेन की मदद से इस ऐप को बनाया गया है। जहां पीड़ित यौन उत्पीड़न की रिपोर्ट सुरक्षित महसूस करते हुए कर सकती है। अपने ऊपर हुए उत्पीड़न का यहां ब्योरा दिया जा सकता है। फोटो, स्क्रीनशॉट, वीडियो, ऑडियो को भी साक्ष्य के तौर पर ऐप पर अपलोड कर कर सकती हैं।
 
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या है
 
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी आज की बड़ी जरूरत है। यह डाटाबेस एनक्रिप्टेड है और इसे गोपनीय तरीके से दर्ज किया गया है। इसमें दर्ज जानकारी को हैक करना फिलहाल असंभव है। हर क्षेत्र की गतिविधियों को त्वरित और प्रभावी बनाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। यही कारण है कि देश में इसे लेकर गतिविधि तेज हो रही हैं। हरियाणा सरकार ने ब्लॉकचेन सेंटर गुरुग्राम में स्थापित करने का निर्णय भी लिया है।
 
एप्लीकेशन का उद्देश्य है ऐसा समुदाय बनाना, जो महिलाओं को पितृसत्ता से लड़ने के लिए तैयार करेगा। महिलाओं के लिए ऑनलाइन समुदाय बनाने की उम्मीद से यह ऐप बनाया गया है। पीड़ितों को यह ऐप डॉक्टरों, वकीलों, पत्रकारों और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद भी देगा।
 
नुपुर कहती हैं कि मैं अपने अनुभव से कह सकती हूं कि पीड़ित ऐसे समय में कितना अकेला महसूस कर सकते हैं। नुपुर ने आगे बताया कि सिस्टम की वजह से संस्थाएं पीड़ितों की मदद नहीं कर पातीं। इसका खामियाजा पीड़ितों को उठाना पड़ता है। हमारा ऐप यह कमी दूर करेगा। तमाम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों में भारत को महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित जगहों में से एक माना गया है।
 
ऐप खुद कितना सुरक्षित
 
लेकिन कुछ मानवाधिकार संस्थाएं पीड़ितों की गोपनीयता पर चिंता व्यक्त करती हैं। उनके मुताबिक ऐसे ऐप से पीड़ित महिलाओं की गोपनीय जानकारी लीक होने पर उन्हें सार्वजनिक रूप से ब्लैकमेल किए जाने का डर होता है। तमिलनाडु और तेलंगाना में पुलिस खुद एक ऐसा ऐप लेकर आई है, जो यह दावा करता है कि महिलाएं मोबाइल का इमरजेंसी बटन दबाकर मदद पा सकती हैं।
 
चेन्नई में बलात्कार संकट केंद्र चलाने वाले चैरिटी नक्षत्र संस्था की सहसंस्थापक शेरिन बोस्को कहती हैं कि मुझे ऐसे ऐप से डाटा के दुरुपयोग होने का संदेह रहता है। इन प्लेटफॉर्म पर मौजूद डाटा गलत हाथों में जा सकता है जिससे पीड़ितों को ब्लैकमेल व आगे कलंकित किया जा सकता है। प्लेटफॉर्म की विश्वसनीयता होनी जरूरी है।
 
अपने ऐप के बचाव में नुपुर कहती हैं कि स्मैशबोर्ड अपने यूजर की लोकेशन ट्रैक नहीं करती। यूजर की जानकारी केवल ऐप के कर्मचारी और यूजर के बीच होती है। नुपुर आगे कहती हैं कि हम यह मानते हैं कि जितनी कम व्यक्तिगत जानकारी होगी, उसे स्टोर करने में उतनी ही कम परेशानी होगी। हैक होने और उसके खोने का डर भी कम होगा।
 
एसबी/आरपी (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)
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