शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. Why 70 lakh people unemployed in pakistan
Written By DW
Last Modified: शनिवार, 21 जनवरी 2023 (08:10 IST)

पाकिस्तान में क्यों बेरोजगार हो गए 70 लाख लोग

पाकिस्तान में क्यों बेरोजगार हो गए 70 लाख लोग - Why 70 lakh people unemployed in pakistan
हारून जंजुआ (इस्लामाबाद से)
पाकिस्तान में उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी है कि देश में कपड़ा निर्यात में आई गिरावट के कारण करीब सत्तर लाख श्रमिकों को नौकरी से निकाल दिया गया है, जिससे वहां का कपड़ा उद्योग पतन के कगार पर पहुंच गया है।
 
पाकिस्तान में कपड़ा उद्योग के बड़े केंद्र फैसलाबाद में काम कर रहे कपड़ा मजदूर अशरफ अली की नौकरी जाने का मतलब उन्हें अपना पूरा जीवन अंधकारमय दिखने लगा।
 
42 साल के अली सात बच्चों के पिता हैं। डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहते हैं, "मैं फैसलाबाद के सितारा टेक्सटाइल्स में काम करता था, जहां से मुझे देश में कपास की कमी की वजह से निकाल दिया गया। मैं 24 साल से इस कंपनी में काम कर रहा हूं और अब नौकरी जाने से अवसाद की स्थिति में हूं।” अशरफ अली पाकिस्तान के कपड़ा उद्योग में काम कर रहे उन करीब सत्तर लाख लोगों में से हैं, जिन्हें हाल ही में अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा है। कभी पाकिस्तान का फलता-फूलता यह औद्योगिक क्षेत्र निर्यात में कमी की वजह से गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है।
 
पिछले साल आई बाढ़ से कपास की फसल का एक बड़ा हिस्सा नष्ट हो गया। बाढ़ की वजह से 1,700 से ज्यादा लोगों की मौत भी हो गई। करीब साढ़े तीन करोड़ लोग बाढ़ से प्रभावित हुए। इन सबके अलावा अरबों डॉलर की चीजें नष्ट हो गईं, जिनके चलते देश की अर्थव्यवस्था को गहरा आघात लगा।
 
 
कच्चे माल की बड़ी खेप कराची हवाई अड्डे पर फंसी हुई है
पाकिस्तान कपड़ा उत्पादन के क्षेत्र में दुनिया के अग्रणी देशों में से एक है। साल 2021 में यहां का कपड़ा निर्यात करीब 19.3 अरब डॉलर का था और यह देश के कुल निर्यात का करीब आधा था। अब कपास की कमी की वजह से पाकिस्तान में ज्यादातर छोटी कपड़ा मिलें बंद हो गई हैं। इन मिलों में बनने वाली चादरों, तौलियों और अन्य डेनिम कपड़ों को यूरोप और अमेरिका में निर्यात किया जाता था। इसके अलावा, हालिया टैक्स वृद्धि ने इस उद्योग को और बर्बाद कर दिया।
 
कपड़ा उद्योग में गिरावट का यह समय भी बहुत खतरनाक है। इस समय पाकिस्तान नगदी की तंगी, महंगाई और घटते मुद्रा भंडार के संकट से तो जूझ ही रहा है, साथ ही उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के कठोर नियमों का भी सामना करना पड़ रहा है।
 
सरकारी प्रतिबंधों के कारण, कपड़ा उद्योग आवश्यक कच्चा माल नहीं खरीद पा रहा है और इस वजह से अंतरराष्ट्रीय मांग की आपूर्ति भी नहीं कर पा रहा है।
 
घटते विदेशी मुद्रा भंडार के कारण कच्चे माल, स्वास्थ्य उपकरणों और खाद्य पदार्थों से लदे हजारों शिपिंग कंटेनर कराची बंदरगाह पर फंसे हुए हैं। स्टेट बैंक के मुताबिक, पिछले हफ्ते पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 4.3 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो कि फरवरी 2014 के बाद सबसे निचले स्तर पर था।
 
पाकिस्तानको उम्मीद है कि वो आईएमएफ के साथ बातचीत के जरिए इस गतिरोध को जल्दी ही समाप्त कर लेगा। उसकी सितंबर 2022 से ही आईएमएफ के साथ 1.1 अरब डॉलर के कर्ज पर बातचीत चल रही है। यह सात अरब डॉलर के उसी कर्ज का हिस्सा है, जिसके लिए आईएमएफ से पाकिस्तान की बातचीत साल 2019 से चल रही है।
 
वेतन नहीं मिल रहा है
श्रमिक संगठन बड़ी संख्या में मजदूरों को निकाले जाने का विरोध कर रहे हैं और श्रमिकों को बकाया वेतन देने की मांग कर रहे हैं।
 
लेबर कौमी मूवमेंट यूनियन के प्रमुख लतीफ अंसारी ने डीडब्ल्यू को बताया, "फैसलाबाद में करीब आधा कपड़ा उद्योग बंद हो चुका है और बाकी मिलों में शिफ्टों में काम हो रहा है। फैसलाबाद और आस-पास के इलाकों में करीब पांच लाख मजदूर नौकरी से निकाले जा चुके हैं और करीब दस लाख मजदूर नौकरी खोने की कगार पर हैं।”
 
अशरफ अली का वेतन भी सितारा टेक्सटाइल्स के पास बकाया है। दो हफ्ते पहले उन्होंने अन्य सैकड़ों मजदूर साथियों के साथ मिल के सामने विरोध प्रदर्शन किया था, फिर भी उन्हें अपना बकाया वेतन मिलने की उम्मीद नहीं दिख रही है।
 
बसंत के मौसम में निर्यात बढ़ने की उम्मीद
इस बीच, कपड़ा निर्यातकों ने चेतावनी दी है कि गर्मी के मौसम के लिए विदेशी मांग में कमी है और घरेलू बाजार के भीतर भी मांग में कमी है।
 
डीडब्ल्यू से बातचीत में पाकिस्तान टेक्सटाइल एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के प्रमुख खुर्रम मुख्तार कहते हैं, "देश भर में छोटी कपड़ा मिलें बहुत तेजी से बंद हो रही हैं। बिजली की समस्या और ईंधन की ऊंची कीमतों के कारण मिलों का संचालन मुश्किल हो रहा है।”
 
हालांकि मुख्तार को उम्मीद है कि मार्च तक निर्यात बढ़ेगा। वो कहते हैं, "कपड़ा क्षेत्र को पहले से ही बड़े ऑर्डर मिल चुके हैं और ज्यादातर फैक्ट्रियां मार्च से जून तक के लिए बुक हैं। हम सरकारी नीतियों में निरंतरता की मांग कर रहे हैं, व्यापार के अनुकूल माहौल चाहते हैं और पांच वर्षीय कपड़ा नीति के पूर्ण क्रियान्यवन की मांग कर रहे हैं। सरकार को पाकिस्तानी निर्यातकों की कार्यशील पूंजी के दबाव को कम करना चाहिए।”
 
डीडब्ल्यू से बातचीत में मुख्तार कहते हैं, "कपड़ा उद्योग में मंदी वैश्विक स्तर पर हो रही है। पाकिस्तान के पास इस उद्योग का एक मजबूत आधार है और निर्यात का सबसे लंबा अनुभव है। पिछली तिमाही में निर्यात धीमा जरूर हुआ है, लेकिन खुदरा विक्रेता छुट्टियों में लिए जाने वाले अतिरिक्त माल को उतारने में सक्षम हैं।”
 
कपड़ा संगठनों ने अमेरिकी राजदूत से मदद की अपील की
आर्थिक विश्लेषक फरहान बोखारी डीडब्ल्यू से बातचीत में कहते हैं कि सरकार को आईएमएफ से मिलकर इस संकट का तत्काल हल ढूंढ़ना चाहिए, ताकि आर्थिक अनिश्चितता खत्म हो। साथ ही आयात और कर्ज जैसे मुद्दों को हल करने के लिए कपड़ा उत्पादकों से भी बातचीत करनी चाहिए।
 
वहीं फैसलाबाद में पाकिस्तान हौजरी मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्ट्स एसोसिएशन से जुड़े मुहम्मद अमजद ख्वाजा कपड़ा उद्योग में आई गिरावट को राजनीतिक तनाव से जोड़कर देखते हैं। डीडब्ल्यू से बातचीत में ख्वाजा कहते हैं, "देश में राजनीतिक ध्रुवीकरण व्यापार और अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। बढ़ते राजनीतिक तनाव के चलते व्यापारिक आत्मविश्वास खत्म सा हो गया है और खरीददार असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।”
 
पिछले महीने ऑल पाकिस्तान टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन (APTMA) ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की थी। संगठन के पैट्रन-इन-चीफ गौहर एजाज ने पीएम को लिखे पत्र में कहा, "बड़ी संख्या में नौकरियां पहले ही जा चुकी हैं और यदि सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए तो और भी लोगों की नौकरियां चली जाएंगी।”
 
एजाज ने इस संबंध में एक पत्र इस्लामाबाद में अमेरिकी राजदूत को भी लिखा है और आग्रह किया है कि वो कपास के आयात के लिए पाकिस्तान को दो अरब डॉलर कर्ज दिए जाने की व्यवस्था करें। एजाज ने अमेरिका से पाकिस्तान के कपड़ा उद्योग के लिए रियायती दर पर कर्ज देने की घोषणा करने की भी अपील की है।
ये भी पढ़ें
ब्लॉग: प्रेम विवाह यानी लड़कियों के लिए जोखिमभरा फैसला