शनिवार, 27 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. Was the new security law implemented in Hong Kong under pressure from China?
Written By DW
Last Updated : शनिवार, 23 मार्च 2024 (09:07 IST)

क्या चीन के दबाव में हांगकांग में लागू हुआ नया सुरक्षा कानून?

क्या चीन के दबाव में हांगकांग में लागू हुआ नया सुरक्षा कानून? - Was the new security law implemented in Hong Kong under pressure from China?
हांगकांग और दुनियाभर में इस बात को लेकर काफी चिंता है कि नया सुरक्षा कानून वहां के सामाजिक संगठनों को काफी ज्यादा कमजोर कर देगा और विदेशी कंपनियां वहां पैसा लगाने में हिचकिचाएंगी। हांगकांग ने काफी तेजी से एक सख्त राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को पारित किया है। इसके बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि यह बचे हुए विपक्ष को दबाने का एक प्रयास है, जो हांगकांग के अर्ध-स्वायत्त दर्जे और वहां की स्वतंत्रता को कमजोर करेगा। साथ ही, इससे हांगकांग में चीन की पकड़ और मजबूत हो जाएगी।
 
बीते मंगलवार को हांगकांग की चीन समर्थक विधायिका ने 'राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के संरक्षण' विधेयक पर दूसरी और तीसरी बार चर्चा की। इसके बाद, इस बिल पर अंतिम मतदान हुआ। इस कानून को मूल कानून के अनुच्छेद 23 के रूप में भी जाना जाता है।
 
सभी 89 सांसदों के समर्थन के साथ, यह कानून अब 23 मार्च को लागू होने वाला है जबकि, कई पर्यवेक्षकों का अनुमान था कि यह कानून एक महीने बाद लागू होगा। इस नए कानून में देशद्रोह, जासूसी, विदेशी दखलअंदाजी और देश के गोपनीय रहस्यों को उजागर करने जैसे कई नए अपराधों को शामिल किया जाएगा। इनमें से कुछ अपराधों के लिए आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
 
इससे पहले वर्ष 2020 में चीन ने हांगकांग में व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पारित किया था। अब इस नए कानून के पारित होने के बाद माना जा रहा है कि इससे शहर की स्वतंत्रता और स्वायत्तता पहले की तुलना में ज्यादा कमजोर हो जाएगी। बता दें कि वर्ष 1997 में हांगकांग को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से छुटकारा मिला था। इसके बाद, यह अर्ध-स्वायत्त दर्जे वाले क्षेत्र के तहत चीन के अधीन हो गया।
 
क्या यह चीन का आदेश था?
 
अचानक और काफी तेजी से पारित किए गए इस कानून को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता जताई जा रही है। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने एक बयान में कहा कि यह देखना चिंताजनक है कि 'इतने महत्वपूर्ण कानून को विधायिका में इतनी जल्दबाजी में पारित कर दिया गया।
 
जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर एशियन लॉ के रिसर्च फेलो एरिक लाई ने इस कानून के 'तेजी से पारित होने' के पीछे की वजह बताई। उन्होंने कहा कि यह कानून हांगकांग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जॉन ली के इस महीने की शुरुआत में चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की वार्षिक बैठक में भाग लेने के लिए बीजिंग दौरे के ठीक बाद पारित किया गया है।
 
उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, 'ऐसा माना जाता है कि चीन ने हांगकांग में जल्द से जल्द कानून लागू करने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं। हाल के महीनों में अधिकारियों ने अपने भाषणों में लगातार यह बात बताई कि आखिर इस कानून को 'तेजी से पारित करने' की क्यों जरूरत है।
 
मुख्य कार्यकारी अधिकारी ली ने मंगलवार को कहा कि कानून का पारित होना 'ऐतिहासिक क्षण' है जिसका 26 वर्षों से इंतजार किया जा रहा था। हांगकांग ने आखिरकार अपना संवैधानिक कर्तव्य पूरा किया और 'केंद्र सरकार की उम्मीदों पर खरा उतरा' कुछ सांसदों ने यह भी कहा कि अगर कानून पहले बनाया गया होता, तो पिछले दशक में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन नहीं होते। इस पूरे मामले पर लाई कहते हैं, 'ऐसा लगता है कि उन्हें चीन से सीधा आदेश मिला है।
 
हांगकांग पर अपनी मजबूत पकड़ बना रहा चीन
 
वर्ष 2020 में चीन ने हांगकांग में एक व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू किया था। अधिकारियों ने उस समय कहा था कि इस कानून से 2019 में महीनों तक लोकतंत्र समर्थकों द्वारा किए गए विरोध-प्रदर्शन के बाद शहर में स्थिरता लाई जा सकती है।
 
तब से, मौजूदा सरकार से असंतुष्ट चल रहे लोगों और लोकतंत्र समर्थकों का विरोध-प्रदर्शन काफी हद तक कम हो गया। इसके बावजूद, अधिकारी अब भी मानते हैं कि अनुच्छेद 23 जरूरी है, ताकि चीजें ठीक से चल सकें। हालांकि, 2003 में ऐसा ही कानून लाने की कोशिश की गई थी, लेकिन सरकार उसमें सफल नहीं हो सकी थी। उस समय करीब 5 लाख लोग सड़कों पर उतर आए थे।
 
शोधकर्ता लाई कहते हैं, 'वे हांगकांग पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए और अधिक कानून चाहते हैं। पहले राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की तुलना में, अनुच्छेद 23 के तहत हांगकांग की पुलिस को ज्यादा कानूनी शक्तियां मिलेंगी। खासकर लोगों को हिरासत में रखने के समय को बढ़ाने और कुछ स्थितियों में वकील से मिलने पर रोक लगाने का भी अधिकार मिलेगा।
 
लाई कहते हैं कि नया कानून काफी हद तक 'जनता को सार्वजनिक प्रदर्शन या सभाओं में शामिल होने से रोकेगा।' साथ ही, हांगकांग के नागरिकों पर देशद्रोह से जुड़े अपराधों का सबसे ज्यादा असर पड़ सकता है। वह आगे कहते हैं, 'इस कानून के तहत अपराध की परिभाषा अपेक्षाकृत अस्पष्ट और व्यापक है। इसलिए चीन और हांगकांग के नागरिकों के बीच 'विवाद पैदा करना' भी देशद्रोह के तौर पर माना जा सकता है।
 
एमनेस्टी इंटरनेशनल की चीन की निदेशक सारा ब्रूक्स ने इस नए कानून को हांगकांग के लोगों के लिए 'बहुत बुरा वक्त' बताया। उन्होंने कहा कि 'लोगों ने अपनी आजादी का एक और टुकड़ा खो दिया है। अब शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना पहले से कहीं ज्यादा खतरनाक हो गया है।'
 
अस्पष्ट है कानून
 
दुनिया की अलग-अलग सरकारों और मानवाधिकार समूहों की आलोचना के जवाब में हांगकांग के अधिकारियों का कहना है कि यह नया कानून दूसरे देशों, जैसे कि इंग्लैंड, अमेरिका और कनाडा के सुरक्षा कानूनों जैसा ही है।
 
कानून के मसौदे में कुछ बदलाव किए गए हैं। अब अगर कोई व्यक्ति देश की गुप्त जानकारी सार्वजनिक तौर पर जाहिर करता है, तो बचाव में यह दलील दी जा सकती है कि ये जनता के हित में है। हालांकि, ये तभी मान्य होगा, जब बताई गई जानकारी का फायदा, उस जानकारी को छिपाने के फायदे से कहीं ज्यादा हो।
 
हालांकि, इन सरकारी तर्कों के बावजूद शोधकर्ता लाई ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से देखने पर कई नियम अस्पष्ट और व्यापक दिखते हैं। इस वजह से अधिकारी अपने हिसाब से अलग-अलग मामलों की व्याख्या कर सकते हैं।
 
उदाहरण के लिए मसौदे में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि 'बाहरी ताकतों' में न सिर्फ कोई विदेशी सरकार, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय संगठन, उससे जुड़ी संस्थाएं और व्यक्ति को भी शामिल किया जा सकता है। लाई कहते हैं, 'विदेशी मीडिया, गैर-सरकारी संगठन, धार्मिक समूह और शैक्षणिक संस्थान, सभी को फंसाए जाने की संभावना है।
 
हांगकांग जर्नलिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष चान रोन-सिंग ने भी चिंता जताई है कि नए कानून से न सिर्फ पत्रकार प्रभावित होंगे, बल्कि पूरे मीडिया तंत्र पर इसका असर पड़ेगा। उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, 'मुझे सबसे ज्यादा चिंता इस बात की है कि अनुच्छेद 23 की वजह से कई सारे युवा पत्रकारिता के पेशे में नहीं आना चाहेंगे।
 
हांगकांग में निवेश को लेकर कम हो सकती है दिलचस्पी
 
हांगकांग में जर्मन चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष जोहान्स हैक ने डीडब्ल्यू को बताया कि इस कानून के तहत 'देश की गोपनीय बातों' और 'मिलीभगत' की परिभाषा काफी व्यापक है और सजा भी कठोर है। इसलिए, कंपनियां 'जरूरत से ज्यादा सावधानी' बरतती हैं यानी जरूरत से ज्यादा नियमों का पालन करने लगती हैं। बहुत ज्यादा पाबंदियां मानने का मतलब सीधे तौर पर यह भी हो सकता है कि कंपनियां कई काम करना बंद भी कर सकती हैं।
 
हालांकि हांगकांग, चीन के मुकाबले, उनके लिए अभी भी एक अलग क्षेत्र है और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में सेंध लगाने वाले कारोबारों के लिए पहला पड़ाव है। 
 
हैक कहते हैं, 'मुझे नहीं लगता कि कोई इस अनुच्छेद 23 को देखकर यह सोचेगा कि 'चलो, अब यहां से चलते हैं।' हालांकि, विदेशी कंपनियों को ये यकीन दिलाना अब और मुश्किल हो सकता है कि हांगकांग, चीन से अलग है। अब कानून लागू हो चुका है। हैक को उम्मीद है कि हांगकांग का बाजार 'आगे बढ़ेगा' और खुलापन पर ध्यान देगा। साथ ही, 'व्यापार करने के लिए लोगों को आकर्षित करने वाली जगह' भी बना रहेगा।
ये भी पढ़ें
पश्चिम बंगाल और असम की सीमा पर स्थित कूचबिहार सीट को लेकर क्यों मचा है घमासान