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Written By DW
Last Updated : मंगलवार, 18 फ़रवरी 2025 (21:42 IST)

जेडी वैंस: यूरोप को चीन और रूस नहीं अपनी नीतियों से खतरा

Vice President JD Vance
अमेरिकी उप राष्ट्रपति ने यूरोपीय नेताओं पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बाधित करने और आप्रवासन रोकने में नाकाम रहने का आरोप लगाया है। जर्मन चांसलर ने वैंस की बातों को खारिज किया और कहा कि लोकतंत्र में दखल स्वीकार्य नहीं है।
 
म्यूनिख सिक्योरिटी कांफ्रेंस में चर्चा का रुख किसी और दिशा में चला गया है। डॉनल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में वापसी के बाद पहले बड़े कांफ्रेंस में यूक्रेन में शांति के उपायों को लेकर बड़ी चर्चा की उम्मीद की जा रही थी। अमेरिकी राष्ट्रपति और उनके रूसी समकक्ष के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद इसके आसार बढ़ गए थे। हालांकि पहले ही दिन अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वैंस ने यूरोपीय देशों पर बयान देकर माहौल बदल दिया। वैंस के भाषण में रूस या यूक्रेन का जिक्र नाम भर का ही था।
 
वैंस का कहना है कि यूरोप के लिए खतरे के रूप में वह रूस या चीन को नहीं बल्कि फ्री स्पीच की रक्षा करने के बुनियादी सिद्धांतों से पीछे हटने को देखते हैं। इसके साथ ही वैंस ने आप्रवासन को भी यूरोप के लिए खतरा कहा जिसे उन्होंने "नियंत्रण के बाहर" बताया।
 
लोकतंत्र में "बाहरी दखल अस्वीकार्य"
जर्मन रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने बाद में उनके भाषण पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और उनकी बातों को "अस्वीकार्य" कहा। पिस्टोरियस ने कहा कि वैंस ने ना सिर्फ जर्मनी बल्कि पूरे यूरोप के लोकतंत्र पर सवाल उठाया है। सम्मेलन में नेताओं की इन बातों ने ट्रंप प्रशासन और यूरोपीय नेताओं के बीच दुनिया को लेकर मतभेदों को उजागर कर दिया है। ऐसे में अमेरिका और यूरोप के बीच यूक्रेन जैसे प्रमुख मुद्दों पर सहयोग की जमीन ढूंढना मुश्किल साबित होगा। 
 
म्मेलन में जेडी वैंस जब भाषण दे रहे थे तो वहां सन्नाटा पसरा था। सम्मेलन में शामिल लोग उन्हें हैरानी से देख रहे थे। उनकी बातों पर तालियों की आवाज भी बमुश्किल ही सुनाई दी। भाषण के बाद वैंस ने जर्मनी की धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी की नेता अलीस वाइडेल से मुलाकात की। उनका यह कदम उन्हें यूरोपीय नेताओं के लिए असहज बना गया। कई नेताओं ने इसकी आलोचना की है और अगले हफ्ते जर्मनी के संघीय चुनावों में अप्रत्याशित दखल के तौर पर इसे देखा है।
 
जर्मन चांसलर शॉल्त्स ने तो साफ तौर पर कह दिया है कि देश के लोकतंत्र में "बाहरी दखल" को स्वीकार नहीं किया जाएगा। इससे पहले स्पेस एक्स और टेस्ला के मालिक इलॉन मस्क भी एएफडी का सार्वजनिक रूप से समर्थन कर चुके हैं। उनके इन कदमों की भी यूरोप में काफी आलोचना हुई थी। 
 
यूक्रेन में शांति कैसे आएगी
डॉनल्ड ट्रंप की पुतिन के साथ हुई बातचीत ने यूरोपीय सरकारों को चौकन्ना कर दिया है। यूरोपीय देश 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद से ही पुतिन को अलग थलग करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। उन्हें डर है कि शांति वार्ता से उन्हें बाहर रखा जा सकता है जिसका असर उनकी अपनी सुरक्षा पर हो सकता है।

म्यूनिख सिक्योरिटी कांफ्रेंस में जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने कहा है, "यूरोपीय लोग यूक्रेन को तब तक समर्थन देते रहेंगे जब तक कि उसे जरूरत है, यहां तक कि किसी शांति समझौते के बाद भी। जर्मन चांसलर ने यह भी कहा, "यूक्रेन में हुक्मनामे वाली शांति को हमारा समर्थन नहीं मिलेगा।"
 
वैंस ने शुक्रवार को ही यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से भी मुलाकात की। उन्होंने इस बैठक से पहले वॉल स्ट्रीट जर्नल को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि ट्रंप आर्थिक और सैन्य उपायों का इस्तेमाल पुतिन को मनाने के लिए कर सकते हैं। बैठक के बाद उन्होने कहा है कि वह यूक्रेन में "दीर्घकालीन शांति" चाहते हैं।
 
उधर जेलेंस्की ने कांफ्रेंस में कहा कि वह पुतिन से सिर्फ तभी बात करेंगे जब यूक्रेन ट्रंप और यूरोपीय नेताओं के साथ एक साझी योजना पर सहमत होगा। वैंस और जेलेंस्की ने म्यूनिख में किन बातों पर चर्चा की इसका ब्यौरा नहीं दिया हालांकि यूक्रेनी राष्ट्रपति ने यह जरूर कहा कि उनके देश को "वास्तविक सुरक्षा गारंटी" की जरूरत है।
 
जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने यूक्रेन पर किसी शांति समझौते को थोपने की कोशिश के खिलाफ चेतावनी दी है। उनका कहना है, "यूक्रेनी और यूरोपीय लोगों के सिरों पर एक छद्म शांति से कुछ हासिल नहीं होगा। एक छद्म शांति से स्थाई सुरक्षा नहीं आएगी, ना तो यूक्रेन के लोगों के लिए ना ही यूरोप में हमारे लिए या फिर अमेरिका के लिए।"
 
रूस ने तीन साल पहले हमले के बाद यूक्रेन के करीब 20 फीसदी हिस्से पर कब्जा कर लिया है। उसका कहना है कि यूक्रेन की नाटो की सदस्यता की कोशिशों ने उसके अस्तित्व के लिए खतरा पैदा कर दिया है। उधर यूक्रेन और पश्चिमी देश रूसी कदम को जमीन हड़पने का साम्राज्यवादी कदम बताते हैं।
 
सुरक्षा के लिए यूरोप पर ज्यादा खर्च का दबाव
वैंस ने सिक्योरिटी कांफ्रेंस में ट्रंप की वह मांग भी दोहराई कि यूरोप को अपनी सुरक्षा के लिए ज्यादा खर्च करना चाहिए ताकि अमेरिका दूसरे इलाकों पर ध्यान दे सके, खासतौर से एशिया प्रशांत। जर्मन राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर से मुलाकात में वैंस ने कहा, "भविष्य में, हमें लगता है कि यूरोप अपनी सुरक्षा में बड़ी भूमिका निभाने जा रहा है।"
 
नाटो के महासचिव मार्क रुटे ने यूरोप की सुरक्षा "मजबूत करने" पर वैंस की बातों को "बिल्कुल सही" बताया और कहा, "हमें उस लिहाज से विकास करना होगा और ज्यादा खर्च करना होगा।"
 
कांफ्रेंस में कई यूरोपीय नेताओं की बातों में यही प्रतिध्वनि सुनाई दी। उनका कहना है कि यूरोप को अपना रक्षा खर्च बढ़ाना होगा लेकिन इसके साथ ही उन्हें अमेरिकी सहयोग धीरे धीरे घटाने पर भी चर्चा करनी होगी।
एनआर/एवाई (रॉयटर्स, एएफपी, डीपीए)