30 साल तक उन्होंने रोज सांप का जहर निकाला। फिर उसे इंक्जेशन में भरकर खुद को लगाया। यह एक जीता जाता प्रयोग था, जिसके नतीजे अब दिख रहे हैं।
लंदन के स्टीव लुडविग सांपों के दीवाने हैं। सांपों को करीब से समझने के लिए उन्होंने खुद के साथ एक जानलेवा प्रयोग किया। लुडविग ने करीब 30 साल पहले हरे रंग के सांप ग्रीन ट्री वाइपर का जहर निकाला। और फिर उसे इंजेक्शन में भरकर अपने शरीर में चुभो दिया। धीरे धीरे उनके शरीर को जहर की आदत सी हो गई। इसके बाद लुडविग ने दुनिया के सबसे जहरीले सांपों में शुमार ब्लैक माम्बा और कोबरा का जहर भी अपने शरीर में इंजेक्ट किया।
लुडविग का दावा है कि उनका प्रतिरोधी तंत्र अब बेहद मजबूत हो चुका है और उन्हें पिछले 15 साल से जुकाम तक नहीं हुआ है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि सब कुछ आराम से हो गया। लुडविग कहते हैं, "कुछ हादसे भी हुए। एक बार विष के ओवरडोज की वजह से मुझे तीन दिन आईसीयू में रहना पड़ा। यह बहुत ही खतरनाक है। मैं लोगों से कहूंगा कि वे ऐसा कतई न करें।"
शरीर में सांप के जहर के असर को समझाते हुए लुडविग कहते हैं, "शरीर में विष को दाखिल करने पर अच्छा अहसास नहीं होता है। बहुत ही ज्यादा दर्द होता है।" शुरूआत में उनका सिर भी चकराता था।
लुडविग पर अब डेनमार्क की कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी रिसर्च कर रही है। 2013 से लुडविग की जांच कर रहे वैज्ञानिक जानना चाहते हैं कि उनकी मदद से सांप के जहर के खिलाफ कारगर दवा बनाई जाए। कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी के हेल्थ और मेडिकल साइंसेस के ब्रायन लोसे कहते हैं, "जब वह जहर इंजेक्ट करते हैं तो प्रतिरोधी तंत्र प्रतिक्रिया करता है।"
यह शोध सफल रहा तो यह पहला मौका होगा जब इंसान के शरीर से ही जहर की दवा यानि एंटी वैनम बनाया जाएगा। फिलहाल जहर की काट के लिए सांप के विष का ही इस्तेमाल किया जाता है। विष की डोज घोड़ों को दी जाती है और घोड़ों के शरीर में बनने वाले एंटीबॉडी एजेंट्स को निकालकर सुरक्षित रखा जाता है।
ब्रायन लोसे के मुताबिक, "अस्पतालों के सेटअप के लिहाज से देखें तो जानवरों से मिलने वाले एंटीबॉडी एजेंट्स काफी मंहगे हैं। उम्मीद है कि हमारा एंटी वैनम हजारों के बजाए सैकड़ों डॉलर का होगा। यह उन देशों में आसानी से उपलब्ध होगा जहां सबसे ज्यादा लोगों को सांप काटते हैं।"
वैसे सर्पदंश से सबसे ज्यादा मौतें भारत में होती हैं। भारत में हर साल सांप के काटने से करीब 46,000 लोग मारे जाते हैं। दुनिया भर में हर साल 81,000 से 1,38,000 लोग सांप के डंक से मारे जाते हैं।
लुडविग और कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी को उम्मीद है कि सरकारों और गैर सरकारी संस्थाओं की मदद से एंटी वैनम मुफ्त में बांटा जा सकेगा। लोसे कहते हैं, "स्टीव लुडविग कई बार जानलेवा हालात का सामना कर चुके हैं, इसीलिए मैं बाकी लोगों से गुजारिश करुंगा कि वे स्टीव जैसा काम न करें।"
ओएसजे/एमजे (एएफपी)