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Last Modified: सोमवार, 29 जुलाई 2019 (11:11 IST)

भारत में जन्मे खेल

भारत में जन्मे खेल | Sports of India
सैकड़ों और हजारों साल पहले भारत में कई खेलों का जन्म हुआ। मुगल और ब्रिटिश काल के दौरान यह खेल दुनिया भर में फैले। जानिए कौन कौन से हैं ये भारतीय खेल।
 
1. सांप सीढ़ी
कुछ इतिहासकार कहते हैं कि यह खेल ईसा पूर्व खोजा गया था। कुछ कहते हैं कि इसे 13वीं शताब्दी में संत ज्ञानदेव ने खोजा। प्राचीनकाल में इस खेल को मोक्ष पत्तम, परम पदम और मोक्षपट के नाम से जाना जाता था। ऐसी धारणा थी कि इंसान अच्छे बुरे कर्म करता हुआ आगे बढ़ता है और 100 साल तक जीने की इच्छा रखता है। अंग्रेजों ने इस खेल का नाम बदलकर (स्नैक्स एंड लैडर्स) सांप सीढ़ी किया।
 
2. ताश
प्राचीन भारत में क्रीडा पत्रम नाम का खेल खेला जाता था। पत्तों में महाभारत और रामायण के किरदार बनाए जाते थे। इसे राजसी और उच्च घराने के लोग खेला करते थे। दस्तावेजों के मुताबिक ताश राजपूताना, कश्यप मेरू (कश्मीर), उत्कला (ओडिशा), दक्कन और नेपाल में भी खेला जाता था। अबु फजल की आइन ए अकबरी में भी इसका जिक्र है।
 
3. शतरंज
इतिसकारों के मुताबिक शतरंज खेल का असली नाम चतुरंगा था। यह खेल 280 से 550 ईसवी के बीच गुप्त साम्राज्य के दौरान खोज गया। अरबी और फारसी दस्तावेजों में भी भारतीय खेल चतुरंगा का जिक्र है। फारसी में इसे शतरंज कहा गया।
 
4. कबड्डी
कबड्डी का खेल 4,000 साल पुराना माना जाता है। इसकी खोज दक्षिण भारत में हुई। भारत में आज भी संजीवनी, गामिनी, अमर और पंजाबी स्टाइल की कबड्डी होती है।
 
5. मार्शल आर्ट्स
मार्शल आर्ट्स की विधा भारत में जन्मी। अलग अलग इलाकों में इसे भिन्न नामों से पुकारा जाता था। दक्षिण भारत में आज भी इसे कलारिपयट्टू के नाम से जाना जाता है। युद्ध की इस कला को 300 ईसा पूर्व पुराना माना जाता है।
 
6. लूडो
इस खेल की शुरुआत भी भारत में ही हुई। भारत के कई इलाकों में आज भी इसे चौसर या पव्वा के नाम से जाना जाता है। छठी ईसवी के आस पास सामने आए इस खेल का चित्र अजंता की गुफाओं में भी मिलता है।
 
7. कुश्ती
भारत का सबसे पहला और पारंपरिक खेल मल्ल युद्ध माना जाता है। इस खेल का विस्तार आदिकाल के भारत में रहा है। प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों में बलराम, भीम, हनुमान के नाम मल्ल युद्ध में प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि मल्ल जाति को द्वंद्व युद्ध में इतनी महारथ हासिल थी कि उसका मुकाबला कोई और नहीं कर सकता था। मल्ल जाति को मनुस्मृति में लिछिबी के नाम से जाना जाता है।
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