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  4. issue of harassment of migrant workers in West Bengal was raised
Written By DW
Last Updated : शनिवार, 19 जुलाई 2025 (10:38 IST)

पश्चिम बंगाल में प्रवासी मजदूरों के उत्पीड़न का मुद्दा उठा

Mamata Banerjee
-प्रभाकर मणि तिवारी
 
राजनीतिक लिहाज से देश के अहम राज्यों में शुमार पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव भले अभी 8-9 महीने दूर हों, बंगाल के प्रवासी मजदूरों के उत्पीड़न के सवाल पर सत्ता के दोनों प्रमुख दावेदारों में जोर-आजमाइश तेज हो गई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने देश के खासकर बीजेपी के शासन वाले राज्यों में बंगाल के प्रवासी मजदूरों के कथित उत्पीड़न के मुद्दे पर केंद्र में सत्तारुढ़ बीजेपी के खिलाफ हमला अचानक तेज कर दिया है। दूसरी ओर, बीजेपी ने प्रदेश नेतृत्व में बदलाव के साथ तृणमूल कांग्रेस से मुकाबले के लिए नए सिरे से प्रयास शुरू कर दिया है। इसी के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बंगाल दौरे से ठीक पहले सत्तारूढ़ पार्टी को कटघरे में खड़ा किया है।
 
ममता और उनकी पार्टी फिलहाल 21 जुलाई को कोलकाता में होने वाली सालाना शहीद रैली की तैयारियों में जुटी है। लेकिन इस रैली की धार कुंद करने के लिए बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष शमीक भट्टाचार्य की पहल पर आनन-फानन में प्रधानमंत्री के दौरे की योजना बनाई गई है। दूसरी ओर, इसकी जानकारी मिलते ही प्रवासी मजदूरों के उत्पीड़न के विरोध में ममता ने पदयात्रा का आयोजन किया और केंद्र के साथ भी बीजेपी पर भी जमकर बरसीं।
 
प्रवासी मजदूरों का मुद्दा
 
बीते कुछ महीनों से बंगाल के प्रवासी मजदूरों के साथ देश के विभिन्न राज्यों में उत्पीड़न और कुछ मामलों में उनको बांग्लादेशी बता कर जबरन सीमा पार भेजने की कई घटनाएं सामने आई हैं। ममता बनर्जी शुरू से ही इनका विरोध करती रही हैं। कई मामलों में सरकार के हस्तक्षेप की वजह से जबरन सीमा पार भेजे गए लोगों को वापसी संभव हो सकी है। ओडिशा और राजस्थान के अलावा असम, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र से ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं।
 
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पत्रकारों से बातचीत में सवाल करती हैं, 'क्या बांग्ला में बातचीत करना अपराध है? वैध कागजात होने के बावजूद भाजपा शासित राज्यों में बंगाल के मजदूरों को जबरन बांग्लादेशी करार दिया जा रहा है। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।
 
तृणमूल कांग्रेस के ओर से इस मुद्दे पर बुधवार को कोलकाता में आयोजित एक रैली में ममता समेत भारी तादाद में पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। मुख्यमंत्री ने कहा, 'अब मैं ज्यादातर बांग्ला में ही बात करूंगी। बीजेपी में हिम्मत है तो मुझे डिटेंशन शिविर में बंद कर दिखाए। बंगाल के लोगों को डिटेंशन शिविरों में रखने की स्थिति में राज्य के लोग बीजेपी को चुनाव के जरिए राजनीतिक डिटेंशन शिविर में भेज देंगे।'
 
ममता ने बीजेपी को चेतावनी दी कि अगर बांग्ला भाषियों का उत्पीड़न नहीं रुका तो उसे इसका गंभीर राजनीतिक नतीजा भुगतना होगा। इस मुद्दे पर वो पूरे देश का दौरा करेंगी। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने दूसरे राज्यों में काम करने वाले बंगाल के प्रवासी मजदूरों से राज्य में लौटने की अपील करते हुए कहा है कि सरकार उनके लिए जरूरी व्यवस्था करेगी। दूसरे राज्यों में अपमानित होने से बेहतर अपने राज्य में रहना है।
 
वैसे हाल की कुछ घटनाओं के बाद सैकड़ों की तादाद में प्रवासी मजदूर बंगाल लौटे हैं। अब यह लोग हिंदी सीखने की कोशिश कर रहे हैं। जो ठेकेदार इन मजदूरों को काम करने के लिए दूसरे राज्यों में ले जाते हैं, वही इनको कामचलाऊ हिंदी सिखाने का भी इंतजाम कर रहे हैं।
 
बंगाल में प्रवासी श्रमिक एकता मंच के प्रमुख आसिफ फारूक डीडब्ल्यू से कहते हैं, 'रोजी-रोटी के लिए दूसरे राज्यों में जाने पर वैध पहचान पत्र दिखाने के बावजूद राज्य के मजदूरों का उत्पीड़न किया जा रहा है। हमें धर्म और भाषा के आधार पर नागरिकता के दस्तावेज होने के बावजूद बांग्लादेशी करार दिया जा रहा है। कभी सोचा तक नहीं था कि हमें अपना पेट पालने के लिए नई भाषा सीखनी होगी।'
 
ममता बनर्जी का कहना है कि बंगाल के करीब 22 लाख प्रवासी मजदूर दूसरे राज्यों में काम करते हैं और उनके पास नागरिकता से संबंधित तमाम दस्तावेज हैं। बावजूद इसके उनको परेशान किया जा रहा है। इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
 
प्रधानमंत्री का दौरा
 
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को बंगाल के दौरे पर आएंगे। उन्होंने अपने दौरे से पहले ही एक्स पर अपनी पोस्ट के जरिए तृणमूल कांग्रेस सरकार पर करारा हमला किया है। उन्होंने कहा है कि बंगाल के लोगों को तृणमूल कांग्रेस के कुशासन का खामियाजा भरना पड़ रहा है। यही वजह है कि अब बीजेपी पर लोगों का भरोसा बढ़ा है।
 
प्रधानमंत्री ने बीते महीने उत्तर बंगाल का दौरा किया था। अब वो दक्षिण बंगाल में औद्योगिक शहर दुर्गापुर में एक रोड शो के अलावा जनसभा को संबोधित करेंगे। इस दौरान मोदी करीब 5 हजार करोड़ की लागत वाली विभिन्न परियोजनाओं का भी ऐलान करेंगे। उन्होंने अपनी पोस्ट में आम लोगों से जनसभा में हाजिर होने की अपील भी की है।
 
बीजेपी के तमाम शीर्ष नेता भी दो दिन पहले से इलाके में घर-घर जाकर लोगों से प्रधानमंत्री की सभा में रहने की अपील कर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले दोनों दावेदारों में अभी से जोर आजमाइश शुरू कर दी है। यह वोट बैंक की राजनीति है। प्रधानमंत्री के दौरे को बीजेपी के चुनाव अभियान की अनौपचारिक शुरुआत माना जा रहा है।
 
विधानसभा चुनाव अभियान की अनौपचारिक शुरुआत
 
राजनीतिक विश्लेषक शिखा मजूमदार डीडब्ल्यू से कहती हैं, 'ममता ने प्रवासी मजदूरों का मुद्दा उठा कर अपना अल्पसंख्यक वोट बैंक अटूट रखने में जुटी हैं। दूसरी ओर, बीजेपी भ्रष्टाचार, कुशासन और कानून-व्यवस्था जैसे पारंपरिक मुद्दे उठा रही है।' वो बताती हैं कि दोनों राजनीतिक दल एक-दूसरे के आरोपों को झुठलाने और उसे कटघरे में खड़ी करने की रणनीति पर आगे बढ़ रही हैं। यही वजह है कि सालाना शहीद रैली से पहले जब प्रधानमंत्री का दौरा तय किया गया तो उससे दो दिन पहले ममता ने प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर केंद्र और बीजेपी के खिलाफ रैली आयोजित कर ली।
 
कोलकाता स्थिति रवींद्र भारती विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर डा। विश्वनाथ चक्रवर्ती डीडब्ल्यू से कहते हैं, 'ममता प्रवासी मजदूरों के मुद्दे को जोर-शोर से उठा कर अगले चुनाव से पहले अपने अल्पसंख्यक वोट बैंक को अटूट रखने में जुटी हैं। दूसरी ओर, बीजेपी इसके बहाने तृणमूल कांग्रेस पर घुसपैठ और फर्जी नागरिकता दस्तावेज बनाने के आरोप लगा कर ध्रुवीकरण का प्रयास कर रही है। अभी तो यह शुरुआत है। चुनाव करीब आने के साथ ही बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस में राजनीतिक कड़वाहट और तेज होगी। इसके बाद नागरिकता अधिनियम और एनआरसी जैसे मुद्दे भी सामने आएंगे।'(फोटो सौजन्य : प्रभाकर मणि तिवारी, डॉयचे वैले)
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