कोरोना लॉकडाउन की खबर आने के बाद भारत में लाखों दिहाड़ी मजदूर अपने गांव की ओर निकल पड़े। लेकिन दुनिया के सबसे संपन्न देश कहे जाने वाले अमेरिका में ऐसा क्यों हो रहा है?
इन दिनों अमेरिका में ज्यादातर लोग खाने-पीने का सामान जमा करने में लगे हैं। सुपर मार्केट में जिस जिस सामान की कमी हो रही है, उसकी कालाबाजारी भी शुरू हो गई है। लेकिन इसके साथ साथ एक और बिजनेस भी फायदे में दिख रहा है रीयल इस्टेट का।
फॉर्टीट्यूड रैंच जैसी कुछ कंपनियां लोगों को यह कहकर लुभा रही हैं कि वे उन्हें ऐसे दूरदराज के इलाकों में घर दिलाएंगी, जहां उन्हें कोरोना से डरने की कोई जरूरत नहीं होगी। इसे 'सर्वाइवल कम्युनिटी' का नाम भी दिया गया है। कंपनी का नारा है कि बुरे वक्त की तैयारी के साथ वर्तमान का आनंद लें।
कंपनी के सीईओ ड्र्यू मिलर का कहना है कि कोरोना संकट के बीच उनकी प्रॉपर्टी में रुचि दिखाने वालों की संख्या 10 गुना बढ़ गई है। थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन से बात करते हुए उन्होंने बताया कि लोगों को डर है कि अगर वायरस और घातक साबित हुआ या क्वारंटाइन से फायदा नहीं हुआ और ऐसे में अगर अर्थव्यवस्था बिगड़ती है, तो खाने की चीजों पर और न्याय व्यवस्था पर इसका असर पड़ेगा।
ऐसे में कंपनी इन घरों में अंडरग्राउंड बंकर देने का भी वादा करती है, जो कथित रूप से न्यूक्लीयर हमले से भी बचा सकेंगे। साथ ही इन घरों में पहले से खाने-पीने का खूब सामान भरा गया होगा।
मिलर का कहना है कि इन घरों को यह सोचकर बनाया गया है कि 'जब सामाजिक व्यवस्था ठीक से काम करना बंद कर देगी, चारों तरफ लूट मची होगी, कानून व्यवस्था का कोई अता-पता नहीं होगा और शहर सुरक्षित नहीं रह जाएंगे' तब लोगों को एक सुरक्षित ठिकाना मुहैया कराया जा सकेगा।
अमेरिका में इस बीच कोरोना संक्रमण के 2 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। दुनिया में और किसी भी देश में इतने मामले नहीं देखे गए हैं। भीड़भाड़ वाले शहरों जैसे कि न्यूयॉर्क पर सबसे बुरा असर पड़ा है। ऐसे में कुछ लोग सुरक्षित रहने के लिए शहरों से भागने की सोच रहे हैं। लेकिन जानकारों का मानना है कि भीड़ से दूर गांव-देहात में रहना और भी जानलेवा साबित हो सकता है, क्योंकि जरूरत पड़ने पर वहां चिकित्सीय सुविधाएं आसानी से नहीं पहुंचाई जा सकेंगी।
गंभीर स्थिति
अमेरिका में कोरोना विस्फोट की कई वजहें हैं, हालांकि कई जानकार आशंका जता रहे हैं कि सबसे बदतर स्थिति अभी आनी बाकी है। इस वक्त अमेरिका में इस वायरस के सबसे ज्यादा मामले हैं।
अमेरिका के लोग कितने चिंतित हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 7 मार्च को इंटरनेट में 'रुरल प्रॉपर्टी' की सर्च पिछले साल की तुलना में 364 फीसदी ज्यादा बढ़ गई। नॉर्थ कैरोलिना में ऐसी ही एक कंपनी चलाने वाले जॉन हेनेस कहते हैं कि कोरोना संकट ने लोगों को यह अहसास कराया कि उन्हें बहुत पहले ही इस तरह की प्रॉपर्टी में निवेश कर लेना चाहिए था।
वे बताते हैं कि मार्च के मध्य तक वे इतनी प्रॉपर्टी बेच चुके हैं जितनी 2019 में पूरे साल में बेची थीं। हेनेस कहते हैं कि बहुत से लोग महीनों या शायद सालों से सोच रहे थे कि खरीदें या नहीं लेकिन इस वायरस ने उन्हें फैसला लेने पर मजबूर कर दिया।
वहीं जिन गांवों में घर खरीदे जा रहे हैं, वहां लोगों को अब डर सता रहा है कि उन्हें नए लोगों के साथ अपने संसाधन बांटने पड़ेंगे। अकसर ऐसी दूरदराज जगहों पर लोग निवेश के मकसद से घर खरीदकर रख लेते हैं और फिर साल में 1 या 2 बार वहां छुट्टी बिताने के लिए चले जाते हैं।
लेकिन कोरोना संकट के बीच हालात अलग होंगे। वैसे इस अजीब ट्रेंड में अमेरिका अकेला नहीं है। कनाडा, यूरोप और न्यूजीलैंड में भी कई लोग इस तरह की 'सर्वाइवल प्रॉपर्टी' में निवेश कर रहे हैं।
आईबी/सीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)