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Last Updated : मंगलवार, 3 सितम्बर 2024 (21:49 IST)

भारत तेजी से बन रहा है हथियार निर्यातक

भारत तेजी से बन रहा है हथियार निर्यातक - India is rapidly becoming an arms exporter
India Arms Exporter : बॉन। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासनकाल में भारत ने न केवल तेजी से बहुमुखी प्रगति की है, एक ऐसा काम भी हुआ है, जो सबको तुरंत दिखाई नहीं पड़ता, पर है दुनिया में हलचल मचाने वाला। आलोचक मानें या न मानें, भारत इस बीच चुपके-चुपके दुनिया का एक प्रमुख हथियार निर्माता ही नहीं, निर्यातक भी बन गया है।
 
भारत का हथियार निर्यात, देश में हथियारों के उत्पादन की गति से भी अधिक इस तेजी से बढ़ रहा है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित करने लगा है। वित्त वर्ष 2024-2025 की पहली तिमाही में भारत के हथियार निर्यात में 78 प्रतिशत की वृद्धि देखने में आई है। पीछे मुड़कर देखने पर हम पाते हैं कि वित्त वर्ष 2017 के बाद से भारत का रक्षा निर्यात 12 गुने से भी अधिक हो गया है। इससे यही संकेत मिलता है कि भारत की वर्तमान सरकार देश को वैश्विक रक्षा उद्योग का एक प्रमुख खिलाड़ी बनाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है।
 
वैश्विक प्रतिस्पर्धी : भारतीय हथियारों के निर्यात में इस तीव्र वृद्धि को रक्षा-विशेषज्ञ भारतीय रक्षा उद्योग की एक उल्लेखनीय सफलता के रूप में देखते हैं। वे पाते हैं कि भारत के रक्षा उद्योग ने हाल के वर्षों में रणनीतिक पुनर्गठन और नए निवेशों के माध्यम से खुद को एक वैश्विक प्रतिस्पर्धी के रूप में स्थापित कर लिया है। यह विकास यह भी दिखाता है कि भारत की सरकार अस्त्र-शस्त्र संबंधी प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान, उत्पादन और निर्यात के न केवल पक्ष में है, उन्हें बहुत प्रोत्साहन भी देती है।
 
निर्यात में उछाल : 2024 के अप्रैल से जून तक के केवल 3 महीनों में भारतीय रक्षा सामग्रियों का निर्यात 69.15 अरब रुपए (करीब 830 करोड़ अमेरिकी डॉलर के बराबर) तक पहुंच गया जबकि 2023 की पहली तिमाही में वह 38.85 अरब रुपए (466 करोड़ अमेरिकी डॉलर के बराबर) था। वित्त वर्ष 2023-24 भी, 2.5 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर भारतीय हथियारों के निर्यात का एक रिकॉर्ड वर्ष बन गया। 2022-23 वाले वित्तीय वर्ष में हुए निर्यात की तुलना में यह आंकड़ा 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि के समान है।
 
तुलना के लिए : जर्मनी ने 2023 में कुल 12.2 अरब यूरो (लगभग 13.3 अरब अमेरिकी डॉलर) के बराबर रक्षा उपकरण निर्यात किए अधिकांशत: यूक्रेन को। युद्धग्रस्त यूक्रेन फिलहाल चूंकि किसी भी हथियार की कीमत स्वयं चुकाने की स्थिति में नहीं है, इसलिए उसे दिए गए हथियारों को दान या उधार के तौर पर दिए गए हथियार कहना अधिक उचित होगा। दुनिया का एक प्रमुख हथियार निर्यातक कहलाने वाले जर्मनी द्वारा निर्यात किए गए हथियारों की कीमत 2021 में 9.4 अरब यूरो (लगभग 10.25 अरब अमेरिकी डॉलर) के बराबर थी।
 
फिलीपीन्स के लिए क्रूज मिसाइलें : चीन के विस्तारवादी आतंक से पीड़ित उसके पूर्वी पड़ोसी फिलीपीन्स को भारत के ब्रह्मोस हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के निर्यात ने अंतरराष्ट्रीय जगत को चौंका दिया है। 290 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाले इन भारतीय मिसाइलों की डिलीवरी अप्रैल 2024 में शुरू हुई।
 
ब्रह्मोस मिसाइल को रूसी सहायता से भारत में विकसित किया गया है। मैक 2.8 (ध्वनि की गति से लगभग 3 गुनी अधिक) गति वाली यह मिसाइल दुनिया की सबसे तेज-गति क्रूज मिसाइल है। जमीन, हवा और समुद्र से प्रक्षेपित की जा सकने वाली इस मिसाइल को दागने की भौतिक परिस्थितियों के अनुकूल ही उसके अलग-अलग संस्करण (वैरियंट) हैं। फिलीपीन्स ने भारत के साथ ब्रह्मोस मिसाइलों की आपूर्ति का समझौता अपने प्रति चीनी खतरे को ध्यान में रखकर 2022 में किया था।
 
फिलीपीन्स और चीन के बीच विवाद है कि दक्षिण चीन सागर में उनका समुद्री अधिकार क्षेत्र कहां तक है? जिस तरह चीन, भारतीय लद्दाख वाले अक्साई चिन और पूरे अरुणाचल प्रदेश को अपना बताता है, उसी तरह वह पूरे दक्षिणी चीन सागर पर भी अपना ही दावा करता है, फिलीपीन्स की नौकाओं या जहाजों को वहां आने-जाने से रोकता-टोकता है। हाल ही में एक चीनी युद्धपोत द्वारा एक फिलीपीनी जहाज को टक्कर मारते दिखाता एक वीडियो खूब वायरल हुआ था।
 
रक्षा उत्पादनों में वृद्धि : निर्यात वृद्धि के समानांतर ही भारतीय हथियारों के उत्पादन में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की जा रही है। भारत के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि वित्त वर्ष 2024 में भारत का रक्षा उत्पादन लगभग 1.27 खरब (ट्रिलियन) रुपए (यानी लगभग 15.24 अरब अमेरिकी डॉलर) तक पहुंच गया, जो पिछले वित्तीय वर्ष में 1.09 खरब रुपए (लगभग 13 अरब अमेरिकी डॉलर) के बराबर था। यह बढ़ोतरी 16.7 प्रतिशत वृद्धि के बराबर है।
 
इस समय लगभग 100 भारतीय कंपनियां देश में रक्षा उद्योग और निर्यात के विकास में प्रमुख भूमिका निभाती बताई जाती हैं। निर्यात सामग्रियों में डोर्नियर-228 जैसे विमान, तोपखाने और गोले, ब्रह्मोस मिसाइलें, पिनाका रॉकेट और लॉन्चर, राडार सिस्टम, सिम्युलेटर और बख्तरबंद वाहन शामिल हैं। आज स्थिति यह है कि रक्षा सामग्रियों के मामले में भारत न केवल तेजी से आत्मनिर्भर हो रहा है, बल्कि दुनिया के 'शीर्ष 25 हथियार निर्यातक देशों के बीच भारत की स्थिति काफी मजबूत' हो गई बताई जाती है।
 
लक्ष्य है 500 अरब रुपए का निर्यात : भारत अगले 5 वर्षों के भीतर रक्षा सामग्रियों के निर्यात से 500 अरब रुपए (6 अरब डॉलर) के बराबर राजस्व कमाने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य तक पहुंचने की राह पर है। रक्षा विभाग ने इस विकास को बनाए रखने और तेज करने के लिए एक 'रोडमैप' की रूपरेखा तैयार की है। इसके लिए रक्षा सामग्रियों की भारतीय उत्पाद श्रृंखला का विस्तार करने और अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ सहयोग तेज करने पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
 
(इस लेख में व्यक्त विचार/ विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/ विश्लेषण 'वेबदुनिया' के नहीं हैं और 'वेबदुनिया' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेती है।)
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