शुक्रवार, 29 मार्च 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. after up bulldozer romps in mp
Written By DW
Last Modified: गुरुवार, 24 मार्च 2022 (08:42 IST)

यूपी के बाद दूसरे राज्यों को भी भा रही है बुलडोजर संस्कृति

यूपी के बाद दूसरे राज्यों को भी भा रही है बुलडोजर संस्कृति - after up bulldozer romps in mp
यूपी में योगी सरकार ने अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर उनके घर और अन्य प्रतिष्ठान बुलडोजर से तोड़े। बीजेपी ने इसे चुनाव में खूब भुनाया भी। अब पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में भी इस तरीके को अपनाया जा रहा है।
 
मध्य प्रदेश में सोमवार को सिवनी जिले के कुरई थाने में दुष्कर्म के एक अभियुक्त का अवैध निर्माण बुलडोजर से ढहा दिया गया। इससे पहले श्योपुर जिले में नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप के तीन अभियुक्तों के मकान बुलडोजर से जमींदोज कर दिए गए। उन्हीं में से एक अभियुक्त के खेतों की फसल को भी जेसीबी से नष्ट कर दिया गया।
 
रायसेन जिले में एक सांप्रदायिक विवाद में शामिल अभियुक्तों के घरों को भी बुलडोजर से ढहा दिया गया और इस तरह की घटनाएं मध्य प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में पिछले कुछ दिनों से अखबारों की सुर्खियां बन रही हैं। लेकिन राजधानी भोपाल होते हुए ये कार्रवाइयां राज्य के बाहर तब पहुंचीं जब एक विधायक ने अपने घर पर बुलडोजर चलाने की तारीफ करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ‘बुलडोजर मामा' बताते हुए होर्डिंग्स लगवा दीं। भोपाल की हुजूर सीट से बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने अपने आवास पर एक होर्डिंग लगवाया है जिसमें लिखा है- 'बेटी की सुरक्षा में जो बनेगा रोड़ा, मामा का बुलडोजर बनेगा हथौड़ा।'
 
दरअसल, अपराधियों और रेप और हत्या जैसे जघन्य अपराधों में लिप्त होने वाले अभियुक्तों के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई के लिए यूपी के निवर्तमान मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने जमकर प्रसिद्धि पाई और बुलडोजर चलाने को अपनी सरकार की मुख्य उपलब्धि के तौर पर पेश किया।
 
यही नहीं, विधानसभा चुनाव के दौरान इन कार्रवाइयों पर गीत बने, जनसभाओं में इसकी जमकर चर्चा हुई और लोगों को बताया गया कि जीतकर दोबारा आने पर इसे और तेज किया जाएगा। इन्हीं कार्रवाइयों के चलते योगी आदित्यनाथ को ‘बुलडोजर बाबा' के तौर पर भी प्रचारित किया जाने लगा। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी चुनाव जीतकर दोबारा सत्ता में वापस आ चुकी है। हालांकि अभी नई सरकार ने कार्यभार नहीं संभाला है और शपथ ग्रहण समारोह 25 मार्च को होना है लेकिन बुलडोजर की कार्रवाई और उसका खौफ अभी भी बना हुआ है।
 
दो दिन पहले प्रतापगढ़ जिले में रेलवे स्टेशन पर शौचालय के एक संचालक ने एक महिला से दुष्कर्म किया। पुलिस ने तलाश की लेकिन उसका सुराग नहीं मिला। सोमवार को जब पुलिस वाले अभियुक्त के घर पर बुलडोजर लेकर पहुंचे तो कुछ ही घंटों में उसने थाने में जाकर समर्पण कर दिया। यही नहीं, चुनाव परिणाम आने के ठीक बाद 15 मार्च को मेरठ में माफिया बदन सिंह बद्दो की उस आलीशान निर्माण को ढहा दिया गया जो सरकारी जमीन पर अवैध तरीके से बना हुआ था। बदन सिंह बद्दो वांछित अपराधी हैं जो तीन साल से फरार चल रहे हैं।
 
बताया जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ का ‘बुलडोजर मॉडल' काफी सफल साबित हुआ है और यही वजह है कि दूसरे राज्य भी अपराध के खिलाफ इस ‘बुलडोजर संस्कृति' की ओर आकर्षित हो रहे हैं। तीन दशक बाद यूपी में किसी सरकार की वापसी हुई है और उसका श्रेय तमाम अन्य कारकों के अलावा योगी आदित्यनाथ की अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के तरीके को भी दिया जा रहा है। यही वजह है कि उनके कामकाज का तरीका बीजेपी के दूसरे मुख्यमंत्री भी रोड मॉडल की तरह अपना रहे हैं और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस दिशा में सबसे ज्यादा प्रयत्नशील दिख रहे हैं।
 
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने दो दर्जन से ज्यादा माफिया किस्म के लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाए हैं और 1500 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति जब्त की है। इन लोगों में प्रयागराज में पूर्व सांसद और विधायक अतीक अहमद, मऊ में मुख्तार अंसारी, भदोही में पूर्व विधायक विजय मिश्र, गौतमबुद्धनगर के सुंदर भाटी जैसे लोग प्रमुख हैं।
 
योगी सरकार ने बुलडोजर संस्कृति की शुरुआत कानपुर के बिकरू में सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के प्रमुख अभियुक्त विकास दुबे के आलीशान घर को ढहाने से की थी। इस घटना के अभियुक्तों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था और विकास दुबे के अलावा अन्य अभियुक्तों की भी संपत्तियों पर बुलडोजर चला था। उसके बाद यह सिलसिला चल पड़ा और योगी सरकार की उपलब्धियों में दर्ज हो गया।
 
हालांकि कानूनी जानकार इसे सही नहीं ठहराते हैं। सुप्रीम कोर्ट में वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी कहते हैं कि अभियुक्त की गिरफ्तारी न होने पर उसकी संपत्ति जब्त की जाती है, घर की कुर्की होती है लेकिन घर ढहाना तो पूरी तरह से सरकारी और पुलिस की ‘गुंडागर्दी' है।
 
डीडब्ल्यू से बातचीत में विश्वनाथ चतुर्वेदी कहते हैं, 82-83 यानी कुर्की का मतलब है कि घर से सामान निकाल दीजिए, खिड़की दरवाजे निकाल दीजिए, यानी घर रहने लायक न रहे। यह तो विधिक प्रक्रिया है, जब अभियुक्त कई बार नोटिस भेजने के बावजूद हाजिर न हो। लेकिन बुलडोजर चलाने या घर को नष्ट कर देने का कानून में कोई प्रावधान नहीं है और कानूनी तौर पर ऐसा किया भी नहीं जा सकता।
 
कानून में एनकाउंटर का भी कोई प्रावधान नहीं है। कानून में खुद ही इतनी ताकत है कि अभियुक्त बिना सजा पाए नहीं रह सकता है लेकिन उसके लिए प्रॉजीक्यूशन को मजबूत करना होगा। प्रॉजीक्यूशन मजबूत होगा यानी अच्छी तरह से पैरवी होगी तो अपराधी खुद जेल जाएंगे।
 
रिपोर्ट : समीरात्मज मिश्र
ये भी पढ़ें
लॉकडाउन की सीख : सेहत, सुरक्षा और बचत जैसी 10 जरूरी बातों का मिला सबक