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Written By DW
Last Modified: मंगलवार, 12 अगस्त 2014 (20:38 IST)

खून से सना अफ्रीकी सोना

अफ्रीकी सोना
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जमीन के नीचे हीरे और सोने की सैकड़ों खदानें हैं और उसके ऊपर एक दूसरे का गला काटते इंसान। सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक की यही दास्तान है। शांति वहां लालच के नीचे दब जाती है।

कंधे पर टंगी एके 47, माथे पर पसीना और निगाहों में चौकसी, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक की एक सोने की खदान के पास ये तीन लड़के खड़े हैं। वो विद्रोही हैं और अब खदान के कर्ता धर्ता भी।

नडासिमा की सोने की खदान जंगलों के घिरे पहाड़ की चोटी पर है। खदान की असली मालिक एक्समिन नाम की कनाडियाई कंपनी है, जिसे सेलेका विद्रोही साल भर पहले यहां से खदेड़ चुके हैं। खनन जारी है। हर दिन हजारों लोग यहां सोने की तलाश में आते हैं। सोने का ज्यादातर हिस्सा विद्रोहियों को दिया जाता है।

खदान के आस पास आए दिन गोलियों की आवाज भी गूंजती है। इसका मतलब है कि विद्रोहियों ने किसी को मार दिया। स्थानीय कंमाडर कर्नल उमर गारबा कहता है, 'खदान हमारे नियंत्रण में है। अगर कोई दिक्कत होती है तो हम दखल देते हैं। लोग यहां फ्रेंच शांति सेना नहीं चाहते क्योंकि वो उन्हें खदान से खदेड़ देंगे।'

2012 के आखिर में विद्रोहियों ने एक्समिन कंपनी के कैंप को कब्जे में ले लिया। कंपनी को अब भी उम्मीद है कि एक दिन वो वहां फिर से सोना खोदेगी। चाय की चुस्की लेते हुए गारबा यह सुन कर मुस्कुराने लगता है और कहता है, 'ऐसा कभी नहीं होगा।'

साढ़े चार करोड़ की आबादी वाला सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक बेहद गरीब देश है और अफ्रीकी महाद्वीप के सबसे अशांत इलाकों में एक। हजारों फ्रांसीसी सैनिकों और संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिकों की तैनाती के बावजूद हालात नहीं सुधर रहे हैं। उत्तरी इलाके पर मुस्लिम सेलेका विद्रोहियों का नियंत्रण है। बीते साल मार्च में राष्ट्रपति फ्रांकोइस बोजिजे के हटने के बाद से यहां बड़ी संख्या में विदेशी लड़ाके भर गए हैं। इनमें से ज्यादातर लड़ाके पड़ोसी देश चाड और सूडान से आए हैं।

हिंसा के पीछे लालच : बीते सालों में पहले ईसाई उग्रपंथियों ने जम कर लूट मचाई। 'एंटी-बालाका' के नाम से पुकारे जाने वाले इन उग्रपंथियों ने मुस्लिम विद्रोहियों को उत्तर की तरफ सरका दिया। दोनों तरफ के उग्रपंथियों के बीच ऐसी हिंसा हुई कि अब देश का उत्तरी हिस्सा मुस्लिम और दक्षिणी हिस्सा ईसाई का बंट गया है। टकराव को रोकने के लिए फ्रांस ने अपने पूर्व उपनिवेश में 2000 सैनिक तैनात किए हैं। सितंबर से संयुक्त राष्ट्र भी शांति सैनिकों की संख्या बढ़ाकर 12,000 करने जा रहा है।

लेकिन दोनों तरफ के उग्रपंथियों के हाथ लगी सोने और हीरे की खदान शांति के लिए खतरा बन रही है। यहां से हर महीने करोड़ों का हीरा और सोना निकाला जा रहा है। ये सूडान और चाड के डीलरों को बेचे जाते हैं। इसके बाद तस्करी के सहारे ये दुबई, भारत और एंटवर्प तक पहुंचते हैं। बदले में जो पैसा मिल रहा है उससे दोनों पक्ष हथियार खरीद रहे हैं, लड़ाके भर्ती कर रहे हैं।

सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक में फील्ड रिसर्च कर रहे कास्पर एगेर कहते हैं, 'विवाद से दोनों तरफ के कंमाडरों को फायदा हो रहा है। एंटी बालाका और सलेका, दोनों ही सोने और हीरे के कारोबार में शामिल हैं। अगर यहां शांति बहाल करनी है तो लोदों को आर्थिक विकल्प मुहैया कराने होंगे।'

ब्लड डायमंड और ब्लड गोल्ड : हीरों का कारोबार करने वाले मुस्लिम कारोबारी शरीफ दाहिरो का शोरूम ईसाई उग्रपंथियों ने कब्जे में कर लिया। लेकिन शरीफ ने इलाका छोड़ने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वो 38 साल से यहां रह रहे हैं और आगे यहीं रहेंगे। उग्रवादी बात मान गए। शरीफ को लगता है कि दोनों समुदायों में कुछ लोग जनता को भड़का रहे हैं ताकि सोने और हीरे पर उनका नियंत्रण बना रहे। सूडान, दक्षिण सूडान, कैमरून, चाड, और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो का असर भी पड़ता रहता है।

सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक 1960 में फ्रांस से आजाद हुआ। तब से आए दिन वहां तख्ता पलट, विद्रोह और सत्ता संघर्ष लगा रहता है। असल में संघर्ष की मूल वजह सोना और हीरा ही हैं। खून बहाकर हासिल किए गए हीरों को ब्लड डायमंड कहा जाता है। 81 देश ऐसे हीरों को न खरीदने का समझौता कर चुके हैं, लेकिन तस्करों पर नियंत्रण पाना आसान नहीं, आम तौर पर उनकी कड़ियां आगे बढ़ते बढ़ते ताकतवर देशों की प्रभावशाली हस्तियों तक जुड़ ही जाती हैं।

- ओएसजे/एजेए (रॉयटर्स)