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Written By भाषा

सचिन को बड़ी पारी का इंतजार

सचिन तेंडुलकर ऑस्ट्रेलिया
दुनियाभर में अपने बल्ले का डंका बजा चुके सचिन तेंडुलकर को अपने घरेलू मैदान वानखेड़े स्टेडियम में पिछले दस साल से एक बड़ी पारी का इंतजार है और े ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बुधवार को सातवें और अंतिम एकदिवसीय मैच में अपनी यह ख्वाहिश पूरी करना चाहेंगे।

तेंडुलकर वानखेड़े स्टेडियम में आठ टेस्ट की 14 पारियों और नौ एकदिवसीय मैचों में बल्लेबाजी के लिए उतर चुके हैं, लेकिन इन 23 अंतरराष्ट्रीय पारियों में उनके नाम पर केवल दो शतक दर्ज हैं। इनमें एक शतक उन्होंने टेस्ट जबकि दूसरा एकदिवसीय मैच में लगाया है।

इन दो शतकों में से अंतिम सैकड़ा तेंडुलकर ने दस साल पहले 1997 में श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट मैच में जमाया था। तब उन्होंने 114 रन की पारी खेली थी। इससे एक साल पहले मोहिंदर अमरनाथ बैनेफिट मैच में उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वनडे मैच में 114 रन बनाए थे।

तेंडुलकर अपने घरेलू मैदान पर पिछले साल इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच में जब पहली पारी में एक और दूसरी पारी में 34 रन बनाकर आउट हुए तो दर्शकों ने उनकी हूटिंग शुरू कर दी थी, जो काफी चर्चा का विषय बना था। तेंडुलकर अपने शहर के दर्शकों को इस बार निराश नहीं करना चाहेंगे।

वानखेड़े में तेंडुलकर ने अब तक जो नौ वनडे मैच खेले हैं उनमें 416 रन बनाए हैं, लेकिन पिछले पाँच मैच में उनके नाम पर केवल 145 रन दर्ज हैं। उन्होंने ऑस्ट्रे‍‍‍लिया के खिलाफ 2003 में टीवीएस कप में 68 रन की पारी खेली थी, लेकिन इसमें भारत को 77 रन से हार का सामना करना पड़ा था।

तेंडुलकर ने वानखेड़े में अपना पहला एकदिवसीय मैच वेस्टइंडीज के खिलाफ 1994 में खेला था जिसमें वे खाता भी नहीं खोल पाए थे। इसके बाद की तीन पारियों में हालाँकि उनका स्कोर 90.67 और 114 रन रहा। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत ने यहाँ जो दो मैच खेले हैं उन दोनों में तेंडुलकर ने अर्धशतक जमाए हैं।

इनमें से 1996 में विश्व कप का मैच भी शामिल है, जिसमें तेंडुलकर की 90 रन की शानदार पारी के बावजूद भारत 16 रन से हार गया था। इस मैदान पर होने वाला यह पहला दिन-रात्रि मैच था और इसके बाद यहाँ सभी मैच दूधिया रोशनी में खेले गए। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सातवावनडे भी दिन-रात्रि मैच होगा।

जहाँ तक इस मैच पर भारत के प्रदर्शन का सवाल है तो उसे यहाँ मिश्रित सफलता मिली है। भारत ने वानखेड़े में 13 मैच खेले हैं, जिसमें सात में वह जीता जबकि छह में उसे हार का सामना करना पड़ा।

भारत के वर्तमान क्रिकेटरों में तेंडुलकर के बाद राहुल द्रविड़ ने इस मैदान पर सर्वाधिक छह वन डे मैच खेले हैं। इनमें उन्होंने 246 रन बनाए हैं, जिसमें 2005 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेली गई नाबाद 78 रन की पारी भी शामिल है।

सौरव गांगुली ने वानखेड़े में दो मैच में शून्य और 80 जबकि युवराजसिंह ने भी इतने मैच में नौ और 49 रन बनाए हैं। हरभजनसिंह ने वानखेड़े में चार मैच में 17.42 की औसत से आठ विकेट लिए हैं। इनमें 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने 43 रन देकर पाँच विकेट लिए लेकिन भारत इस रोमांचक मैच में पाँच रन से हार गया था।

भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ यहाँ जो पिछला एकदिवसीय मैच (2003) खेला था, उसमें कामचलाऊ गेंदबाज माइकल क्लार्क ने भारतीय मध्यक्रम को झकझोर दिया था। क्लार्क ने तब 42 रन देकर चार विकेट लिए थे। नाथन ब्रैकन हालाँकि 29 देकर चार विकेट लेकर उनसे भी सफल रहे थे।

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