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Written By वेबदुनिया न्यूज डेस्क
Last Updated : सोमवार, 18 मई 2020 (19:35 IST)

Covid 19 महामारी के बाद खेल फिर से शुरू होगा तो ये 3 चीजें रहेंगी बरकरार

Covid 19 महामारी के बाद खेल फिर से शुरू होगा तो ये 3 चीजें रहेंगी बरकरार - These 3 things will remain intact in sports activities after Kovid
किसी समय भारतीय क्रिकेट की 'दीवार' समझे जाने वाले दिग्गज क्रिकेटर राहुल द्रविड़ का ऐसा मानना है कि कोविड महामारी के बाद जब खेल फिर से शुरू होंगे तो खिलाड़ियों के दिल और दिमाग में 3 चीजें लंबे समय तक बरकरार रहेंगी। ये तीन चीजें होंगी ‘संदेह, संकोच और भय की भावना'।
 
कोरोना वायरस महामारी के कारण टोक्यो ओलंपिक से लेकर दुनिया की सबसे लोकप्रिय इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) को रद्द या स्थगित करना पड़ा है। अब जबकि सरकार ने बिना दर्शकों के खेल आयोजित करने की स्वीकृति दी है, तो जाहिर है इस पर कई तरह के सवाल खड़े होंगे। 
 
इस बार में राहुल द्रविड़ का मानना है कि खेल शुरू होने के बाद कुछ समय के लिए खिलाड़ियों के मन में संदेह या भय हो सकता है। मुझे यकीन है कि जब फिर से खेल शुरू होगा तो निश्चित तौर पर हिचकिचाहट होगी।
 
तकनीकी रूप से इस खेल के सबसे अच्छे बल्लेबाजों में शामिल रहे द्रविड़ ने कहा, व्यक्तिगत रूप से मुझे नहीं लगता कि यह बड़ी ज्यादा परेशानी होगी। मुझे नहीं लगता है कि एक बार शीर्ष खिलाड़ी जब मैदान पर उस चीज के लिए उतरेंगे जिससे वह प्यार करते है तो उन्हें परेशानी होगी।
द्रविड़ ने कहा, बहुत से खिलाड़ियों के लिए एक बड़ी चुनौती यह होगी कि जब वे दो या तीन महीनें तक नहीं खेलेंगे तो अपने शरीर पर विश्वास रखेंगे की नहीं। द्रविड़ ने कहा कि शीर्ष स्पर्धाओं में प्रतिस्पर्धा करने से पहले खिलाड़ियों को फिटनेस हासिल करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए।
 
उन्होंने कहा, फिर से मैच फिटनेस, खेल के लिए जरूरी फिटनेस के लिए थोड़ा समय चाहिए होगा। फिटनेस हासिल करने के बाद ही खिलाड़ी आत्मविश्वास से खुद पर भरोसा कर सकते हैं।
फिलहाल जहां भी दर्शकों की गैर मौजूदगी में उनके स्थान पर दर्शकदीर्घा में पुतले बैठाकर मैच करवाएं हैं, उसके सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आए हैं। यूरोप की टॉप 5 लीग में शामिल म्युनिख में बुंदेसलिगा शनिवार से प्रारंभ हो गई लेकिन यहां करीब ढाई महीने पहले जैसा उत्साह इसलिए नजर नहीं आया क्योंकि दर्शक ही नहीं थे।
 
दर्शकों का समर्थन खिलाड़ियों में हमेशा नया जोश पैदा करता है, लेकिन वो यहां कहीं दिखाई नहीं दिया। कोरोना की मार ने खेल पर कैसा असर डाला, इसकी एक बानगी भी देख लीजिए। बुंदेसलिगा में फुटबॉल खिलाड़ी पूरे 90 मिनट भी मैदान पर नहीं खेल पा रहे थे और उन्हें 70 मिनट में ही मांसपेशियों में खिंचाव आ रहा है और वे इंजुरी से जूझते दिखाई दे रहे हैं।
 
इतने लंबे ब्रेक ने खिलाड़ियों की फिटनेस को प्रभावित किया है। कोरोना ने खेल पर तो असर डाला ही है साथ ही साथ इसे कवर करने वाले पत्रकारों और टीवी रिपोर्टरों के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर दी है। मैच के बाद टेलीविजन रिपोर्टर को स्टिक में माइक्रोफोन लगाकर दूर से खिलाड़ियों और मैनेजर का साक्षात्कार लेना पड़ रहा है, वह भी माइक्रोफोन को प्लास्टिक से कवर करने के बाद।

गोल करने के बाद खिलाड़ी पहले गले मिलकर जश्न मनाते थे या फिर गोल करने वाले खिलाड़ी पर गिर पड़ते थे लेकिन बुंदेसलिगा में यह नजारा नहीं दिखाई दे रहा है। गोल दागने के बाद खिलाड़ी कोहनी मिला रहे हैं और 'थम्सअप' का साइन देकर चेयरअप कर रहे हैं। 
 
यही नहीं, सपोर्टिग स्टाफ भी हाथ मिलाने के बजाय पैर मिलाकर एक दूसरे को बधाई देते हैं। असल में कोरोना के खतरे ने खेल का नूर ही गायब कर दिया है। न गोल मारने वाला जोश दिखाता है और न ही टीम के साथी पहले जैसा जश्न मनाते हैं। इस स्थिति को बदलने में कितना वक्त लगेगा, कोई नहीं जानता।
आईपीएल के लिए दलील दी जा रही है कि भविष्य में इसका आयोजन तो संभव है लेकिन दर्शकों के बिना... आईपीएल का तमाशा दर्शकों के हुजूम के बिना अधूरा रहेगा।

दर्शक, धूमधड़ाका, शोर, यही तो आईपीएल की पहचान है। टीमों के समर्थकों का स्टेडियम में खिलाड़ियों में रोमांच भरना बीते 12 बरसों से देखना आदत सी बन गई है। फिर कैसे संभव है कि मैच में दर्शकों की जगह पुतले हो? क्या ये सब मजाक बनकर नहीं रह जाएगा?
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