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Last Modified: जोहान्सबर्ग , सोमवार, 22 जनवरी 2018 (15:52 IST)

व्हाइट वॉश से बचने के लिए उतरेगी टीम इंडिया

व्हाइट वॉश से बचने के लिए उतरेगी टीम इंडिया - Team India Virat Kohli South Africa,
जोहान्सबर्ग। दक्षिण अफ्रीका से सीरीज़ गंवा चुकी नंबर वन भारतीय क्रिकेट टीम मंगलवार से शुरू होने जा रहे तीसरे और सीरीज़ के आखिरी क्रिकेट टेस्ट में सम्मान बचाने के साथ मेज़बान टीम के हाथों व्हाइटवॉश से भी बचने उतरेगी। भारत ने पहला मैच दक्षिण अफ्रीका से 72 रन से और दूसरा मैच 135 रन से हारा था और वह सीरीज़ पहले ही 0-2 से गंवा चुकी है।
 
ऐसे में तीसरा मैच भले ही परिणाम के लिहाज़ से उसके लिए अहम न हो लेकिन दुनिया की नंबर एक टीम होने के नाते प्रतिष्ठा के लिहाज़ से काफी अहम होगा। विराट कोहली के नेतृत्व में टीम इंडिया ने अंतिम मैच में जीत के लिए मैच से पहले कड़ा अभ्यास भी शुरू कर दिया है और बल्लेबाज़ी क्रम में अजिंक्या रहाणे की वापसी के भी संकेत मिल रहे हैं जिन्हें पिछले मैचों में बाहर रखे जाने को लेकर कप्तान को काफी आलोचना झेलनी पड़ी है। 
 
हालांकि रहाणे को बाहर रखे जाने से अंतिम एकादश में किस खिलाड़ी को बाहर बैठना होगा यह साफ नहीं है। वंडरर्स पिच की बात करें तो यह मैदान भारतीय टीम के लिए सफल रहा है और दक्षिण अफ्रीका में एकमात्र जीत उसे इसी मैदान पर वर्ष 2006 में मिली थी। यह मैच भारत ने 123 रन से जीता था जिसमें शांतकुमार श्रीसंत के पांच विकेट की अहम भूमिका थी। इसके अलावा उसने दिसंबर 2013 में यहां एक मैच ड्रा भी कराया है जबकि केपटाउन और सेंचुरियन मैदानों की तुलना में मेज़बान टीम को इस मैदान पर खास सफलता नहीं मिली है।
 
टेस्ट रैंकिंग में भारत से एक पायदान नीचे दूसरे नंबर पर काबिज़ दक्षिण अफ्रीका भी इस मैच में अपनी घरेलू परिस्थितियों का फायदा उठाते हुए यहां क्लीन स्वीप करना चाहेगी। अफ्रीकी टीम को अपने तेज़ गेंदबाज़ों के दम पर पिछले दोनों मैचों में बड़ी सफलता मिली है तो वहीं भारत के बल्लेबाज़ फ्लॉप साबित हुए। ऐसे में टीम इंडिया के एकादश में रहाणे की वापसी और उनके प्रदर्शन पर सभी की निगाहें रहेंगी। दूसरी ओर भारतीय तेज़ गेंदबाज़ों ने अभी तक कमाल का प्रदर्शन किया है जिसमें इशांत शर्मा तथा मोहम्मद शमी खासे सफल रहे हैं। 
 
पहले केपटाउन मैच में भुवनेश्वर कुमार सफल रहे थे और एकादश में तीनों गेंदबाज़ों की तिकड़ी का जलवा फिर से देखने को मिल सकता है। भुवनेश्वर को हालांकि सेंचुरियन में बाहर बैठाया गया था लेकिन वंडरर्स में माना जा रहा है कि वह वापसी को तैयार हैं। इसके अलावा जसप्रीत बुमराह और उमेश यादव भी तेज़ गेंदबाज़ी आक्रमण का अहम हिस्सा हैं और उनकी बदौलत गेंदबाजी विभाग में विभिन्नता दिखाई दे रही है। यदि टीम पांच गेंदबाज़ों के साथ उतरने पर विचार करती है तो ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन को बेंच पर बैठाया जा सकता है। हालांकि अश्विन निचले क्रम पर अच्छे बल्लेबाज़ साबित होते हैं। वहीं सेंचुरियन में अश्विन और तेज़ गेंदबाज़ शमी पांच-पांच विकेट लेकर काफी सफल रहे थे।
 
बल्लेबाज़ी क्रम में निश्चित ही कप्तान विराट के बल्ले से बड़े स्कोर की उम्मीद होगी जिन्होंने पिछले मैच की पहली पारी में 153 रन बनाए थे। हालांकि दूसरी पारी में वह पांच रन ही बना सके और बाकी बल्लेबाज़ों से भी टीम को कोई मदद नहीं मिली थी जिसे लेकर बाद में कप्तान ने सभी को काफी लताड़ा भी था। टेस्ट विशेषज्ञ बल्लेबाज़ और टीम के ओपनर मुरली विजय पिछले दोनों मैचों में एक अर्धशतक भी नहीं बना सके हैं तो लोकेश राहुल को एक मैच में खेलने का मौका मिला और उसमें वह 10 और 04 रन की पारियों के साथ फ्लॉप रहे। अन्य टेस्ट विशेषज्ञ बल्लेबाज़ चेतेश्वर पुजारा का भी यही हाल है। 
 
उन्होंने अब तक 26, 04, 0 और 09 रन की बेहद निराशाजनक पारियां खेली हैं। दक्षिण अफ्रीकी की पिचों पर जितना उसके गेंदबाज़ सफल रहे हैं उतना ही भारतीय गेंदबाज़ों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है लेकिन उसके बल्लेबाज़ों की नाकामी पिछले दोनों मैचों में उसकी हार की वजह बनी और टीम 25 वर्षों बाद अफ्रीकी ज़मीन पर टेस्ट सीरीज़ जीतकर इतिहास रचने से चूक गयी। यदि विराट की 153 रन की शतकीय पारी को छोड़ दें तो उन्होंने भी तीन पारियों में 05, 28 और 05 रन बनाए हैं। हालांकि बाकी बल्लेबाज़ों से उन्होंने कहीं बेहतर प्रदर्शन किया। मध्यक्रम में रोहित शर्मा भी अपनी घरेलू फार्म को विदेशी जमीन पर कायम नहीं रख सके। 
 
रहाणे को एकादश में शामिल किए जाने से परिणाम पर कितना असर होगा यह मैच में पता लगेगा लेकिन इस मैच में उनके अलावा विकेटकीपर बल्लेबाज़ दिनेश कार्तिक के प्रदर्शन पर भी निगाहें होंगी। विकेटकीपर रिद्धिमान साहा चोटिल होने के कारण बाहर हैं जिनकी जगह तीसरे टेस्ट में कार्तिक को शामिल किया गया है। कार्तिक ने टेस्ट क्रिकेट में अपना पदार्पण वर्ष 2004 में किया था और अपना आखिरी टेस्ट उन्होंने लगभग 8 साल पहले खेला था।

दक्षिण अफ्रीकी टीम की बात करें तो फिलेंडर, कैगिसो रबादा, पदार्पण मैच में ही भारतीय टीम की नैया डूबाने वाले लुंगी एनगिदी और मोर्न मोर्कल एक बार उसके लिए जीत की राह बनाने उतरेंगे। टीम में संभवत: इस बार केशव महाराज को बाहर बैठाया जा सकता है और एक अतिरिक्त बल्लेबाज़ को मौका दिया जा सकता है। टीम में ए बी डीविलियर्स, डीन एल्गर, कप्तान फाफ डू प्लेसिस और क्विंटन डी काक की फिर अहम भूमिका होगा। (वार्ता)
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