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Last Updated : सोमवार, 24 अप्रैल 2023 (14:45 IST)

आदर्श से ज्यादा युवराज के लिए अभिभावक हैं सचिन, कैंसर के दौरान ऐसे रखा था ध्यान

आदर्श से ज्यादा युवराज के लिए अभिभावक हैं सचिन, कैंसर के दौरान ऐसे रखा था ध्यान - Sachin Tendulkar helped Yuvraj Singh like a parent figure during cancer
Sachin Tendulkar सचिन तेंदुलकर युवराज सिंह के लिए सिर्फ एक क्रिकेट के आदर्श नहीं हैं, बल्कि एक ‘‘अभिभावक’’ की तरह हैं, जो संकट के समय में मैदान पर और मैदान के बाहर अविश्वसनीय समाधान और सबक देते थे।सीमित ओवरों के क्रिकेट में भारत के सबसे महान  खिलाड़ियों में से एक और दो विश्व कप जीत के नायक, युवराज भारतीय ड्रेसिंग रूम में तेंदुलकर के सबसे करीबी दोस्तों में से एक रहे हैं और उनके लिए वह जीवन कोच हैं।

तेंदुलकर सोमवार को 50 साल के हो जायेंगे और इन दिनों इंग्लैंड में छुट्टियां मना रहे युवराज ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये साक्षात्कार में कहा, ‘‘ जब मैं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलता था तब हमारे पास कोच होते थे लेकिन अगर मुझे अपनी बल्लेबाजी में कोई तकनीकी समस्या आती थी, तो मैं उनसे ही सलाह लेता था। उन्होंने हमेशा समस्या का समाधान प्रदान किया लेकिन वह सिर्फ मेरे क्रिकेट के आदर्श नहीं थे।’’
मैदान पर तेंदुलकर के साथ कई यादगार साझेदारी करने वाले युवराज ने कहा, ‘‘ मैदान के बाहर भी वह मेरे लिए एक अभिभावक की तरह रहे हैं। जब भी मैंने जीवन में किसी व्यक्तिगत संकट या दुविधा का सामना किया, पाजी (तेंदुलकर) पहले व्यक्ति होते है जिससे मैं सुझाव लेता हूं। उनके पास हमेशा मेरे लिए सबसे अच्छा सबक और सलाह होता था। ’’

युवराज ने 2011 विश्व कप के उस घटना को भी याद किया जब वह लगातार खांसते उल्टी करते रहते थे और इसके कारण ठीक से अपनी नींद भी पूरी नहीं कर पाते थे। इस दौरान तेंदुलकर ने उनका पूरा साथ दिया। ऐसी स्थिति में भी उन्होंने टूर्नामेंट में  अकेले ही 350 से अधिक रन बनाये और 15 विकेट लिये। उनके इस प्रदर्शन से भारत विश्व चैंपियन बना था।

युवराज ने कहा, ‘‘उस समय मुझे भी नहीं पता था कि यह कैंसर है।  सचिन नियमित रूप से मेरे संपर्क में रहते थे। अमेरिका में मेरे इलाज के दौरान भी, वह हमेशा मेरे ठीक होने को लेकर चिंतित रहते थे।’’तेंदुलकर के साथ उनकी पसंदीदा मैदानी साझेदारी के बारे में पूछने पर युवराज को एक बहुत ही ‘विशेष टेस्ट मैच’ को याद किया।उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप देखेंगे तो सचिन पारी का आगाज करते थे और मैं छठे क्रम पर बल्लेबाजी करते था, ऐसे में सीमित ओवरों की क्रिकेट में हमें एक साथ बल्लेबाजी का ज्यादा मौका नहीं मिला।
उन्होंने कहा, ‘‘ टेस्ट क्रिकेट में हालांकि हमने दिसंबर, 2008 में इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई में 150 रन से अधिक की साझेदारी कर भारत को जीत दिलाई थी।  हम 387 रनों का पीछा कर रहे थे और दोपहर बाद मैच जीत गए। सचिन ने शतक बनाया और मैंने लगभग 80 (85) रन की पारी खेली थी। लेकिन वह टेस्ट इसलिए भी खास है क्योंकि मुंबई में 26/11 के आतंकी हमले के बाद यह पहला मैच था। देश त्रासदी से जूझ रहा था और हम सभी बहुत भावुक थे। सचिन मुंबई से आते है ऐसे में वह और ज्यादा भावुक थे।’’(भाषा)
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