आजादी की 43वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर सचिन ने बनाया था अपना पहला शतक
नई दिल्ली। भारत जब अपनी आजादी की 43वीं वर्षगांठ मनाने की तैयारियों में जुटा था तब 17 साल का मासूम किशोर सचिन तेंदुलकर हजारों मील दूर अंग्रेजों को उनकी धरती पर क्रिकेट का कड़ा सबक सिखा रहा था। सचिन ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में टेस्ट मैचों में अपना पहला शतक 14 अगस्त 1990 को इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर लगाया था।
वरिष्ठ खेल पत्रकार धर्मेंद्र पंत ने अपनी लोकप्रिय किताब सचिन के 100 शतक में इस शतक का जीवंत विवरण किया है। क्रिकेट की बाइबिल विजडन ने इस शतक के बारे में लिखा था, ‘उस मैच में कुल छह शतक लगे थे लेकिन उनमें तेंदुलकर के सैकड़े से बेजोड़ कोई नहीं था जिसने भारत को आखिरी दिन शाम हार से बचाया था।' तेंदुलकर ने श्रृंखला के दूसरे टेस्ट मैच की दूसरी पारी में नाबाद 119 रन की बेमिसाल पारी खेली थी। उन्होंने 225 मिनट क्रीज पर बिताकर 189 गेंद खेली तथा 17 चौके लगाए थे। अपनी इस शतकीय पारी से उन्होंने भारत को संकट से बाहर निकालने की जो शुरुआत की थी उसे वह आगे कई साल तक बखूबी निभाते रहे थे।
भारत ने उस मैच में 408 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए 183 रन पर चोटी के छह बल्लेबाज गंवा दिए थे लेकिन तेंदुलकर के इस पहले शतक से भारत मैच ड्रॉ कराने में सफल रहा था। तब तेंदुलकर केवल 17 साल 112 दिन के थे और वह सबसे कम उम्र में टेस्ट शतक जड़ने वाले दुनिया के दूसरे बल्लेबाज बने थे। उस समय यह रिकार्ड पाकिस्तान के मुश्ताक मोहम्मद के नाम पर है जिन्होंने 1961 में भारत के खिलाफ जब शतक लगाया था तब उनकी उम्र 17 साल 82 दिन थी। अब टेस्ट क्रिकेट में यह रिकॉर्ड बांग्लादेश के मोहम्मद अशरफुल और एकदिवसीय मैचों में पाकिस्तान के शाहिद अफरीदी के नाम पर है।
तेंदुलकर की यह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 21वीं पारी और नौ टेस्ट मैचों में 14वीं पारी थी। पाकिस्तान के खिलाफ 15 नवंबर 1989 को टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करने के बाद वह 12 फरवरी 1990 को शतक के बेहद करीब पहुंचे थे लेकिन न्यूजीलैंड के खिलाफ नेपियर में वह केवल 12 रन से शतक से चूक गए थे। भारत की पहली पारी में वह 11 फरवरी को 80 रन बनाकर खेल रहे थे और लग रहा था कि वह सबसे कम उम्र में टेस्ट शतक जड़ने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लेंगे लेकिन दूसरी सुबह जब वह अपने स्कोर आठ रन जोड़ पाए थे तभी डैनी मौरीसन की गेंद पर स्लिप में जान राइट ने उनका कैच लपक दिया था। यही राइट बाद में भारतीय टीम के कोच बने थे।
पंत ने अपनी किताब में लिखा कि तेंदुलकर सबसे कम उम्र में टेस्ट शतक का रिकॉर्ड अपने नाम तो नहीं कर पाए लेकिन उन्हें अपना पहला टेस्ट शतक लगाने के लिए अधिक इंतजार नहीं करना पड़ा। यही नहीं उन्होंने यह सैकड़ा बेहद विषम परिस्थितियों में लगाया था। तूफानी तेज गेंदबाज डेवोन मैलकम, बेहद चालाक एंगस फ्रेजर और बल्लेबाजों को परेशानी में डालने वाले ऑफ स्पिनर एडी हैमिंग्स का सामना करना आसान नहीं था। यही वजह थी कि नवजोत सिंह सिद्धू, रवि शास्त्री, दिलीप वेंगसरकर, मोहम्मद अजहरुद्दीन और कपिल देव सस्ते में आउट हो गये। संजय मांजरेकर भी अर्धशतक जड़कर पैवेलियन लौट गए। तेंदुलकर ने जब वेंगसरकर के आउट होने के बाद छठे नंबर के बल्लेबाज के रूप में क्रीज पर कदम रखा तो स्कोर चार विकेट पर 109 रन था।
इसके बाद अजहर और कपिल भी जब आउट हो गए तो फिर तेंदुलकर और मनोज प्रभाकर पर विषम परिस्थितियों में मैच बचाने की जिम्मेदारी आ गई थी। ढाई घंटे का खेल बचा हुआ था और इंग्लैंड को जीत के लिए केवल चार विकेट की दरकार थी। इंग्लैंड के कप्तान ग्राहम गूच ने करीबी क्षेत्ररक्षण लगाकर बल्लेबाजों पर दबाब बढ़ाने की रणनीति अपनाई लेकिन तेंदुलकर पहली पारी में 68 रन बनाकर जतला चुके थे कि छोटा बच्चा जानकर उनसे टकराने का परिणाम बहुत खतरनाक होगा। तब वह किसी और के नहीं बल्कि अपने आदर्श सुनील गावस्कर के दिए हुए पैड पहनकर क्रीज पर उतरे थे और फिर क्रिकेट जगत ने एक नए लिटिल मास्टर का उदय देखा।
तेंदुलकर ने शुरू में संभलकर बल्लेबाजी की। वह जब केवल दस रन पर थे तब हैमिंग्स ने अपनी ही गेंद पर उनका कैच छोड़ा था। हैमिंग्स को अब भी वह वाकया याद है। उनके शब्दों में, ‘मैंने पारी के शुरू में सचिन का कैच छोड़ा था। यह मेरे दायीं तरफ लेग साइड पर था और यह मुश्किल कैच नहीं था लेकिन मैंने इसे छोड़ दिया। यदि मैं वह कैच ले लेता तब भी इतिहास नहीं बदलता। हो सकता था कि हम वह मैच जीत जाते।' इसके बाद एलन लैंब ने भी स्लिप में उनका मुश्किल कैच छोड़ा लेकिन इसके बाद तो फिर ओल्ड ट्रैफर्ड में तेंदुलकर के पांव की उंगलियों पर खड़े होकर बैकवर्ड प्वाइंट पर लगाए गए स्ट्रोक और ड्राइव की चर्चा होने लगी।
जब उन्होंने एंगस फ्रेजर की गेंद पर तीन रन लेकर अपना पहला शतक पूरा किया तो तब कमेंट्री बाक्स में बैठे महान ऑस्ट्रेलियाई कप्तान और दिग्गज कमेंटेटर रिची बेनो ने कहा था, ‘मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाले वर्षों में हमें इस लड़के से ढेरों शतक देखने को मिलेंगे।' तेंदुलकर ने करियर में शतकों का सैकड़ा पूरा किया जिसके बाद सभी ने माना कि बेनो ने कितनी सही भविष्यवाणी की थी। (वार्ता)