नई दिल्ली। बीसीसीआई में ढांचागत सुधारों संबंधी जस्टिस आरएम लोढा समिति की सिफारिशों को लागू करने के संबंध में घटनाक्रम इस प्रकार है।
4 जनवरी 2016 : जस्टिस आर एम लोढा समिति ने बीसीसीआई में सुधारों के विभिन्न पहलुओं पर उच्चतम न्यायालय को अपनी रिपोर्ट दी।
22 जनवरी : न्यायालय ने क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार की याचिका पर सुनवाई पर मंजूरी जताई, जिसने जस्टिस लोढा समिति की रिपोर्ट लागू करने की मांग की थी।
4 फरवरी : न्यायालय ने लोढा समिति की सिफारिशों को लेकर बीसीसीआई को ढर्रे पर आने के लिए कहा।
24 फरवरी : आईपीएल फ्रेंचाइजी चेन्नई सुपर किंग्स को दो साल के लिए निलंबित करने के जस्टिस लोढा समिति के फैसले के खिलाफ न्यायालय ने भाजपा नेता सुब्रहमण्यन स्वामी की याचिका पर सुनवाई मंजूर की।
1 मार्च : ओडिशा क्रिकेट संघ ने लोढा समिति के सुझाव लागू करने के संबंध में सुनवाई के दौरान एक पक्ष बनाए जाने की मांग की।
3 मार्च : न्यायालय ने लोढा समिति की सिफारिशें लागू करने को लेकर उदासीन रवैए पर बीसीसीआई की खिंचाई की। उसने राज्यों को कोष देने में पारदर्शिता के अभाव पर बीसीसीआई से सवाल किया।
3 मार्च : न्यायालय ने बीसीसीआई की इस आशंका को भी खारिज किया कि ढांचागत बदलावों से उसे आईसीसी का कोपभाजन बनना होगा। न्यायालय ने कहा कि कैग का प्रतिनिधि शामिल करना सरकारी दखल नहीं माना जाएगा।
5 अप्रैल : न्यायालय ने बेतहाशा धनराशि खर्च होने पर लगाम नहीं कसने के लिए बीसीसीआई को लताड़ा। इसने कहा कि कोई सफाई नहीं मांगकर वह अपने सदस्यों को व्यावहारिक रूप से भ्रष्ट बना रहा है।
11 अप्रैल : मुंबई के क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया से न्यायालय ने कठिन सवाल किए, जिसने बीसीसीआई में ढांचागत सुधारों को लेकर विरोध जताया था। 13 अप्रैल : न्यायालय ने सरकार से पूछा कि क्या वह कानून बनाकर क्रिकेट का संचालन अपने हाथ में ले सकती है।
25 अप्रैल : न्यायालय ने देश में क्रिकेट के एकाधिकार के लिए बीसीसीआई को आड़े हाथों लिया। इसने कहा कि धोनी और कोहली बनने को लालायित कई युवाओं को बराबरी के मौके नहीं मिल रहे हैं।
29 अप्रैल : न्यायालय ने बीसीसीआई को आड़े हाथों लेकर कहा कि यदि राजनीतिज्ञ 70 साल में रिटायर हो जाते हैं तो बीसीसीआई पदाधिकारी क्यो नहीं।
2 मई : न्यायालय ने सभी राज्य क्रिकेट संघों को जस्टिस लोढा समिति की सिफारिशों को लेकर ढर्रे पर आने के लिए कहा।
3 मई : न्यायालय ने कहा कि बीसीसीआई के संविधान से पारदर्शिता, निष्पक्षता और जवाबदेही के मूल्यों को हासिल नहीं किया जा सकता और इसमें बदलाव लाजमी है।
5 मई : भारत के पूर्व कप्तान बिशनसिंह बेदी और पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद ने लोढा समिति की सिफारिशों के समर्थन में उच्चतम न्यायालय का द्वार खटखटाया।
10 मई : न्यायालय ने कहा कि सुधारों से बीसीसीआई को कोई नुकसान नहीं होगा और उसका इरादा बोर्ड की लोकप्रियता कम करने का नहीं है।
18 मई : कैब ने बीसीसीआई सचिव अनुराग ठाकुर को अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने से रोकने के लिए न्यायालय का रूख किया। इसने कहा कि ऐसा व्यक्ति लोढा समिति के सुझावों के तहत चुनाव नहीं लड़ सकता, जिसके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया हो।
30 जून : लोढा समिति की रिपोर्ट लागू करने पर सुनवाई समाप्त।
18 जुलाई : उच्चतम न्यायालय ने बीसीसीआई में प्रशासनिक सुधारों की लोढा समिति की अधिकांश सिफारिशें मंजूर कर ली जिनमें मंत्रियों, आईएएस अधिकारियों और 70 बरस से अधिक उम्र वालों के पदाधिकारी बनने पर रोक शामिल है हालांकि इसे आरटीआई के अधीन लाने और क्रिकेट में सट्टेबाजी को वैध बनाने का फैसला संसद पर छोड़ दिया है। (भाषा)