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Last Modified: बुधवार, 9 सितम्बर 2020 (21:07 IST)

'बॉल गर्ल' से शुरुआत करने वाली झूलन गोस्वामी ने वनडे में 225 विकेट झटके

'बॉल गर्ल' से शुरुआत करने वाली झूलन गोस्वामी ने वनडे में 225 विकेट झटके - Jhulan Goswami, who started with Ball Girl, took 225 wickets in ODI
नई दिल्ली। भारतीय महिला टीम की पूर्व कप्तान और एकदिवसीय क्रिकेट में दुनिया में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली तेज गेंदबाज झूलन गोस्वामी ने कहा है कि महिला आईपीएल देश की युवा क्रिकेटरों के लिए बड़ी उपलब्धि होगी और इससे उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। ईडन गार्डन पर बॉल गर्ल से शुरुआत करने वाली झूलन ने महिला वनडे क्रिकेट में 225 विकेट अपने नाम किए हैं। 
 
झूलन ने महिला आईपीएल के बारे में आशावादी लहजे में कहा, जहां तक ​​आईपीएल का सवाल है, हम चाहते हैं कि इस टूर्नामेंट की शुरुआत हो और हम सभी इसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। महिला आईपीएल देश के लिए और युवा महिला क्रिकेटरों के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी क्योंकि वे भारतीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिभाओं के साथ ड्रेसिंग रूम साझा करेंगी।
 
महिला वनडे क्रिकेट में 225 विकेट लिए : 37 वर्ष की हो चुकी भारतीय तेज गेंदबाज झूलन ने इस कार्यक्रम में अपने जीवन पर बातचीत की और 2017 आईसीसी महिला विश्व कप, महिला आईपीएल तथा उन पर आने वाली आगामी फिल्म पर भी चर्चा की। झूलन एकदिवसीय मैचों में 3.28 के इकानॉमी दर से 225 विकेट ले चुकी हैं और वह मानती हैं कि उम्र केवल एक संख्या है, सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण खेल के प्रति जुनून है।
कैसे हुई क्रिकेट की शुरुआत : झूलन ने कहा, एक पेशेवर एथलीट के रूप में आप उम्र के बारे में कभी नहीं सोचते। आप बस अपने जुनून, कड़ी मेहनत और खेल के प्रति प्यार को अपने ध्यान में रखते हैं। आप बस जितना संभव हो उतना समय मैदान पर बिताना चाहते हैं और यह किसी भी एथलीट के लिए सबसे संतुष्टि भरा होता है और मैं खुद खेल का पूरी तरह आनंद ले रही हूं। झूलन ने अपने अतीत के बारे में बताया कि कैसे उनकी क्रिकेट यात्रा शुरू हुई और कैसे उनके और मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के बीच समानता रही, क्योंकि दोनों ने ही अपना सफर बॉल बॉय या बॉल गर्ल के रूप में शुरू किया था।
 
ईडन गार्डन पर जब बॉल गर्ल बनी : झूलन ने कहा, 1997 का महिला विश्व कप भारत में हो रहा था और मैं भाग्यशाली थी कि मुझे उसके टिकट मिले थे। मुझे विश्व कप के बारे में 100 प्रतिशत जानकारी नहीं थी लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार ने लड़कियों के स्कूल में कुछ टिकट भेजे थे और मैं खेलों से जुड़ी हुई थी, इसलिए मैं सौभाग्यशाली थी कि मुझे भी टिकट प्राप्त हुए।

मेरे पिता मुझे मैच के लिए ले गए क्योंकि मेरे लिए अपने गांव से कोलकाता तक अकेले यात्रा करना संभव नहीं था। ईडन गार्डन में यह मेरा पहला मौका था और मैं 'क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ वेस्ट बंगाल' के मुख्य द्वार के सामने खड़ी थी और उन्होंने मुझे इशारा किया और कहा कि तुम एक बॉल गर्ल हो।
 
मुझे अपने देश के लिए खेलना होगा : झूलन ने कहा, यह मेरे जीवन का सबसे गौरवपूर्ण क्षण था। आप भी वही खेल खेलते हो जो लड़के खेलते हैं और जिस खेल में लड़कियों को बहुत सी आलोचनाओं और टिप्पणियों का सामना करना पड़ता है। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की लड़कियों को फाइनल में खेलते हुए देखकर मैं काफी प्रेरित हुई और मैंने खुद से कहा कि अगर मैं इस खेल को खेलना शुरू करती हूं तो मुझे अपने देश के लिए खेलना होगा। यह वह समय था जब से मैंने खेल को गंभीरता से लेना शुरू किया और इसमें अपना करियर बनाने का फैसला किया।
महिला क्रिकेट में काफी बदलाव आए : यह पूछे जाने पर कि अब लोग महिला खिलाड़ियों को भी जानते हैं और पूरा परिदृश्य कैसे बदल गया है? झूलन ने कहा, आधुनिक समय में सोशल मीडिया हमारे समाज में एक बड़ी भूमिका निभाता है। पहले के समय में कवरेज बहुत ही सीमित था लेकिन आजकल सब कुछ उचित तरीके से आयोजित किया जाता है। आप जानते हैं कि जब भारतीय टीम खेलने जा रही होती है, तो मैचों की लाइव स्ट्रीमिंग होती है और उन्हें टीवी पर भी दिखाया जाता है। 1973 में जब महिला क्रिकेट टीम बनी तो सिर्फ उनके पास खेल के प्रति लगन और प्यार था और आज हमें जो कुछ मिल रहा है वह बहुत बदल गया है और यह समय के साथ बेहतर होता जाएगा।
 
जब भारत केवल 9 रन से फाइनल हारा :  भारत 2017 में आईसीसी महिला विश्व कप के फाइनल में पहुंचा था और झूलन टीम की एक प्रमुख सदस्य थीं। भारत इससे पहले खिताब के इतना नजदीक कभी नहीं पहुंचा था और यहां भी भारतीय टीम पास पहुंच कर भी दूर रह गई क्योंकि भारत केवल 9 रन से हार गया था।उन्हें विश्व कप नहीं जीत पाने का काफी अफसोस था। 
एक टीम के रूप में हमने जज़्बा दिखाया : उन्होंने उस विश्व कप को याद करते हुए कहा, लॉर्ड्स के मैदान पर विश्व कप फाइनल खेलना बहुत बड़ी उपलब्धि थी, हमने विश्व कप की काफी अच्छी शुरूआत की थी और शुरू से ही टीम ने बेहतर प्रयास किए थे। चाहे आप स्मृति मंधाना, मिताली राज, एकता बिष्ट, दीप्ति शर्मा, शिखा पांडे या राजेश्वरी गायकवाड के बारे में बात करें, सभी ने बेहतरीन योगदान दिया था। एक टीम के रूप में हमने जज़्बा दिखाया और शानदार प्रदर्शन किया।
 
हम दबाव नहीं झेल सके : झूलन ने कहा, हम फाइनल में पहुंच गए थे लेकिन अंतिम 10 ओवरों में हम मैच हार गए। मैच के 90 ओवरों में हमने मैच में अपना दबदबा बनाए रखा था और यह इंग्लैंड की गेंदबाजी के केवल आखिरी 10 ओवर थे, जहां हम दबाव नहीं झेल सके थे। यह एक अफ़सोस है कि हम विश्व कप के इतना नजदीक पहुंच कर हार गए थे लेकिन हमें आगे बढ़ना होता है। 
महिला क्रिकेट के लिए क्रांति का वर्ष : 2017 का विश्व कप हारने के बावजूद यह वर्ष हमारे देश में महिला क्रिकेट के लिए क्रांति का वर्ष था। मुझे लगता है कि महिलाओं की क्रिकेट के लिए जिस गति और प्रेरणा की आवश्यकता थी वो हमारे द्वारा स्थापित की गई थी। यदि आप पिछले तीन वर्षों 2017-20 में हमारी टीम के प्रदर्शन को देखते हैं तो हम बहुत सुसंगत रहे हैं और केवल फाइनल में ही हम हारे हैं चाहे वह वनडे हो या टी 20 हो।
 
महिला क्रिकेट में आया बदलाव : विश्व कप के अनुभवों के बाद झूलन ने महिला क्रिकेटरों के आईपीएल और जमीनी स्तर पर महिला क्रिकेट पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा, हमारे घरेलू क्रिकेट की संरचना शानदार है। हमने अंडर-19, अंडर-23 और सीनियर स्तर पर प्रतिस्पर्धी क्रिकेट खेला है। देश के अधिकांश हिस्सों में अच्छी गुणवत्ता वाली क्रिकेट खेलने वाली कई लड़कियां हैं। घरेलू क्रिकेट में प्रदर्शन करना आसान नहीं है क्योंकि आप नहीं जानते कि टूर्नामेंट जीतने वाली कौन है क्योंकि कई टीमें इन टूर्नामेंट में हिस्सा लेती हैं।
 
फिट रहने का सीक्रेट साझा किया : बढ़ती उम्र के बावजूद झूलन युवाओं के लिए फिटनेस का प्रतीक हैं। अनुभवी गेंदबाज ने फिट रहने के अपने ट्रेड सीक्रेट्स को साझा किया और कहा, शुरुआत से ही मैंने कड़ी मेहनत की है। मेरे कोच ने मुझे बताया कि यदि मुझे तेज गेंदबाज बनना है, लंबे समय तक खेलना है और चोटों से जल्दी उभरना है तो मुझे फिट रहने की जरूरत है। 
जितना भागोगे, उतने ही ज्यादा फिट रहोगे : झूलन ने कहा, मेरे करियर के शुरूआती दिनों में पेशेवर प्रशिक्षक और फिजियोथेरेपिस्ट नहीं थे। मुझे बस एक बात बताई गई थी कि जितना तुम भागोगे, तुम उतने ही ज्यादा फिट रहोगे। इसलिए मैंने उसका अनुसरण किया, चाहे मेरे कोच ने मुझसे कितनी भी स्प्रिंट्स के लिए कहा, मैं हमेशा यह सुनिश्चित करती थी कि मैं उन सभी स्प्रिंट्स को पूरा करूं। मैं बहुत अधिक फुटबॉल भी खेलती थी जिससे मुझे अपने शरीर और सहनशक्ति को आकार देने में मदद मिली।
 
बायोपिक को लेकर झूलन नर्वस : झूलन गोस्वामी अपनी आगामी बायोपिक और अपनी भूमिका निभाने वाली अनुष्का शर्मा के बारे में पूछे जाने पर काफी उत्साहित दिखीं। उन्होंने कहा, मैं बहुत नर्वस हूं कि लोग इस फिल्म को लेकर कैसी प्रतिक्रिया देंगे। लेकिन मुझे उम्मीद है कि यह बच्चों और युवाओं को खेलकूद के लिए प्रेरित करेगी।
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