पदार्पण पर शतक लगाने वाली दो भारतीयों की कहानी : एक बनी रन मशीन, दूसरी को मिले दो मैच
नई दिल्ली। वह 26 जून 1999 का दिन था जब इंग्लैंड के मिल्टन केयन्स में भारत की दोनों सलामी बल्लेबाज एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण के लिए उतरी, दोनों ने शतक जमाकर नया रिकॉर्ड बनाया लेकिन इनमें एक खिलाड़ी जहां महिला क्रिकेट की रन मशीन बन गई वहीं दूसरी बल्लेबाज कुछ दिनों बाद ही नेपथ्य में खो गई।
इनमें से मिताली राज के नाम से सभी क्रिकेट प्रेमी परिचित होंगे लेकिन रेशमा गांधी को शायद ही कोई जानता होगा। मिताली तब 16 साल की थी और उन्होंने आयरलैंड के खिलाफ खेले गए इस मैच में नाबाद 114 रन बनाए। उनके साथ रेशमा गांधी पारी की शुरुआत करने उतरी थी जिन्होंने 24 साल की उम्र में पदार्पण किया था।
महाराष्ट्र के अहमदनगर में 16 दिसंबर 1974 को जन्मी रेशमा ने नाबाद 104 रन बनाए, लेकिन उन्होंने पहले शतक पूरा किया था। इस तरह से वह पुरुष और महिला क्रिकेट दोनों में पदार्पण वनडे में शतक जड़ने वाली पहली भारतीय बनी थी। मिताली ने उनके बाद शतक पूरा किया था। भारतीय पुरुष टीम की तरफ से केवल केएल राहुल ही अपने पदार्पण वनडे मैच में शतक लगा पाए हैं। उन्होंने 11 जून 2016 को जिम्बाब्वे के खिलाफ हरारे में नाबाद 100 रन बनाकर यह उपलब्धि हासिल की थी।
मिताली और रेशमा ने उस मैच में पहले विकेट के लिए 258 रन की अटूट साझेदारी की थी। यह तब महिला क्रिकेट में पहले विकेट के लिए नया रिकॉर्ड था जो 9 साल तक उनके नाम पर रहा था। भारत ने यह मैच 161 रन से जीता था जो उस समय भारत की रनों के लिहाज से सबसे बड़ी जीत थी। मिताली इसके बाद भारतीय शीर्ष क्रम में बल्लेबाजी का मुख्य आधार बन गई। उन्होंने 10 टेस्ट मैच भी खेले जिनमें 214 रन की एक पारी भी शामिल हैं। वह अब तक 209 वनडे मैच खेल चुकी हैं और दुनिया की एकमात्र महिला क्रिकेटर हैं जिन्होंने 200 से अधिक एकदिवसीय मैच खेले हैं।
यही नहीं मिताली के नाम पर वनडे में 6888 रन दर्ज हैं जो कि विश्व रिकॉर्ड है। उन्होंने ये रन 50.64 की औसत तथा सात शतक और रिकॉर्ड 53 अर्द्धशतकों की मदद से बनाए हैं। मिताली 50 या इससे अधिक अर्द्धशतक लगाने वाली दुनिया की एकमात्र बल्लेबाज हैं। मिताली राज ने अपने करियर में बीच में लगातार 109 मैच खेले जो कि विश्व रिकॉर्ड है लेकिन आज से ठीक 21 साल पहले उनके साथ कैंपबेल पार्क में अपने करियर का आगाज करने वाली रेशमा गांधी केवल दो अंतरराष्ट्रीय मैच ही खेल पाई।
रेशमा गांधी मुख्य रूप से विकेटकीपर बल्लेबाज थी। अपने पदार्पण मैच में वह इसी भूमिका में खेली थी लेकिन तब भारतीय टीम में अंजू जैन के रूप में मंझी हुई विकेटकीपर बल्लेबाज थी। ब्रिटेन के उस दौरे में इंग्लैंड के खिलाफ अगले मैच में अंजू जैन की वापसी हुई और रेशमा को बाहर कर दिया गया।
मिताली अपने अगले दो मैचों में चार और शून्य रन पर आउट हो गई। तीसरे मैच में उनकी जगह रेशमा को विशुद्ध बल्लेबाज के रूप में उतारा गया लेकिन वह सातवें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए आई। रेशमा ने नाबाद 18 रन बनाए जो उनकी आखिरी अंतरराष्ट्रीय पारी साबित हुई। घरेलू क्रिकेट में रेलवे का प्रतिनिधित्व करने वाली रेशमा ने अपने करियर में लिस्ट ए के कुल 13 मैच में खेले जिनमें 38.42 की औसत से 269 रन बनाए जिसमें एक शतक और दो अर्द्धशतक शामिल हैं। (भाषा)