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Last Updated : सोमवार, 20 जनवरी 2025 (14:10 IST)

जानें सेना के जवान ने कैसे पत्नी सिमरन शर्मा की पैरालंपिक में मेडल जीतने में की मदद, दिल छूने वाली कहानी

जानें सेना के जवान ने कैसे पत्नी सिमरन शर्मा की पैरालंपिक में मेडल जीतने में की मदद, दिल छूने वाली कहानी - Inspiring Journey of Para Athlete Simran Sharma How Her Husband Trained Her to Success
भारत में महिला एथलीटों की उल्लेखनीय उपलब्धियों का जश्न मनाने और सम्मान देने के लिए BBC इंडियन स्पोर्ट्स वूमेन ऑफ द ईयर (ISWOTY) अवार्ड अपने पांचवें संस्करण के साथ वापस आ गया है। उन्होंने इस अवार्ड के नॉमिनिस की घोषणा 16 जनवरी को एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान की जहाँ उन्होंने राष्ट्रीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान प्रीतम सिवाच और पैरालंपिक्स 2024 में 200 मीटर टी12 स्पर्धा में भारत के लिए ब्रॉन्ज़ मैडल जीतने वाली सिमरन शर्मा को आमंत्रित किया। प्रीतम रानी सिवाच जूनियर महिला एशिया कप 2012 में रजत जीतने वाली भारतीय टीम की कोच और द्रोणाचार्य पुरस्कार हासिल करने वाली एकमात्र महिला हॉकी कोच हैं।


सिमरन को 17 जनवरी, को अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया। प्रेस कॉन्फरेंस के दौरान दोनों खिलाड़ियों से कई प्रश्न पूछे गए, दोनों ने अपनी कठिनाइयों से भरी यात्रा को साझा किया और उन मुद्दों पर भी बात की जिन पर खेल जगत को ध्यान देने की बेहद जरुरत है, साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने किस तरह अपनी जर्नी के दौरान बाधाओं का सामना किया और कैसे अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए उन्होंने सारी मुश्किलों को मजबूत रहकर पार किया और उन्हें पार करने के लिए कौन हमेशा उनके साथ खड़ा रहा।
 
हिंदी में एक कहावत है कि एक पति की सफलता के पीछे एक पत्नी का हाथ होता है लेकिन एक पत्नी की सफलता के पीछे भी एक पति का हाथ हो सकता है, यह सिमरन की कहानी ने साबित किया।  
 
मोदीनगर, उत्तर प्रदेश में 9 नवंबर 1999 को जन्मी सिमरन शर्मा एक दृष्टिबाधित पैरा-एथलीट हैं। उन्होंने 2024 पैरालिंपिक में भारत को रिप्रेजेंट किया और 7 सितंबर 2024 को महिलाओं की 200 मीटर टी12 फाइनल में कांस्य पदक जीता। समय से पहले जन्म लेने की वजह से उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य समस्या का सामना करना पड़ा लेकिन किसी भी तरह की समस्या कुछ कर दिखाने के उनके जज्बे को कम नहीं कर पाई।

उनके पिता ने उन्हें खेल से परिचित कराया और हमेशा आगे बढ़ने को प्रेरित किया, वे स्कूल में कई सारे खेल खेलती थीं और उन्होंने कई सारे मेडल भी जीते। हालांकि वित्तीय बाधाओं के कारण उन्हें ज्यादा सुविधाए और कोचिंग नहीं मिल सकी लेकिन यह सब तब बदल गया जब वे एक आर्मी कांस्टेबल गजेंद्र सिंह से मिलीं।

कॉन्फरेंस के दौरान जब वेबदुनिया ने उनसे यह सवाल किया कि किस तरह उनके पति ने समाज के तानों को इग्नोर कर हमेशा, हर कदम पर उनका साथ दिया और पैरालंपिक तक पहुंचाने में उन पर, उनके साथ कड़ी मेहनत की, सिमरन शर्मा ने जवाब दिया कि जब 2017 में उनकी शादी गजेंद्र सिंह से हुई थी तब उन्होंने उनसे एक सवाल किया था कि 'क्या करना चाहती हो अपनी लाइफ में', तो सिमरन ने जवाब दिया था कि उन्हें अपनी टी शर्ट पर टीम इंडिया लिखवाना है, इसके जवाब में गजेंद्र सिंह ने कहा कि इसके लिए तो काफी मेहनत लगेगी, सिमरन ने कहा मैं तैयार हूँ। उसके बाद गजेंद्र सिंह ने उनपर मेहनत करना शुरू की, उन्हें कोचिंग देना शुरू की।  
शादी के अगले दिन की रिश्तेदारों ने पूछा "बहू कहां है?"
सिमरन शर्मा ने बताया कि जब शादी के अगले दिन वे Gym से ट्रैक सूट में वापस आईं तो उनके रिश्तेदार उनसे ही पूछने लगे थे कि दुल्हन कहां है?

उन्होंने कहा "जब शादी हुई तो अगले दिन मेरे पति ने कहा कि तैयार हो जाओ, Gym जाना है। अब मैं नई नई दुल्हन थी, मेरे हाथों में मेहंदी लगी हुई थी, मुंहदिखाई करने वाले लोग आए हुए थे, मैं Gym करके ट्रैक सूट में वापसी आ रही थी और मुंहदिखाई वाले लोग मुझसे ही पूछ रहे थे कि "बेटा बहु कहां है? फिर मैंने जवाब दिया मैं ही हूँ जी।"

ससुराल वालों ने सोसाइटी के तानों को नजरअंदाज कर दिया साथ 
कई बार ऐसा होता है कि एक महिला खिलाड़ी को या किसी भी जॉब करने वाली महिला को शादी के बाद, पर्सनल लाइफ और पैशन को बैलेंस करना बड़ा मुश्किल हो जाता है, कई बार उन्हें समाज के ताने भी सुनने होते हैं लेकिन ऐसे में जब अपने परिवार का साथ हो तो किस तरह हर चीज़ को मेन्टेन करना आसान हो जाता है। सिमरन शर्मा ने बताया कि शादी के बाद उनके ससुराल वालों को समाज से कई ताने सुनने पड़े, कोई उनके छोटे कपड़ों को लेकर ताने देता जो वे खेलते वक्त पहनती थीं तो कोई घूँघट को लेकर उन्हें ताने देता लेकिन इन सभी तानों को नजर अंदाज कर उनके ससुराल वालों ने हमेशा उनके करियर में साथ दिया और आगे बढ़ते रहने को प्रेरित किया।

सिमरन शर्मा ने बताया कि कुछ चीज़ें तो उनके पति उन तक आने ही नहीं देते थे, ताकि वे अच्छे अपने करियर पर फोकस कर सके। उनके पति पहले खुद ट्रैनिग किया करते थे फिर सिमरन को ट्रैन करते थे। 
 
सिमरन शर्मा की उपलब्धियां 
सिमरन शर्मा ने 2019 में विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता, उन्होंने 2021 में टोक्यो पैरालिंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय पैरा एथलीट बनीं, हालांकि उन्हें कोई पदक नहीं मिला। उन्हें चीन के हांग्जो में 2022 एशियाई पैरा खेलों (Asian Para Games) में भारतीय टीम को रिप्रेजेंट करने के लिए चुना गया जहां उन्होंने 100 मीटर और 200 मीटर टी12 स्पर्धाओं में दो रजत पदक जीते। खेलो इंडिया 2023 में 3 गोल्ड मेडल जीते। मई 2024 में सिमरन ने जापान में आयोजित विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप (World Championship) में गोल्ड मेडल जीता। उसके बाद 2024 पेरिस पैरालंपिक में उन्होंने महिलाओं की 200 मीटर टी12 फाइनल में कांस्य पदक जीता।

 
मीडिया का पैरा खिलाड़ियों को पहचान देने में योगदान 
सिमरन शर्मा ने बताया कि जिस तरह मीडिया एथलीट का सम्मान कर रही है, लोगों तक अपनी कहानी पहुंचाने में उनकी मदद कर रही है, यह सराहनीय है, क्योंकि जब ऐसे लोगो हमें देखेंगे जो भगवान से शिकायत करते हैं लेकिन जिंदगी में कुछ कर दिखाना भी चाहते हैं, तो उनकी सारी शिकायतें दूर हो जाएंगी और वे भी अपना और अपने राष्ट्र का नाम रोशन करने के लिए जी जान से तैयारी करेंगे।  

BBC इंडियन स्पोर्ट्स वुमन ऑफ दि ईयर लिए पांच नामांकित (Nominees) महिलाएँ हैं: गोल्फर अदिति अशोक, शूटर मनु भाकर और अवनी लेखरा, क्रिकेटर स्मृति मंधाना और पहलवान विनेश फोगाट