मंगलवार, 17 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. खेल-संसार
  2. क्रिकेट
  3. समाचार
  4. India South Africa Cricket Series
Written By
Last Updated :नई दिल्ली , शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017 (15:54 IST)

स्पिनरों के लिए कब्रगाह रही है दक्षिण अफ्रीकी धरती

स्पिनरों के लिए कब्रगाह रही है दक्षिण अफ्रीकी धरती - India South Africa Cricket Series
नई दिल्ली। घरेलू धरती पर नियमित तौर पर टीम का हिस्सा रहने वाले रविचन्द्रन अश्विन और रवीन्द्र जडेजा को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शायद ही एकसाथ अंतिम एकादश में जगह बनाने का मौका मिले, क्योंकि अफ्रीकी महाद्वीप के इस देश में स्पिनरों के प्रदर्शन में लगातार गिरावट आई है और वह खराब से बुरा होता गया है।
 
दक्षिण अफ्रीका की टेस्ट क्रिकेट में वापसी के बाद से उसकी सरजमीं पर अब तक जो 125 टेस्ट मैच खेले गए हैं अगर उनमें स्पिनरों के प्रदर्शन पर गौर करें तो साफ हो जाता है कि दक्षिण अफ्रीकी टीम में अदद स्पिनर की कमी के कारण उन्होंने अमूमन तेज गेंदबाजों के माकूल पिचें ही बनाईं और इसमें दोराय नहीं कि विराट कोहली एंड कंपनी को 5 जनवरी से केपटाउन में शुरू हो रही 3 टेस्ट मैचों की श्रृंखला में तेज और उछाल वाले विकेटों से ही रूबरू होना पड़ेगा।
 
दक्षिण अफ्रीका में खेले गए पिछले 125 टेस्ट मैचों में तेज गेंदबाजों और स्पिनरों के प्रदर्शन का तुलनात्मक अध्ययन करें तो अंतर स्पष्ट नजर आता है। इन मैचों में तेज या मध्यम गति के गेंदबाजों ने 75.46 प्रतिशत गेंदबाजी (29,385 ओवर) की और 81 प्रतिशत विकेट अपने नाम लिखवाए।
 
इस बीच अधिकतर टीमों ने स्पिनरों को मारक हथियार के तौर पर नहीं बल्कि तेज गेंदबाजों को विश्राम देने या ओवर गति तेज करने की खातिर इस्तेमाल किया। यही वजह है कि भले ही 24.54 प्रतिशत (9,556 ओवर) गेंदबाजी की लेकिन उन्हें 19 प्रतिशत ही विकेट मिले।
 
पिछले 10 और 5 वर्षों के दौरान भी यह स्थिति नहीं बदली तथा इस बीच स्पिनरों ने तेज गेंदबाजों के 2 अन्य गढ़ इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में भी दक्षिण अफ्रीका की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया। पिछले 10 वर्षों में दक्षिण अफ्रीका में स्पिनरों को गेंदबाजों को मिले कुल विकेट के लगभग 21 प्रतिशत विकेट मिले जबकि इस बीच ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में इस बीच उन्होंने 22 प्रतिशत से अधिक की दर से विकेट हासिल किए। पिछले 5 वर्षों में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में यह आंकड़ा क्रमश: 24.04 और 22.24 प्रतिशत रहा जबकि दक्षिण अफ्रीका में यह गिरकर 20.16 प्रतिशत हो गया।
 
अगर दक्षिण अफ्रीका में विदेशी स्पिनरों के प्रदर्शन पर गौर करें तो 1992 के बाद उन्होंने वहां 27.21 प्रतिशत विकेट हासिल किए लेकिन पिछले 10 सालों में यह आंकड़ा 26.60 प्रतिशत हो गया। एक दौर था, जब शेन वार्न (दक्षिण अफ्रीका में 12 मैचों में 61 विकेट), अनिल कुंबले (12 मैचों में 45 विकेट) और मुथैया मुरलीधरन (6 मैचों में 35 विकेट) जैसे स्पिनरों ने दक्षिण अफ्रीका में भी अपनी बलखाती गेंदों का जादू बिखेरा।
 
लेकिन इसके बाद कोई भी ऐसा स्पिनर नहीं हुआ जिसने वहां अपना दबदबा बनाया हो। यहां तक कि दक्षिण अफ्रीका भी पाल एडम्स (19 मैचों में 57 विकेट), पाल हैरिस (18 मैचों में 48 विकेट) और निकी बोए (22 मैचों में 35 विकेट) जैसे कुछ स्पिनर ही पैदा कर पाया। अभी उसके पास केशव महाराज हैं जिन्होंने अपनी धरती पर 5 टेस्ट मैचों में 20 विकेट लिए हैं।
 
भारत के वर्तमान स्पिनरों अश्विन और जडेजा को दक्षिण अफ्रीकी सरजमीं पर 1-1 टेस्ट मैच खेलने का मौका मिला है। जडेजा ने 1 मैच में 6 विकेट लिए लेकिन अश्विन को अभी इस देश में अपना खाता खोलना है। भारत के पिछले दौरे में जोहानिसबर्ग टेस्ट में 42 ओवर करने के बावजूद अश्विन को विकेट नहीं मिला था।
 
दक्षिण अफ्रीका में भारतीय स्पिनरों के प्रदर्शन पर गौर करें तो भारत ने अब तक वहां जो 17 टेस्ट मैच खेले हैं उनमें 13 स्पिनरों का उपयोग किया जिन्होंने कुल 81 विकेट लिए, जो कि भारतीय गेंदबाजों को मिले कुल विकेटों (166 विकेट) का 32.80 प्रतिशत है। उसके अलावा उपमहाद्वीप की 2 अन्य टीमों श्रीलंका (40.25 प्रतिशत) और पाकिस्तान (33.95 प्रतिशत) के स्पिनरों को ही दक्षिण अफ्रीका में थोड़ी अच्छी सफलता मिली।
 
भारत ने हालांकि दक्षिण अफ्रीकी धरती पर अपने स्पिनरों का सबसे अधिक उपयोग किया है। भारत ने 17 मैचों में लगभग 39 प्रतिशत (1,202.4 ओवर) गेंदबाजी स्पिनरों से करवाई लेकिन वह भी अधिकतर तेज गेंदबाजों के भरोसे अधिक रहा और उसने 1,871.4 ओवर तेज गेंदबाजों से करवाए। इसलिए यह तय है कि ईशांत शर्मा, उमेश यादव, मोहम्मद शमी, भुवनेश्वर कुमार और जसप्रीत बुमराह को अगले तीनों मैचों में अहम भूमिका निभानी पड़ेगी।
 
भारतीय तेज गेंदबाजों ने दक्षिण अफ्रीका में प्रति 11.27 ओवरों में 1 विकेट हासिल किया जबकि स्पिनरों को इसके लिए औसतन 14.84 ओवर तक इंतजार करना पड़ा। यह अलग बात है कि स्पिनरों ने 21.46 प्रतिशत ओवर मेडन करके बल्लेबाजों पर दबाव भी बनाया। तेज गेंदबाज 19.02 प्रतिशत ओवर ही मेडन कर पाए। भारत के बाद दक्षिण अफ्रीकी सरजमीं पर श्रीलंका (38.38), बांग्लादेश (38.29) और पाकिस्तान (35.66 प्रतिशत) ने अपने स्पिनरों का उपयोग किया लेकिन इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, विंडीज और ऑस्ट्रेलिया ने अपने तेज गेंदबाजों पर बहुत अधिक भरोसा दिखाया।
 
इस दौरे में भारत को केपटाउन, सेंचुरियन और जोहानसबर्ग में मैच खेलने हैं। इनमें से केपटाउन के न्यूलैंड्स में स्पिनरों को थोड़ा मदद मिलती रही है, जहां उनके नाम पर पिछले 10 वर्षों में 12 मैचों में 84 विकेट दर्ज हैं। इस बीच हालांकि तेज गेंदबाजों ने इस मैदान पर 274 विकेट लिए। स्पिनरों ने इन वर्षों में सेंचुरियन में 9 मैचों में 43 और जोहानिसबर्ग में 7 मैचों में 30 विकेट लिए जबकि इस दौरान इन्हीं मैदानों पर तेज गेंदबाजों ने क्रमश: 222 और 201 विकेट हासिल किए। (भाषा)
ये भी पढ़ें
ट्रायल के दौरान सुशील-राणा के समर्थकों में दंगल, जमकर मारपीट