खेल भावना को लेकर फिर कठघरे में विंडीज़ टीम
हैमिल्टन। वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम मौजूदा आईसीसी अंडर-19 विश्वकप में खेल भावना और ईमानदारी को लेकर एक बार फिर से सवालों के घेरे में हैं। यह मामला विंडीज़ टीम और दक्षिण अफ्रीका अंडर-19 टीम के बीच मैच का है, जिसमें बल्लेबाज़ जिवेशान पिल्लै के विकेटकीपर को गेंद वापस पकड़ाना महंगा पड़ गया और कैरेबियाई टीम के कप्तान के इसे लेकर अपील करने पर नियमानुसार पिल्लै को फील्ड पर बाधा पैदा करने के आरोप में आउट करार दे दिया गया।
इससे पहले अंडर-19 विश्वकप के 2016 सत्र में भी वेस्टइंडीज़ टीम की ओर से अहम मैच में जिम्बाब्वे के बल्लेबाज़ के खिलाफ इसी तरह से अपील करने पर कैरेबियाई टीम की खेल भावना को लेकर सवाल उठे थे। यह दूसरी बार है जब कैरेबियाई टीम ने इस तरह का रवैया दिखाया है।
न्यूजीलैंड में खेले जा रहे विश्व कप में ग्रुप 'ए' मैच के दौरान माउंट मॉनगनुई में जब दक्षिण अफ्रीकी टीम बल्लेबाजी कर रही थी, तब 17वें ओवर में दो विकेट पर 77 रन के स्कोर पर उसके ओपनर पिल्लै ने एक गेंद को खेला जो ऑफ स्टम्प के पास आकर ही रूक गई। अनजाने में पिल्लै ने पीछे से आ रहे विंडीज़ विकेटकीपर और कप्तान एमानुएल स्टीवार्ट को खुद ही वह गेंद उठाकर पकड़ा दी।
स्टीवार्ट ने हालांकि पिल्लै की इस गलती का फायदा उठाते हुए अंपायर से फील्ड पर बाधा डालने के लिए अपील की दी और थर्ड अंपायर ने आईसीसी नियमों के अनुसार दक्षिण अफ्रीकी ओपनर को आउट करार दे दिया। थर्ड अंपायर ने इस वीडियो को काफी देर तक देखा और फिर नियम 37.4 का हवाला देते हुए फील्डर को गेंद लौटाने या बल्लेबाज़ के किसी हिस्से से गेंद को छूने के नियम के तहत पिल्लै को आउट करार दे दिया।
हालांकि इस घटनाक्रम को विंडीज़ टीम की खेल भावना और ईमानदारी से जोड़कर देखा जा रहा है। इससे पहले वर्ष 2016 के अंडर-19 क्रिकेट संस्करण में विंडीज़ के गेंदबाज़ कीमो पॉल ने भी जिम्बाब्वे के बल्लेबाज़ के खिलाफ इसी तरह से अपील की थी, जो उनके लिए 'करो या मरो' का मैच था। इस वर्ष वेस्टइंडीज़ अंडर-19 टीम विजेता भी बनी थी। (वार्ता)