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Last Updated : सोमवार, 4 मई 2020 (07:09 IST)

माइकल होल्डिंग ने World Test Championship की अंक प्रणाली को ‘बेवकूफाना’ बताया

माइकल होल्डिंग ने World Test Championship की अंक प्रणाली को ‘बेवकूफाना’ बताया - Holding calls World System Championship points system stupid
नई दिल्ली। वेस्टइंडीज के महान तेज गेंदबाज माइकल होल्डिंग ने विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) की अंक प्रणाली को ‘बेवकूफाना’ करार दिया है। उन्होंने कहा कि जहां जब टीमों को लगेगा कि वे अंक तालिका में शीर्ष दो में जगह नहीं बना पाएंगी तो कुछ टेस्ट मैच महज औपचारिकता के रह जाएंगे।
 
मौजूदा अंक प्रणाली के अनुसार दो टेस्ट की श्रृंखला में प्रत्येक मैच 60 अंक का होता है। हालांकि 5 मैचों की श्रृंखला में प्रत्येक टेस्ट में जीत पर 24 ही अंक मिलते हैं। इस तरह श्रृंखला में मैचों की संख्या चाहे जितनी भी हो कोई टीम अधिकतम 120 अंक ही हासिल कर सकती है। अंक तालिका में शीर्ष पर रहने वाली दो टीमें फाइनल में जगह बनाएंगी।
 
टेस्ट चैम्पियनशिप का फाइनल जून 2021 मे लॉर्ड्‍स में खेला जाएगा। द्विपक्षीय क्रिकेट में नई जान फूंकने के लिए आईसीसी ने पिछले साल विश्व टेस्ट चैंपियनशिप को शुरू किया था।
 
होल्डिंग ने विजडन क्रिकेट मंथली से राउंड टेबल चर्चा के दौरान कहा, ‘यह काम नहीं करेगा। सबसे पहले तो अंक प्रणाली बेवकूफाना है। पांच टेस्ट मैच खेलने पर भी आपको उतने ही अंक नहीं मिल सकते जितने दो टेस्ट खेलने पर मिलते हैं।’
 
उन्होंने कहा, ‘और दूसरी बात, एक चरण के बाद टीमों को पता चल जाएगा कि वे फाइनल में जगह नहीं बनाने वाली और इसलिए बाकी बचे मैच रोमांचक नहीं होने वाले। लोगों को पता होगा कि यह सिर्फ एक अन्य मैच है।’
 
इस चर्चा का हिस्सा रहे इंग्लैंड के तेज गेंदबाज क्रिस वोक्स ने कहा कि भविष्य में अंक प्रणाली को बदलना पड़ सकता है। वोक्स ने कहा, ‘न्यूजीलैंड के खिलाफ श्रृंखला (इंग्लैंड पिछली सर्दियों में न्यूजीलैंड की सरजमीं पर 0-1 से हार गया) विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का हिस्सा नहीं थी लेकिन खिलाड़ी के रूप में इस हार का हम पर अन्य हार से कम असर नहीं पड़ा।’
 
उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि भविष्य में इस व्यवस्था में थोड़ा बदलाव करने की जरूरत है। एकमात्र फाइनल में टास और हालात के आधार पर कोई भी टीम किसी को भी हरा सकती है। अगर कैलेंडर में अधिक समय मिलता है तो तीन मैचों का फाइनल हो सकता है लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं है।’