वानखेड़े से बरसा पारा, शतक लगाकर ग्लेन मैक्सवेल ने किया 2 महीने के भारतीय दौरे का सुखद अंत
ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर ग्लेन मैक्सवेल भारत के दौरे पर 3 एकदिवसीय श्रृंखला खेलने विश्वकप से पहले आए थे। वह लगभग 2 महीने से भारत में है। इन सत्र में भारतीय दौरे पर उनको जो खुशियां मिली होंगी वह शायद ही किसी और दौरे पर मिली होंगी।
ग्लेन मैक्सवेल को उनके साथी खिलाड़ी मिचेल मार्श विश्वकप शुरु होने से पहले तुरुप का इक्का बता रहे थे। एकदिवसीय विश्वकप से ठीक पहले उन्होंने भारत के खिलाफ 3 अहम विकेट चटकाकर ऑस्ट्रेलिया को 3-0 की शर्मिंदगी से रोका। हालांकि उन्हें अंदाजा नहीं था कि आने वाला विश्वकप उनके नाम से जाना जाएगा।
एकदिवसीय विश्वकप में लगाया सबसे तेज शतकग्लेन मैक्सवेल ने वनडे विश्वकप का सबसे तेज शतक नीदरलैंड के खिलाफ बनाया और इस ही विश्वकप में एडम मार्करम के 49 गेंदो में लगाए शतक का रिकॉर्ड सिर्फ 21 दिनों में ही तोड़ दिया। इससे पहले डेविड वॉर्नर ने भी ऑस्ट्रेलिया के लिए सबसे तेज शतक लगाया था लेकिन वह रिकॉर्ड भी मैक्सवेल ने इस ही पारी में तोड़ दिया। 44 गेंदों में 106 रनों की पारी खेलने वाले मैक्सवेल ने 9 चौकों के साथ 8 छक्के लगाए।
लंगड़ाते हुए जड़ा दोहरा शतक, अफगानिस्तान को अकेले दम पर हरायालेकिन अभी मैक्सवेल के लिए कुछ बड़ा होने वाला था।एकदिवसीय विश्वकप में लगाया सबसे तेज शतक एक ऐसी पारी जिसे ना केवल इतिहास के पन्नों में दर्ज किया बल्कि मैक्सवेल ने इतने रिकॉर्ड तोड़े कि क्रिकेट विश्षलेशक गिन नहीं पाए।
अफगानिस्तान के 292 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए मैक्सवेल (128 गेंद में 201 रन, 21 चौके, 10 छक्के) ने दोहरा शतक जड़ा जिससे ऑस्ट्रेलिया ने 91 रन पर सात विकेट गंवाने के बावजूद 46.5 ओवर में सात विकेट पर 293 रन बनाकर जीत दर्ज की।मैक्सवेल इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया की ओर से एकदिवसीय क्रिकेट में शीर्ष स्कोरर बने। उन्होंने शेन वाटसन को पीछे छोड़ा जिन्होंने अप्रैल 2011 में बांग्लादेश के खिलाफ नाबाद 185 रन बनाए थे।
विश्वकप क्रिकेट के इतिहास में इसे ऑस्ट्रेलिया से ज़्यादा मैक्सवेल की अकेले दम पर दिलाई गई जीत के तौर पर जाना जायेगा। उन्होंने न केवल सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से मैच पासा पलटा बल्कि चोटों से लड़ते हुए दोहरा शतक जड़ दिया।
100 रनों के बाद ग्लेन मैक्सवेल लंगड़ाते हुए चल रहे थे। जब वह 147 रन पर थे तो वह लगभग दर्द से कराह कर जमीन पर लेट गए थे। लेकिन वह मैदान से नहीं लौटे क्योंकि ऑस्ट्रेलिया अफगानिस्तान के खिलाफ हार जाता तो टीम की विश्वकप में तीसरी हार हो जाती और बांग्लादेश के खिलाफ टीम को हर हाल में जीतना होता। 49 पर 4 विकेट खोने के बाद क्रीज पर आए ग्लेन मैक्सवेल ने पैट कमिंस के साथ आठवें विकेट की एतिहासिक अविजित साझेदारी की जब टीम 91 रनों पर 7 विकेट गंवा चुकी थी।
विश्वकप खिताबी जीत के विजयी रन आए ग्लेन मैक्सवेल के बल्ले से, कप्तान का लिया था विकेटएकदिवसीय विश्वकप फाइनल में सभी लोगों ने ट्रेविस हेड की पारी और रोहित शर्मा के उनके लिए कैच को सराहा लेकिन यह भूल गए कि वह गेंद ग्लेन मैक्सवेल की थी। ग्लेन मैक्सवेल पहले पॉवरप्ले में भले ही महंगे साबित हुए लेकिन उन्होंने रोहित शर्मा का बेशकीमती विकेट निकालकर ऑस्ट्रेलिया को दिया।
दूसरे भाग में ट्रेविस हेड मैच को एकतरफा बना चुके थे। वह जब आउट हुए तो ग्लेन मैक्सवेल क्रीज पर आए और उन्होंने 1 गेंदो में 2 रन बनाकर ऑस्ट्रेलिया को छठवां एकदिवसीय विश्वकप जिताया।
ऑस्ट्रेलिया को विजयी शतक जड़कर जिंदा रखा टी-20 सीरीज मेंटी-20 सीरीज के दूसरे मैच से पहले ज्यादातर सीनियर खिलाड़ी स्वदेश लौट चुके थे। ग्लेन मैक्सवेल के लिए भारत के खिलाफ पहले दो टी-20 खास नहीं रहे लेकिन तीसरे में धुआंधार शतक जड़कर उन्होंने टीम को सीरीज में जिंदा रखा। यह जीत भी ग्लेन मैक्सवेल ने हार के जबड़े से छीनी। गेंदबाजी के दौरान आखिरी ओवर में 30 रन लुटाने वाले मैक्सवेल ने बल्लेबाजी में इसकी पूरी भरपाई करते हुए एक समय असंभव दिख रहे 223 रन के लक्ष्य तक आस्ट्रेलिया को पहुंचाया।
मैक्सवेल ने 48 गेंद में आठ चौकों और आठ छक्कों की मदद से 104 रन बनाये। उन्होंने अपना शतक 47 गेंद में पूरा करके आस्ट्रेलिया के लिये सबसे तेज टी20 शतक के जोश इंगलिस और आरोन फिंच के रिकॉर्ड की बराबरी की।हालांकि अब वह भी स्वदेश रवाना होंगे और टीम को अगले टी-20 उनके बिना खेलने हैं। ऐसे में ऑस्ट्रेलिया के युवा क्रिकेटरों को उनके जैसा प्रदर्शन करने की प्रेरणा मिलेगी।